मध्य प्रदेश में उज्जैन के श्री महाकाल लोक (महाकाल कॉरिडोर) के लोकार्पण से पहले ही उसका श्रेय लेने की होड़ मच गई है. मध्यप्रदेश कांग्रेस का दावा है कि महाकाल कॉरिडोर की योजना तत्कालीन कमलनाथ सरकार में बनी थी जिसका श्रेय अब शिवराज सरकार ले रही है.
मध्यप्रदेश कांग्रेस ने उसके अधिकृत ट्विटर हैंडल से बकायदा दो पोस्ट भी की हैं और उसमें बताया है कि महाकाल प्रोजेक्ट धर्मप्रेमी कमलनाथ की देन है.
धर्मप्रेमी कमलनाथ,
— MP Congress (@INCMP) October 10, 2022
विकास आस्था के साथ;
कमलनाथ जी मध्यप्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हुये हैं जिन्होंने महाकाल परिसर को संवारने की योजना बनाई, स्वीकृति प्रदान की और बजट जारी कर कार्य प्रारंभ कराया।
“जय बाबा महाकाल” pic.twitter.com/G9ZuiezoZD
कांग्रेस का दावा है कि कमलनाथ ने साल 2019 में इस प्रोजेक्ट के लिए 300 करोड़ रूपए मंजूर किए थे. दूसरी तरफ अब खुद कमलनाथ ने बयान दिया है कि शिवराज झूठा श्रेय ले रहे हैं. कमलनाथ ने कहा कि मैंने जो किया था महाकाल के लिए वो रिकार्ड पर है, ये आज इसका श्रेय लेना चाह रहे हैं, ये तो सब चीजों का श्रेय ले लेते हैं. अब ये न कहने लगें कि हमने किसानों का कर्जा माफ किया था। प्रधानमंत्री को बुलाओ, धार्मिक कार्यक्रम करो, लेकिन ये जनता सब जानती है, इन भावनाओं से नहीं बहने वाली। मैंने जिन चीजों की शुरुआत की थी, दुख है उन्हें मैं पूरा नहीं कर पाया.
मध्यप्रदेश को मिली अनेकों सौग़ात,
— MP Congress (@INCMP) October 9, 2022
श्रद्धा-भक्ति की मिसाल कमलनाथ। pic.twitter.com/AWhxgO7McA
कांग्रेस के इस दावे पर मध्य प्रदेश के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने आपत्ति जताई है और कहा है कि कांग्रेस पका पकाया खाने आ जाती है. उन्होंने आगे कहा कि, कांग्रेस का ये सफ़ेद झूठ है. गोविंद सिंह राजपूत ने आजतक से बात करते हुए कहा कि वह खुद कमलनाथ सरकार में भी मंत्री थे और उन्हें इस बात का पता ही नहीं है कि कमलनाथ सरकार को इसके लिए 300 करोड़ रुपए कब जारी हुए. ये प्रोजेक्ट पूरी तरह से भाजपा की शिवराज सरकार का प्रोजेक्ट है जिसके लिए 700 करोड रुपए जारी किए गए हैं. भाजपा की सरकार में ही काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बना, अयोध्या का बहुप्रतीक्षित फैसला आया और अब महाकाल कॉरिडोर बनकर तैयार है.
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 11 अक्टूबर को उज्जैन में तैयार हुए महाकाल कॉरिडोर का लोकार्पण करने आ रहे हैं. करीब 750 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट का पहला चरण लगभग 350 करोड़ रुपए लागत का है.