तमिलनाडु में अब किसी उम्मीदवार को सरकारी नौकरी चाहिए तो उसे तमिल भाषा पढ़ना और लिखना आना चाहिए. मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने सोमवार को कहा कि तमिलनाडु में सरकारी नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों को तमिल भाषा का ज्ञान आवश्यक रूप से होना चाहिए. बेंच ने ये टिप्पणी तमिलनाडु विद्युत बोर्ड के एक जूनियर असिस्टेंट से जुड़े मामले में दी है.
क्या है पूरा मामला?
तमिलनाडु विद्युत बोर्ड के जूनियर असिस्टेंट जयकुमार ने अनिवार्य तमिल भाषा परीक्षा पास करने में फेल हो गए थे. इसलिए उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया. इसके विरोध में जयकुमार ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की.
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जयकुमार थेनी बिजली बोर्ड में जूनियर असिस्टेंट के पद पर कार्यरत थे. तमिलनाडु में सरकारी नौकरी में काम करने वाले कर्मचारियों को दो वर्षों में अनिवार्य रूप से तमिल भाषा की परीक्षा पास करना होता है.
मद्रास हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या बहस हुई?
याचिकाकर्ता जयकुमार ने हाईकोर्ट में दलील दी कि उनके पिता नौसेना में थे, जिससे उनकी पढ़ाई केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) स्कूल में हुई. मद्रास हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति जयचंद्रन और न्यायमूर्ति पूर्णिमा ने पूरे मामले पर सुनवाई की.
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न्यायमूर्ति जयचंद्रन और न्यायमूर्ति पूर्णिमा की बेंच ने कहा, 'तमिलनाडु सरकार में यदि कोई काम करना चाहता है तो उसे तमिल भाषा आनी चाहिए.' न्यायाधीशों ने सवाल किया कि कर्मचारियों को तमिल भाषा नहीं आती तो क्या किया जा सकता है? वो रोजमर्रा का काम कैसे करेंगे? सिर्फ तमिलनाडु ही क्यों कोई भी राज्य हो, वहां सार्वजनिक रूप से काम करने वाले व्यक्ति को स्थानीय भाषा आनी चाहिए.
बेंच ने ये भी कहा कि निर्धारित समय के भीतर तमिल भाषा की परीक्षा पास करना अनिवार्य है. कोई व्यक्ति बिना तमिल भाषा के ज्ञान के सार्वजनिक कार्यालयों में काम करने की इच्छा कैसा रख सकता है. मामले की सुनवाई छह सप्ताह के लिए स्थगित कर दी गई है. दोनों पक्षों को अंतिम बहस के लिए तैयार रहने को गया है.