scorecardresearch
 

मन चंगा तो कठौती में गंगा... महाकुंभ नहीं जा पा रहे हैं तो इन मंत्रों के साथ करें स्नान, घर ही बन जाएगा प्रयागराज!

गंगा माता ने खुद यह वचन दिया है कि जब भी किसी शुभ कार्य के लिए उनका आह्नवान किया जाएगा वह हर एक व्यक्ति के कल्याण के लिए जरूर आ जाएंगीं. ऐसे में अमृत स्नान की विशेष तिथि में गंगा स्नान के दिव्य लाभ से आपको वंचित नहीं होना पड़ेगा. केवल इन मंत्रों का उच्चारण कीजिए और घर में ही गंगा स्नान का लाभ लिया जा सकता है. 

Advertisement
X
महाकुंभ नहीं जा पा रहे हैं तो इन मंत्रों के साथ करें स्नान, घर ही बन जाएगा प्रयागराज
महाकुंभ नहीं जा पा रहे हैं तो इन मंत्रों के साथ करें स्नान, घर ही बन जाएगा प्रयागराज

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन है. श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा हुआ है. संगम के पावन तट पर इस पौराणिक प्राचीन आयोजन की अद्भुत छटा बिखरी हुई है. आने वाली प्रमुख स्नान तिथियों को अपार भीड़ जुटने वाली है वहीं, सरकारी आंकड़ों का अनुमान है कि इस बार महाकुंभ के दौरान तकरीबन 45 करोड़ लोग जुटने वाले हैं. 144 साल के बाद बने इस अद्भुत संयोग में हर किसी की इच्छा होगी कि वह भी इस आयोजन का हिस्सा बने और त्रिवेणी के जल में स्नान कर खुद को पवित्र करे. 
 
सभी के लिए यह संभव नहीं है और बहुत बड़ी संख्या ऐसे भी लोगों की है जो चाहकर पवित्र घाटों पर नहीं पहुंच पाएंगे. अगर आप भी इन लोगों में शामिल हैं तो निराश होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है. अगर आपकी भी महाकुंभ में स्नान की इच्छा है और वह नहीं पूरी हो पा रही है तो शास्त्र में इसके लिए भी व्यवस्था की गई है. पुराणों और शास्त्रों में गंगा नदी की स्तुति और आह्नान के लिए कुछ ऐसे मंत्र हैं, जिनके उच्चारण और वाचन से हर क्षेत्र गंगा तीर्थ हो जाता है और हर जल गंगा जल बन जाता है.

Advertisement

गंगा माता ने खुद यह वचन दिया है कि जब भी किसी शुभ कार्य के लिए उनका आह्नवान किया जाएगा वह हर एक व्यक्ति के कल्याण के लिए जरूर आ जाएंगीं. ऐसे में अमृत स्नान की विशेष तिथि में गंगा स्नान के दिव्य लाभ से आपको वंचित नहीं होना पड़ेगा. केवल इन मंत्रों का उच्चारण कीजिए और घर में ही गंगा स्नान का लाभ लिया जा सकता है. 

नदियों के आह्वान का मंत्र
गंगा नदी तो पवित्र हैं हीं, उनकी सहायक नदी यमुना और सरस्वती की भी बड़ी महिमा है. इसके अलावा गोदावरी, कावेरी, सिंधु और नर्मदा भी अपने-अपने स्थान पर गंगा का ही अवतार कहलाती हैं. संगम तीर्थ क्षेत्र में गंगा-यमुना और सरस्वती का संगम है. इसलिए तीर्थराज प्रयाग की महिमा भी है. इसके अलावा गंगा की ही भांति इन सभी की नदियों की उत्पत्ति अलग-अलग काल में ब्रह्मदेव के कमंडल से ही हुई है और इन्हें सप्त धारा कहा जाता है.

Advertisement

इन सभी नदियों के ध्यान का मंत्र बहुत प्रभावी है जो स्नान के जल को गंगा जल और त्रिवेणी का बना देता है. इसलिए स्नान से पहले इस मंत्र का उच्चारण करें. इस मंत्र से आपके अपने खुद के घर का आंगन कुंभ स्थल की ही तरह तीर्थ क्षेत्र बन जाएगा. 

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती ।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु ॥

गंगा मां से कीजिए प्रार्थना
इसी तरह गंगा स्त्रोत से लिया गया गांगेय श्लोक भी बहुत पवित्र है. इस श्लोक मंत्र में मां गंगा कि पवित्रता का वर्णन किया गया है और उनसे अपने पापों से मुक्ति मांगने की प्रार्थना की गई है. श्लोक में कहा गया है कि गंगा जल मनोहारी है जो कि मुरारि यानी कि श्रीविष्णु के चरणों से निकला है, त्रिपुरारी यानी महादेव शिव द्वारा शीष पर धारण किया गया है.

गंगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतं ।
त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु मां ।।

जो पापों को हरने वाली है. ऐसी मां गंगा मेरे भी पापों को हर लें. इस मंत्र को पढ़कर स्नान करने से मां गंगा आपको शीतल करने के लिए आपके पास स्थित जल स्त्रोत में शामिल हो जाएंगीं.

गंगा से दूर मनुष्य भी कर सकता है स्नान
गंगा नदी की महिमा का वर्णन करते हुए एक श्लोक में कहा गया है कि जो मनुष्य सौ योजन दूर से भी गंगाजी का स्मरण करता है उसके सभी पाप दूर हो जाते हैं और वह अंत में विष्णु लोक को जाता है.

Advertisement

इस श्लोक के जरिए यह बताया गया है कि मां गंगा इतनी दयालु हैं जो अपने पुत्र और भक्तों के एक बुलावे पर खुद उनके पास चली जाती हैं.

गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानां शतैरपि। 
मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोके स गच्छति॥

अगर वह गंगा तट पर आने में सक्षम न हो तो मां गंगा उसके पास जाती हैं और उसे पापमुक्त और शीतलता प्रदान करती हैं. यह श्लोक मंत्र स्नान करते समय जरूर पढ़िए. 

गंगा नदी हैं मुक्ति का मार्ग
गंगा नदी का दर्शन मात्र ही मुक्ति का मार्ग है. स्नान कर लेना तो सारे कर्म के बंधन काट लेना है. वहीं मां गंगा का स्मरण कई पुण्यों का भागी बनाता है.

गंगा तव दर्शनात् मुक्ति

स्नान करते समय मां गंगा का एक सबसे छोटा सा और महत्वपूर्ण मंत्र का अगर वाचन किया जाए तो आपके जल पात्र का जल ही गंगाजल बन जाता है और इसका स्नान कुंभ स्नान जैसा ही फल देता है. बस मन शुद्ध होना चाहिए और भाव में भक्ति होनी चाहिए.

इसी तरह यमुना नदी भी पौराणिक नदी है और इसमें भी स्नान का बहुत ही महत्व है. यमुना नदी सूर्य देव की पुत्री हैं और श्रीकृष्ण भगवान की लीला की साक्षी हैं. इस नदी के तट पर कई प्राचीन तीर्थ स्थापित हैं. खुद श्रीकृष्ण के इस जल में स्नान करने से इस नदी का जल भी गंगा के ही समान पवित्र माना गया है. इसलिए स्नान के समय इस नदी का भी आह्वान किया जाता है. इसका मंत्र कुछ ऐसा है.

Advertisement

ॐ कालिन्दि यमुने जय श्रीकृष्णप्रियाङ्कुरे।
व्रजवासिनि विश्वजनि पुण्यतोये नमोऽस्तु ते।

हे कालिन्दी यमुना नदी आपकी जय हो! आप भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय हैं, आप व्रजभूमि (मथुरा-वृंदावन) में निवास करती हैं. आप संपूर्ण विश्व के लिए पूजनीय और आदरणीय हैं.
आपके पवित्र जल से संसार के प्राणी शुद्ध और पापमुक्त हो जाते हैं. आपको नमन है, आपको प्रणाम है. आप मुझे दर्शन देकर कृतार्थ करें.

जब आप स्नान करने जाएं तो तीर्थों के राजा प्रयाग और उसकी महिमा का स्मरण जरूर करें. तीर्थराज प्रयाग सभी तीर्थों के राजा हैं और त्रिवेणी देवी, जो कि संगम क्षेत्र की देवी हैं, उनकी पवित्रता का भी ध्यान करिए. इससे आपके घर में ही तीर्थराज प्रयाग की आभा उत्पन्न होगी और आपको वही फल प्राप्त होगा जो प्रयाग में स्नान करने का होता है. घर में हवन-यज्ञ आदि कराने से पहले पुरोहित भी इस मंत्र का प्रयोग घर के वातावरण को अध्यात्मिक बनाने के लिए करते हैं.

ॐ त्रिवेणी संगमे देवि संगमेश्वर पूजिते।
स्नानकाले कुरु कृपा पापक्षय करो भवेत्॥

हे त्रिवेणी संगम में निवास करने वाली देवी! आप संगमेश्वर (संगम के ईश्वर) के द्वारा पूजित हैं. स्नान के समय कृपा कीजिए और अपने आशीर्वाद से हमें कृतार्थ कीजिए. कृपया हमारे पापों का नाश करें और हमें पवित्र एवं शुद्ध करें. यह मंत्र त्रिवेणी संगम की देवी का आह्वान करता है. यह मंत्र भक्ति, श्रद्धा और आत्मशुद्धि का प्रतीक है.

Advertisement

सिर्फ गंगा-यमुना ही नहीं बल्कि पुराणों में वर्णित ऐसी सात नदियां हैं जो पवित्रता की गवाही हैं और तन-मन-आत्मा को पवित्र करती हैं. स्नान करते समय इन नदियों का स्मरण हर तरीके से आपको इनका कृपापात्र बनाता है. इसके लिए एक मंत्र कुछ ऐसा है. 

ॐ गंगे च यमुने चैव, कावेरी सरस्वति।
शतद्रुश्च महानद्या, गोदावरी महाबला।
सर्वे तीर्थाः समुद्भूता, हेमकूटनिवासिनः।
स्नानेन प्रीयतां नित्यं, सर्वपापप्रणाशिनः॥

इसके अलावा जब आप स्नान करने जा रहे हों तो पवित्रता और गंगा स्नान का पुण्य पाने के लिए आप भगवान विष्णु का भी स्मरण कर सकते हैं. भगवान विष्णु का स्मरण अपने आप में शुद्धिकरण का साधन है. यह जीवन के हर क्षण में शरणागत भाव को प्रोत्साहित करता है और आत्मा की शुद्धि एवं मानसिक शांति प्रदान करता है. उनके इस मंत्र को विशेष रूप से स्नान, ध्यान, पूजा, या किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पहले जपने का विधान है. यह मंत्र है.

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥

चाहे कोई अपवित्र हो या पवित्र. चाहे वह किसी भी अवस्था (स्थिति या परिस्थिति) में क्यों न हो. जो भगवान विष्णु (पुण्डरीकाक्ष, अर्थात् कमल के समान नेत्रों वाले) का स्मरण करता है.
वह बाहरी और आंतरिक रूप से शुद्ध हो जाता है. इसे शुचिता मंत्र भी कहते हैं, इसका भी प्रयोग घर में पूजा-पाठ से पहले पवित्रीकरण के लिए किया जाता है.

Advertisement

इसलिए यदि आपका मन शुद्ध है और आप ईमानदारी से अपने कर्म और कर्तव्य का पालन करते हैं. किसी का बुरा नहीं सोचते और मनुष्यता की भलाई में लगे रहते हैं तो आप अपने घर में भी स्नान के जरिए तीर्थराज प्रयाग में स्नान का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं. इसके लिए संत रविदास ने भी कहा है - मन चंगा तो कठौती में गंगा.

Live TV

Advertisement
Advertisement