महाराष्ट्र (Maharashtra) के कोल्हापुर जिले के विशालगढ़ किले में अतिक्रमण हटाने का अभियान हिंसक हो गया, क्योंकि भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर पथराव किया और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया. पुलिस ने सोमवार को बताया कि इस मामले में 500 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया और 21 अन्य को गिरफ्तार किया गया. एजेंसी के मुताबिक, कोल्हापुर के जिला कलेक्टर ने बताया कि छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल के दौरान मराठा साम्राज्य के सबसे अहम किलों में से एक मध्यकालीन युग की संरचना से सोमवार को 70 अतिक्रमण हटाए गए.
विशालगड किला हिंसा मामले मे पुलिस ने चार अलग-अलग तरह के अपराध दर्ज किए हैं, जिसमें 400 से 500 संदिग्धों को शामिल किया गया है. 21 संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया गया है.
क्यों हुआ विवाद?
रविवार को हिंसा उसक वक्त भड़क उठी, जब पुणे से आए मराठा राजघराने के पूर्व सांसद संभाजीराजे छत्रपति के नेतृत्व में कुछ दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं को किले के निचले हिस्से में रोक दिया गया. एक अधिकारी ने कहा, "कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए किले में तैनात पुलिसकर्मी घायल हो गए, क्योंकि दक्षिणपंथी संगठन के विरोध प्रदर्शन के बाद उपद्रवियों ने पत्थर फेंके और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया. हमें आगजनी की खबरें मिली हैं."
कलेक्टर ने बताया कि अतिक्रमण विरोधी अभियान सोमवार को रेवेन्यू और पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की मौजूदगी में सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक चलाया गया. बता दें कि रविवार को मार्च का नेतृत्व करने वाले छत्रपति संभाजीराजे ने मांग की थी कि अवैध कब्जाधारियों की जाति और धर्म की परवाह किए बिना सभी अतिक्रमणों को हटाया जाए.
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इतिहास के नजरिए से अहम है किला
यह किला मराठा इतिहास में काफी अहमियत रखता है, क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज 1660 में पन्हाला किले पर घेरे जाने के बाद यहां पहुंचे थे. 1844 में, विशालगढ़ पर कोल्हापुर राज्य का शासन था, जब एक ब्राह्मण शासक के खिलाफ विद्रोह हुआ था, जब सिंहासन का स्वाभाविक उत्तराधिकारी नाबालिग था.
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक निकेश खाटमोड़े पाटील ने बताया कि किला विशालगढ़ के पास अतिक्रमण हटाने करने का काम प्रशासन ने शुरु किया.
विशालगढ़ किले पर अतिक्रमण हटाने के संबंध में लंबित अदालती मामलों के संबंध में सरकारी अटॉर्नी जनरल, बॉम्बे हाई कोर्ट की राय मांगी गई थी. 15 जुलाई 2024 को प्राप्त उस फीडबैक में कहा गया है कि उन याचिकाकर्ताओं को छोड़कर अन्य अतिक्रमण हटाए जा सकते हैं, जिनके पास हाई कोर्ट और अन्य अदालतों में स्थगन आदेश हैं. संबंधित फीडबैक मिलते ही प्रशासन ने अतिक्रमण हटाओ अभियान शुरू कर दिया.
सूबे की सरकार पर विपक्ष हमलावर
इस बीच, हिंसा ने विपक्ष को शिवसेना के नेतृत्व वाली महायुति सरकार पर निशाना साधने का मौका दे दिया. विपक्ष ने निशाना साधते हुए कहा कि क्या राज्य में "जंगल राज" कायम हो गया है. राज्य विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा कि मराठा शाही संभाजीराजे छत्रपति पर भी किले तक मार्च का नेतृत्व करने के लिए मामला दर्ज किया गया है.
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ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के पूर्व सांसद इम्तियाज जलील ने पूर्व राज्यसभा सदस्य और कोल्हापुर राजघराने के उत्तराधिकारी संभाजीराजे छत्रपति की किले तक मार्च का नेतृत्व करने के लिए आलोचना की. उन्होंने कहा, "आप दिल्ली जा सकते थे क्योंकि मुसलमानों ने आपको वोट दिया था. हम आपका सम्मान करते थे, लेकिन आपने विशालगढ़ किले में हिंसक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया, इसलिए हमें आश्चर्य है कि क्या आप सच में शाहू महाराज के वंशज हैं."
इम्तियाज जलील ने आरोप लगाया कि अतिक्रमण विरोधी अभियान को लागू करते वक्त कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और लोगों के घरों में तोड़फोड़ की गई. इसके साथ ही उपद्रवियों द्वारा वाहनों को जला दिया गया. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, "क्या महाराष्ट्र में जंगल राज कायम है?"
'मुझे गिरफ्तार किया जाए...'- संभाजी राजे
पूर्व सांसद संभाजी राजे ने कहा कि जो भी हिंसा हुई है, मैं इसका समर्थन नहीं करता हूं. हमने प्रशासन को बोल रखा था कि ऐसी परिस्थिती आ सकती है. कल जो भी घटना हुई, सबकी जिम्मेदार प्रशासन और सरकार है. मैं पुलिस स्टेशन इसीलिए आया हूं कि जो भी कुछ शिवभक्तों पर मामले दर्ज किए गए हैं, उनका जिम्मेदार मैं हूं. मुझे गिरफ्तार किया जाए. इस मामले को जो लोग भी जातीय रंग दे रहे हैं, वो गलत हैं.
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