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महाराष्ट्र: बिल्डर गोपाल ठाकुर को बॉम्बे HC से मिली जमानत, 3 साल बाद भी नहीं शुरू हुई थी सुनवाई

ईडी की तरफ से पेश विशेष लोक अभियोजक संदेश पाटिल और एडवोकेट चिंतन शाह ने गुण-दोष के आधार पर जमानत याचिका का विरोध किया, जबकि अधिवक्ता साकेत केतकर और प्रेमकुमार पांडे ने उन लोगों की दुर्दशा की ओर इशारा किया, जिन्होंने ठाकुर की परियोजनाओं में फ्लैट बुक किए थे.

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बॉम्बे हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
बॉम्बे हाई कोर्ट (फाइल फोटो)

बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने बुधवार को मोनार्क यूनिवर्सल ग्रुप (Monarch Universal Group) के बिल्डर गोपाल अमरलाल ठाकुर को जमानत दे दी. उन पर नवी मुंबई में बड़े पैमाने पर हाउसिंग धोखाधड़ी के मामले में शामिल होने का आरोप है. जमानत गुण-दोष के आधार पर नहीं बल्कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा बिना मुकदमा चलाए लंबे वक्त तक जेल में रखने की वजह से दी गई है.

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गोपाल ठाकुर को 1 जुलाई, 2021 को गिरफ्तार किया गया था और अब तक वह तीन साल, एक महीने और सात दिन की अवधि के लिए जेल में रह चुके हैं. उनकी ओर से पेश हुए वकील राजीव चव्हाण ने कहा कि गोपाल, छह गंभीर अपराधों का सामना कर रहे हैं और उन्हें सभी में जमानत मिल चुकी है. 

चव्हाण ने यह भी बताया कि ईडी के मामले में अभी तक आरोप भी तय नहीं किया गया है, जबकि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से पता चलता है कि अभियोजन पक्ष 67 गवाहों से पूछताछ करना चाहता है, जिसे पूरा करने में लंबा वक्त लगेगा. एडवोकेट राजीव चव्हाण ने इस बात पर भी जोर दिया कि गोपाल ठाकुर को दोषी पाए जाने पर भी अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है, जबकि वह पहले ही कारावास की आधी अवधि काट चुके हैं. 

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ईडी की तरफ से क्या दलील दी गई?

ईडी की तरफ से पेश विशेष लोक अभियोजक संदेश पाटिल और एडवोकेट चिंतन शाह ने गुण-दोष के आधार पर जमानत याचिका का विरोध किया, जबकि अधिवक्ता साकेत केतकर और प्रेमकुमार पांडे ने उन लोगों की दुर्दशा की ओर इशारा किया, जिन्होंने ठाकुर की परियोजनाओं में फ्लैट बुक किए थे.

जस्टिस मनीष पिटाले की बेंच ने पाया कि धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत किसी व्यक्ति को अधिकतम सात साल की सजा दी जा सकती है. जस्टिस पिटाले ने ठाकुर को गोपाल जमानत देते हुए कहा, "ये तथ्य साफ तौर से दर्शाते हैं कि ठाकुर तीन साल, एक महीने और सात दिन की अवधि तक कारावास में रहे हैं, इसलिए उन्हें लंबे वक्त तक जेल में रहने के आधार पर रिहा किया जा सकता है, क्योंकि उचित समय के अंदर मुकदमा पूरा होने की बहुत कम उम्मीद है."

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ईडी की जांच में पता चला है कि बिल्डर गोपाल अमरलाल ठाकुर ने निवेशकों से इकट्ठा की गई बड़ी मात्रा में धनराशि को अपनी कई सहयोगी संस्थाओं में डायवर्ट और गबन किया. मनी ट्रेल के जाल के जरिए, नवी मुंबई के कई बिल्डरों, मेसर्स बाबा होम्स बिल्डर्स एंड डेवलपर्स, मेसर्स लखानी बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स मोनार्क सॉलिटेयर एलएलपी और अन्य के साथ अपराध की बड़ी मात्रा में आय (PoC) जमा की.

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ईडी की जांच में पता चला है कि मोनार्क ग्रुप और उसके निदेशकों ने एक ही फ्लैट को कई खरीदारों को बेच दिया. उन्होंने ग्राहकों की जानकारी के बिना पहले से बिक चुके फ्लैटों को गिरवी रखकर एनबीएफसी से लोन ले लिया.

53 करोड़ की संपत्ति हुई थी कुर्क 

मई 2024 में मुंबई के मोनार्क यूनिवर्सल ग्रुप पर ईडी ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया था. इस कड़ी में ईडी ने पीएमएलए के तहत ग्रुप की नवी मुंबई में स्थित 52.73 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की. दरअसल, मोनार्क यूनिवर्सल ग्रुप पर आरोप लगा कि उसने विज्ञापनों के जरिए नवी मुंबई में अपने कई प्रोजेक्ट्स के लिए बायर्स को आकर्षित किया और फिर उन्हें फ्लैट नहीं दिए. इसके लिए ग्रुप ने एक बड़ी बॉलीवुड अभिनेत्री को ब्रांड एंबेसडर बनाया था. कई निवेशकों ने पुलिस को दी गई अपनी शिकायतों में बताया था कि बॉलीवुड अभिनेत्री द्वारा मोनार्क यूनिवर्सल ग्रुप के प्रोजेक्ट्स का प्रचार देखने के बाद उन्होंने कंपनी में निवेश किया था.

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ईडी ने मेसर्स मोनार्क यूनिवर्सल ग्रुप, गोपाल अमरलाल ठाकुर, हसमुख अमरलाल ठाकुर और अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं के तहत महाराष्ट्र पुलिस में दर्ज मामलों की जांच की. आरोप हैं कि बिल्डर ग्रुप ने फ्लैट खरीदारों के पैसे लेकर रजिस्ट्री नहीं कराई. इसके चलते शिकायत के आधार पर महाराष्ट्र पुलिस ने बिल्डर कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज किए हैं. इन्हीं आरोपों की जांच ईडी ने अपने हाथों में ली. 

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ईडी की जांच से पता चला कि गोपाल अमरलाल ठाकुर ने बड़ी मात्रा में निवेशकों के पैसे को अपनी विभिन्न सहयोगी संस्थाओं में ट्रांसफर कर दिया. उन्होंने निवेशकों के पैसे को बड़ी चालाकी से नवी मुंबई के विभिन्न बिल्डरों जैसे मेसर्स बाबा होम्स, मेसर्स लखानी बिल्डर्स प्रा. लिमिटेड, मैसर्स मोनार्क सॉलिटेयर एलएलपी और अन्य में ट्रांसफर कर दिया. इस पूरे मनी ट्रेल का खुलासा ईडी की जांच में हुआ.
 

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