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पालघर लिंचिंग केस की जांच करेगी CBI, महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी जानकारी

पालघर में 2 साधुओं और उनकी ड्राइवर की लिंचिंग के दौरान की गई हत्या के मामले में अब CBI जांच करेगी. इसकी जानकारी महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दी है. इसके साथ ही कोर्ट ने उन दो याचिकाओं का निस्तारण कर दिया जो सीबीआई जांच की मांग के लिए दायर की गई थीं.

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पालघर में दो साधुओं की हत्या कर दी गई थी
पालघर में दो साधुओं की हत्या कर दी गई थी

महाराष्ट्र के पालघर में 2 साधुओं और उनके ड्राइवर की हत्या की जांच राज्य सरकार सीबीआई को सौंपेगी. राज्य सरकार की तरफ से यह जानकारी मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई बंद कर दी है. महाराष्ट्र के पालघर में साल 2020 में 2 साधुओं और उनके ड्राइवर की हत्या कर दी गई थी. मॉब लिचिंग की इस घटना को लेकर सीबीआई जांच की मांग की गई थी. इसे लेकर 2 याचिकाएं लंबित थीं.

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लंबित थीं दो याचिकाएं

राज्य सरकार की ओर से इस मामले में सीबीआई को मामला सौंपने की जानकारी दी गई तो, सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि राज्य की ओर से लिए गए फैसले के मद्देनजर इस मामले में अब किसी और निर्देश की जरूरत नहीं है, ऐसे में याचिकाओं का निस्तारण किया जाता है. बता दें कि इसके पहले उद्धव ठाकरे सरकार ने इसका विरोध किया था, लेकिन अब शिंदे सरकार ने जांच सीबीआई को सौंपने की बात कही है.

16 अप्रैल को हुई थी पालघर घटना

महाराष्ट्र के पालघर जिले में 16 अप्रैल 2020 को ये घटना हुई थी. यहां बच्चा चोरी के शक में दो साधु समेत 3 लोगों की बेरहमी से पिटाई की गई थी. भीड़ ने 70 साल के साधु कल्पवृक्ष गिरी और 35 साल के साधु सुशील गिरी के साथ उनके ड्राइवर नीलेश तेलगाडे की हत्या कर दी थी. पुलिस ने इस मामले में करीब 250 लोगों को गिरफ्तार किया था. दोनों साधु अपनी गाड़ी से मुंबई से सूरत जा रहे थे तभी पालघर के गढ़चिंचले गांव में भीड़ ने उनकी हत्या कर दी थी.

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उद्धव ठाकरे सरकार ने सीबीआई जांच का किया था विरोध
बता दें कि इससे पहले उद्धव सरकार ने मामले की जांच सीबीआई से कराने का विरोध किया था. इस कदम को महाराष्ट्र सरकार के लिए एक बड़े यूटर्न के तौर पर देखा जा रहा है. जिस समय यह घटना हुई, उस समय राज्य में उद्धव ठाकरे सरकार सत्ता में थी. ठाकरे सरकार ने अदालत को बताया था कि पालघर लिंचिंग मामले में सीबीआई जांच की कोई जरूरत नहीं है. उस समय ठाकरे सरकार ने कहा था कि इस घटना की जांच के लिए महाराष्ट्र पुलिस पूरी तरह से सक्षम है. हालांकि, बाद में राज्य में शिंदे गुट की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि 2020 पालघर लिंचिंग मामले की निष्पक्ष जांच के लिए वे सीबीआई से जांच कराने के लिए तैयार हैं.
 

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