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महाराष्ट्र: जीएन साई बाबा को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत, SC ने बरी किए जाने पर रोक लगाने से किया इंकार

शुक्रवार को ही बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने साईबाबा और पांच अन्य को बरी कर दिया है. उन्हें अपील की अनुमति दी थी और 2017 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में एक सत्र अदालत द्वारा उन्हें दी गई आजीवन कारावास की सजा को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्हें कथित नक्सलियों से कनेक्शन के लिए दोषी ठहराया था.

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महाराष्ट्र में गढ़चिरौली की कोर्ट ने जीएन साईबाबा को नक्सलियों से कनेक्शन का दोषी ठहराया था. (फाइल फोटो)
महाराष्ट्र में गढ़चिरौली की कोर्ट ने जीएन साईबाबा को नक्सलियों से कनेक्शन का दोषी ठहराया था. (फाइल फोटो)

दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को बरी किए जाने के कुछ घंटे बाद ही महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. हालांकि, शुरुआती तौर पर सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. अब इस मामले में सोमवार को सुनवाई होगी.

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बता दें कि शुक्रवार को ही बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने साईबाबा और पांच अन्य को बरी कर दिया है. उन्हें अपील की अनुमति दी थी और 2017 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में एक सत्र अदालत द्वारा उन्हें दी गई आजीवन कारावास की सजा को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्हें कथित नक्सलियों से कनेक्शन के लिए दोषी ठहराया था.

सुप्रीम कोर्ट ने बरी होने पर रोक लगाने से इनकार किया

बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ कुछ घंटे बाद महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस संबंध में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए जस्टिस चंद्रचूड़ के समक्ष आग्रह किया. हालांकि, जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'हम बरी होने पर रोक नहीं लगा सकते. हम इसे सोमवार को सुनेंगे.' हालांकि, मेहता के अनुरोध पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने महाराष्ट्र राज्य को मामले को सूचीबद्ध करने के लिए CJI से उपयुक्त निर्देश लेने के लिए रजिस्ट्रार के समक्ष रख सकते हैं.

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2014 में नक्सलियों से कनेक्शन मामले में हुई थी गिरफ्तारी

साई बाबा फिलहाल नागपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं. उन्हें मई 2014 में नक्सलियों के साथ कथित संबंध के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी से पहले व्हीलचेयर से चलने वाले प्रोफेसर साई बाबा दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाते थे. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र हेम मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद साई बाबा पर शिकंजा कसा गया था. हेम ने जांच एजेंसियों के सामने दावा किया था कि वह छत्तीसगढ़ के अबुजमाड़ के जंगलों में छिपे हुए नक्सलियों और प्रोफेसर के बीच एक कूरियर के रूप में काम कर रहे थे.

हाईकोर्ट में सजा को दी थी चुनौती

जीएन साईंबाबा 90 प्रतिशत शारीरिक रूप से अक्षम हैं. उन्हें गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. इस मामले में पांच अन्य को भी सजा सुनाई गई थी. उन्होंने भी हाई कोर्ट में अपील दायर की थी. दोषियों में से पांडु नरोटे का हाल ही में निधन हो गया, जबकि विजय तिर्की, महेश तिर्की, हेम मिश्रा, प्रशांत राही को भी हाईकोर्ट ने बरी करने का फैसला दिया.

 

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