महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद को लेकर बयानबाजी काफी तेज हो गई है. इस बीच महाराष्ट्र सरकार के मंत्री चंद्रकांत पाटिल और शंभुराज देसाई के साथ सांसद धैर्यशील के आज बेलगाम यात्रा पर जाने की योजना है. इसको लेकर डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वह कोई अनावश्यक कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा नहीं करना चाहते. हालांकि आजाद देश में हमारे मंत्रियों को किसी भी राज्य में जाने से कोई नहीं रोक सकता.
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम ने कहा कि इस मुद्द पर अंतिम फैसला मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ही लेंगे. सूत्रों का दावा है कि बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने महाराष्ट्र के नेताओं को डॉ. अंबेडकर की पुण्यतिथि के अवसर पर नियोजित यात्रा को रद्द करने के लिए कहा है, जो इस मुद्दे पर विवाद को बढ़ा सकता है. वहीं शिंदे गुट के मंत्री शंभुराज देसाई ने स्पष्ट किया है कि इस दौरे को लेकर अंतिम फैसला मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे लेंगे. शिंदे ने अभी तक इस संबंध में कोई घोषणा नहीं की है.
इस बीच, बेलगाम जिला प्रशासन ने एक आदेश जारी कर तीन नेताओं चंद्रकांत पाटिल, शंभुराज देसाई और धैर्यशील माने के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसको लेकर बेलगाम कलेक्टर नितेश पाटिल ने आईपीसी, 1973 की धारा 114(3) के तहत प्रवेश पर रोक लगाने का आदेश भी जारी कर दिया है.
कन्नड समर्थक संगठनों ने किया था विरोध
महाराष्ट्र के इन नेताओं की बेलगाम यात्रा का कर्नाटक में कई कन्नड़ समर्थक संगठनों ने विरोध किया था. इसको लेकर जिला कलेक्टर ने कहा कि जिले में स्थिति गंभीर हो गई है. अगर महाराष्ट्र के नेताओं को अंदर जाने दिया गया तो जिले के लिए मुश्किल होगी. इसलिए उनके प्रवेश पर रोक लगा दी गई है.
महाराष्ट्र का कोई गांव कर्नाटक में नहीं जाएगा: फडणवीस
इससे पहले देवेंद्र फडणवीस ने कहा था, 'महाराष्ट्र का कोई भी गांव कर्नाटक में नहीं जाएगा. हमारी सरकार कर्नाटक के बेलगाम, निप्पणी और कारावार जैसे मराठी भाषी गांवों को पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से लड़ाई लड़ेगी.' कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने इसे भड़काऊ बयान बताया और कहा, 'उनका (फडणवीस) सपना कभी पूरा नहीं होगा. हमारी सरकार राज्य की जमीन, जल और सीमा की सुरक्षा करने के लिए कमिटेड है.'
बोम्मई ने दिया था फडणवीस को जवाब
बोम्मई ने कहा कि कर्नाटक के सीमावर्ती जिलों का कोई भी हिस्सा छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता. उन्होंने तो ये भी कहा कि हमारी मांग तो ये भी है कि महाराष्ट्र के सोलापुर और अक्कलकोट जैसे कन्नड़ भाषी इलाकों को कर्नाटक में मिला देना चाहिए.