महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर सियासी तूफान आने की स्थिति बन रही है. नतीजतन यहां एक बार फिर से पार्टी में भगदड़ देखने को मिल सकती है. इस बार डांवाडोल की ये स्थिति शिंदे गुट के सामने है. सूत्र बता रहे हैं कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना में अब सब कुछ ठीक नहीं रहा है. महाराष्ट्र में एक और सियासी तूफान उठचा दिख रहा है. यूबीटी सेना का दावा है कि एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना के कई विधायक उनके संपर्क में हैं.
यूबीटी सेना में जाने के इच्छुक हैं विधायक!
यूबीटी शिवसेना का दावा है कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना के कई विधायक उनके संपर्क में हैं और वापस यूबीटी सेना में शामिल होने के इच्छुक हैं. यूबीटी सेना के वरिष्ठ नेता का दावा है कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना के 5 से 6 विधायक उनके संपर्क में हैं और उन्होंने यूबीटी सेना में वापस शामिल होने की इच्छा जताई है. जल्द ही उद्धव ठाकरे इस पर फैसला लेंगे और घर वापसी होगी. एक दिन पहले एनसीपी शरद पवार की पार्टी ने दावा किया है कि अजित पवार की पार्टी के 15 से अधिक विधायक उनके संपर्क में हैं और उन्होंने वापस शामिल होने की इच्छा जताई है, हालांकि अजित पवार की पार्टी ने इस दावे का खंडन किया था.
महाराष्ट्र की राजनीति मतलब उथल-पुथल
महाराष्ट्र की राजनीति का पर्याय ही उथल-पुथल है. एनसीपी के मुखिया रहे शरद पवार के समय से ये सिलसिला चला आ रहा है. उन्होंने खुद भी कई बार किसी की सरकार गिराकर, दूसरे की या अपनी सरकार बनाई है. यही खेल बीते साल उनके साथ हुआ, जब उनके भतीजे अजित पवार ने भी उनकी नाक के नीचे से पार्टी और सिंबल छीन लिया और एनडीए के साथ मिलकर राज्य की सरकार में शामिल हो गए. अब एक बार फिर अजित गुट के नेताओं की वापसी की बात सामने आ रही है, हालांकि अजित गुट ने इससे इनकार किया है.
शिंदे असली शिवसेना, लेकिन चुनाव परिणाम कुछ और कहते हैं
उधर, यही हाल उद्धव ठाकरे और शिंदे गुट का है. एकनाथ शिंदे के पास असली शिवसेना का तमगा है, लेकिन अब लोकसभा चुनाव के बाद इस तरह की बातें निकलकर सामने आ रही हैं कि शिंदे गुट में सबकुछ ठीक नहीं है. ये स्थिति क्यों बन रही है, इस पर अभी ठीक-ठीक विश्लेषण तो नहीं किया जा सकता है, लेकिन एक अनुमान ये जरूर है कि लोकसभा चुनावों में आए परिणाम इसकी एक वजह हो सकते हैं.
महाराष्ट्र में उद्धव गुट के आगे कमतर साबित हुआ शिंदे गुट
असल में, महाराष्ट्र में जहां बीजेपी को यूपी और बंगाल की तरह करारा झटका लगा है तो वहीं, व्यक्तिगत तौर पर शिंदे गुट भी उद्धव गुट के आगे कमतर ही साबित हुआ है. जहा शिवसेना उद्धव गुट को 9 सीटें हासिल हुई हैं तो वहीं शिंदे गुट सिर्फ 7 सीटों पर ही सिमट गया है. इसके अलावा मुंबई के किंग बनकर भी उद्धव ही उभरे ही हैं, क्योंकि मुंबई नॉर्थ, मुंबई साउथ, और मुंबई साउथ सेंट्रल पर उद्धव गुट को ही जीत मिली है. मुंबई साउथ, और मुंबई साउथ सेंट्रल पर उद्धव गुट और शिंदे गुट की सीधी लड़ाई थी, जिसमें शिंदे गुट को मुंह की खानी पड़ी है.
असली एनसीपी से जनता की तौबा
कमोबेश यही हाल एनसीपी का भी है. अजित पवार भले ही 'असली' हों, लेकिन जनता का समर्थन 'नकली' एनसीपी शरद पवार के साथ ही है. इसीलिए चुनाव में शरद पवार को 8 सीट मिली हैं, लेकिन अजित पवार के खाते में एक ही सीट आई है. बल्कि वह तो नाक और पावर की लड़ाई बारामती भी हार गए हैं. इस तरह के नतीजे देखने के बाद अंदर खाते में विधायकों के बीच आत्ममंथन तो चल ही रहा होगा कि क्या उन्होंने ऐन चुनावों से पहले इस तरह पार्टी का फेरबदल कर कोई गलती तो नहीं की. हालांकि अजित गुट ने आधिकारिक तौर पर इस उथल-पुथल को अफवाह बताया है.