महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के घर जाकर मुलाकात की. ये मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है क्योंकि एमवीए के नेताओं के आपसी मतभेद साफ-साफ दिखाई दे रहे थे. दरअसल सावरकर को लेकर राहुल गांधी के बयान पर उद्धव तो अडाणी मामले में शरद पवार के बयान से लग रहा था कि एमवीए में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. इसके अलावा उद्धव और पवार की मुलाकात के सियासी मायने क्या हैं.
उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बीच बैठक के लिए राज्यसभा सांसद संजय राउत ने ही पहल की थी. इस मीटिंग से एक दिन पहले संजय राउत ने पवार से मुलाकात की और उद्धव से मीटिंग के लिए प्रस्ताव रखा. उद्धव और शरद पवार की मुलाकात के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं-
दरअसल एमवीए के नेता अलग-अलग मुद्दों पर बयानबाजी कर रहे हैं. जैसे अजित पवार का पीएम मोदी की डिग्री को लेकर बयान, शरद पवार का अडाणी को लेकर बयान, इसके अलावा सावरकर को लेकर कांग्रेस और शिवसेना के बीच बयानबाजी. इसको देखते हुए उद्धव का मानना है कि जनता को ये मैसेज देना जरूरी है कि महाराष्ट्र में विपक्ष यानी एमवीए गठबंधन एकजुट है और उसमें किसी भी तरह की कोई दरार नहीं है. कई मुद्दों पर आपसी मतभेद होंगे, इसको लेकर जनता तक एक मैसेज जाए, इसलिए ये बैठक उनके लिए जरूरी है.
बैठक के बाद कॉन्फिडेंट नजर आए उद्धव
सूत्रों का कहना है कि बैठक के बाद उद्धव ठाकरे काफी खुश नजर आए. उन्हें एक कॉन्फिडेंस की जरूरत थी कि क्या शरद पवार और एनसीपी अभी भी उनके साथ पूरी तरीके से खड़ी है क्योंकि एनसीपी की ओर से एक के बाद बयान आए, उसके बाद उनका कांग्रेस के कई मुद्दों को लेकर विरोध साफ नजर आया था. अब इस बात को लेकर उद्धव संतुष्ट नजर आए कि महाराष्ट्र में तीनों पार्टियां एक साथ चुनाव लड़ेंगी, खासकर विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियां की जाएंगी.
कॉमन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएं
दोनों नेताओं की बैठक में ये तय किया गया कि कुछ ऐसे मुद्दे ढूंढने चाहिए, जो कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनें. कॉमन मुद्दों को लेकर जब विपक्ष के नेता महाराष्ट्र में लोगों के सामने बात करने जाएं तो वो एकसुर में बात करें, एक ही मुद्दे पर बात करें और मु्ददे न भटकाएं, जिसका फायदा बीजेपी उठाने की कोशिश कर रही है. आपसी मतभेद या अलग-अलग मुद्दों पर बयानबाजी का फायदा सीधे बीजेपी को मिल रहा है. इस बात पर वो राजी हुए. एनसीपी सुप्रीमो ने मीटिंग के बाद कहा कि जब हम एक साथ काम करते हैं तो कुछ मतभेद होते हैं. फिर भी हमारा मानना है कि महाविकास अघाड़ी के सभी दलों को एकसाथ आने और आम सहमति से काम करने की जरूरत है.
कांग्रेस नेताओं से बातचीत करेंगे उद्धव-पवार
कांग्रेस के नेताओं से बातचीत करने के लिए दोनों नेताओं ने हामी भरी है. ये भी बताया कि खड़गे ने उन्हें फोन करके कहा है कि वो केसी वेणुगोपाल आकर ठाकरे से मिलेंगे. महाराष्ट्र के कई नेताओं से मिलेंगे. एमवीए का गठबंधन महाराष्ट्र में विधानसभा उपचुनाव, परिषद में जीत हासिल कर चुका है. ऐसे में अब ये गठबंधन बनाए रखना जरूरी है. इसके साथ-साथ केंद्रीय एजेंसियों के मामले आ रहे हैं, उसको लेकर यूनाइटेड विपक्ष खड़ा करने की बात भी की गई है.
प्रदेश में होनी हैं एमवीए की रैलियां
महाराष्ट्र में आने वाले दिनों में एमवीए की लगातार आठ रैलियां होंगी, जो जून तक चलेंगी. उसको लेकर भी चर्चा की गई है. कुल मिलाकर फिलहाल, उद्धव काफी संतुष्ट नजर आए कि पवार अभी भी विपक्ष के साथ खड़े हुए हैं और महाराष्ट्र में खासकर विपक्षी एकता को बनाए रखने के पक्ष में नजर आए.
पहली बार मातोश्री से निकलकर की मुलाकात
इसके अलावा उद्धव ठाकरे का मातोश्री से पहली बार बाहर निकलकर दूसरी पार्टी के नेताओं से मिलने के अलग सियासी मायने हैं. आमतौर पर कहा जाता है कि उनसे मिलने के लिए मातोश्री पर लोग जाते हैं. उद्धव दिखा रहे हैं कि विपक्षी गठबंधन की उनको भी जरूरत है. ये बात उन्होंने साफ दिखाई है. दूसरी बात ये भी है एमवीए ने उद्धव ठाकरे के लिए स्पेशल ट्रीटमेंट संभाजीनगर की रैली में दिखाई थी. उसको लेकर काफी-कुछ चल रहा था कि क्या एमवीए में किसी एक नेता को प्रोजेक्ट करना ठीक होगा.
मातोश्री से बाहर निकलकर सिल्वर ओक जाकर उन्होंने दिखा दिया कि सभी साथ में हैं. शरद पवार को साथ में रखना शिवसेना के लिए कितना जरूरी है ये भी दिखा दिया. वहीं उद्धव ठाकरे का पवार के घर जाकर मिलने को लेकर प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गईं. इसको लेकर शिंदे गुट की ओर से कहा गया कि वो पवार के सामने झुक रहे हैं. बाल ठाकरे से मिलने के लिए लोग मातोश्री आते थे, लेकिन अब उद्धव ठाकरे को शरद पवार के घर सिल्वर ओक पर मिलने जाना पड़ रहा है.