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महाराष्ट्र: जितेंद्र आव्हाड ने अपहरण केस में आरोप मुक्त करने की मांग को लेकर दायर की याचिका

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (SP) के नेता जितेन्द्र आव्हाड ने मामले को मजिस्ट्रेट अदालत में ट्रांसफर करने की मांग की है. उन्होंने यह मांग इस आधार पर की है कि लगाए गए अपराध सेशन जज द्वारा सुनवाई योग्य नहीं हैं, बल्कि मजिस्ट्रेट द्वारा सुनवाई योग्य हैं.

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NCP (SP) नेता जितेंद्र आव्हाड (फाइल फोटो)
NCP (SP) नेता जितेंद्र आव्हाड (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व कैबिनेट मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (SP) के नेता जितेंद्र आव्हाड ने 2020 में उनके खिलाफ दर्ज अपहरण और मारपीट के मामले में आरोप मुक्त करने की मांग करते हुए याचिका दायर की है. जितेंद्र आव्हाड के खिलाफ ठाणे निवासी अनंत करमुसे ने वर्तक नगर पुलिस स्टेशन में केस दर्ज कराया था. अनंत करमुसे ने दावा किया गया था कि 2020 में आव्हाड के लोगों ने उनके साथ मारपीट की थी.

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वैकल्पिक उपाय के रूप में आरोपमुक्त करने की मांग करते हुए, याचिका में इस आधार पर मामले को मजिस्ट्रेट अदालत में ट्रांसफर करने की भी मांग की गई कि जो अपराध दर्ज किए गए हैं, वे विशेष तौर से सेशन जज द्वारा सुनवाई योग्य नहीं हैं, बल्कि मजिस्ट्रेट द्वारा सुनवाई योग्य हैं.

क्या है पूरा मामला?

करमुसे ने अपनी शिकायत में कहा था कि उन्होंने 5 अप्रैल, 2020 को सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर की थी, जिसमें आव्हाड की तस्वीर एक अन्य तस्वीर पर लगाई गई थी. यह कथित तौर पर एनसीपी नेता को पसंद नहीं आया, जो उस समय कैबिनेट मंत्री थे. उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि इसके बाद कुछ पुलिसकर्मी कथित तौर पर मेरे घर गए और मुझे आव्हाड के घर पर ले आए, जहां करीब 15 से 20 लोगों ने बांस, लोहे के पाइप और बेल्ट से मेरी पिटाई की. 

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करमुसे ने आगे आरोप लगाया कि आव्हाड वहीं खड़े थे, जहां मेरी पिटाई हो रही थी. आव्हाड ने मुझे धमकाया और पोस्ट डिलीट करने को कहा. मैंने माफी मांगी और पोस्ट डिलीट करने का वादा किया. 

मजिस्ट्रेड कोर्ट में केस वापस भेजने की मांग

शिकायत के मुताबिक, करमुसे ने कथित तौर पर अपनी पत्नी को फोन करके पोस्ट डिलीट करने को कहा. करमुसे ने कहा कि उन्हें फिर से पीटा गया और फोन पर माफी मांगने का वीडियो रिकॉर्ड करने के लिए कहा गया.

जितेंद्र आव्हाड द्वारा केस को मजिस्ट्रेड कोर्ट में वापस भेजने के पीछे दलील दी गई है कि मामले में अपहरण का आरोप गलत तरीके से लगाया गया है, क्योंकि यह किया ही नहीं गया था. पीड़ित अनंत करमुसे अपने वकील आदित्य मिश्रा के जरिए मामले में अपहरण की धारा जोड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट गए थे. यह धारा तब जोड़ी गई जब मामले में तीसरी चार्जशीट दाखिल की गई.

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अपहरण के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 364 ए के तहत आजीवन कारावास की सजा हो सकती है और यही वह आरोप है, जो इस मामले को सेशन कोर्ट में सुनवाई योग्य बनाता है. इस मामले में कुल 15 लोग आरोपों का सामना कर रहे थे, जिनमें आव्हाड भी शामिल थे. इन 15 में से एक आरोपी पुलिसकर्मी की पिछले साल खुदकुशी से मौत हो गई थी, जबकि दूसरे आरोपी दिलीप यादव ने एक आवेदन लिखकर मांग की थी कि उसे सरकारी गवाह बनने की अनुमति दी जाए.

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इस बीच, महाराष्ट्र सरकार ने आव्हाड के खिलाफ मामले को आगे बढ़ाने के लिए स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अजय मिसर को नियुक्त किया है. मिसर ने पूरे मामले की स्टडी करने और फिर आव्हाड के डिस्चार्ज आवेदन के साथ-साथ दिलीप यादव के सरकारी गवाह बनने के आवेदन पर दलीलें पेश करने के लिए वक्त मांगा.

इस मामले की सुनवाई ठाणे सेशल जज द्वारा 21 अगस्त को फिर से की जाएगी. 

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