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संसद भवन परिसर की पहचान बन चुकी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मूर्ति की जगह अब बदल गई है. संसद के गेट नंबर 1 के पास लगी 16 फीट ऊंची गांधी मूर्ति को अब गेट नंबर 2 और 3 के बीच में रखा गया है. नए संसद भवन का निर्माण तेजी से हो रहा है, इसी के चलते अस्थाई तौर पर इसकी जगह को बदल दिया गया है.
2 अक्टूबर 1993 को तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इस मूर्ति का अनावरण किया था. तब से अबतक ये मूर्ति गेट नंबर 1 के पास ही स्थित है. संसद भवन परिसर में अक्सर विपक्षी पार्टियों द्वारा यहां पर ही विरोध प्रदर्शन किया जाता है, यही कारण है कि संसद भवन परिसर में इसकी एक खास जगह है.
इतना ही नहीं कोई भी सदस्य पहली बार चुनकर संसद पहुंचते थे तो वह सब भी गांधी स्टैचू पर आकर अपनी फोटो खिंचवाते थे. इसके अलावा अगर कोई शख्स बाहर से संसद भवन परिसर में तो आता था वह भी गांधी स्टैचू ही जाता था. ध्यान की मुद्रा में बैठे गांधीजी संसद भवन में सब को आकर्षित करते थे.
कई बार गांधी स्टैचू पर अलग-अलग मुद्दों पर अलग-अलग राजनीतिक पार्टियां एक साथ धरना प्रदर्शन करती थीं. हालांकि अब 29 जनवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र में विपक्षी पार्टियों को विरोध प्रदर्शन के लिए गेट नंबर 2 और 3 के पास जाना होगा.
फिलहाल गांधी स्टैचू को अस्थाई जगह पर रखा गया है. लेकिन जब नई संसद बन जाएगी, तो उसे उसके सही स्थान पर फिर से स्थापित कर दिया जाएगा.
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महात्मा गांधी की इस मूर्ति का डिजाइन भी गुजरात के मूर्तिकार राम सुतार ने ही बनाया था, जिसमें महात्मा गांधी आंखें बंद करके बैठे हुए हैं. राम सुतार ने ही सरदार पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का डिजाइन तैयार किया था.
गौरतलब है कि बीते दिनों ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन का भूमि पूजन किया, जिसके बाद उसका निर्माण तेजी से किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट से भी सरकार को इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की हरी झंडी मिल गई थी.
सरकार का लक्ष्य है कि साल 2022 तक नए संसद भवन का निर्माण कर लिया जाए. ताकि आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर संसद का संयुक्त सत्र नए भवन में ही आयोजित किया जाए.