टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है. संसद सदस्यता रद्द होने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस खन्ना ने कहा कि उन्हें महुआ की अर्जी की फाइल पढ़ने का मौका नहीं मिला. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 3 जनवरी तक टाल दी है.
सुनवाई के दौरान महुआ के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जस्टिस खन्ना की फाइल पढ़ने का मौका नहीं मिलने वाली टिप्पणी पर कहा कि वे सिनॉप्सिस पढ़कर कोर्ट को एसिस्ट कर सकते हैं. इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि वो पहले खुद फाइल पढ़ेंगे तब सुनवाई करेंगे.
कैश फॉर क्वेरी मामले में एथिक्स कमेटी की सिफारिश के बाद पिछले शुक्रवार को महुआ की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी. इस फैसले को महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. दरअसल, महुआ पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोप लगे थे. साथ ही महुआ पर अपने दोस्त हीरानंदानी को संसद की लॉगइन आईडी और पासवर्ड शेयर करने का भी आरोप लगा था. एथिक्स कमेटी ने इन आरोपों को सही बताया था.
संसद में पेश की गई इस रिपोर्ट में महुआ के खिलाफ आरोपों को गंभीर बाताया था और कार्रवाई की मांग की थी. साथ ही संसद सदस्यता रद्द करने की मांग की थी. इस रिपोर्ट पर चर्चा के बाद यह ध्वनिमत से पारित हो गई थी. स्पीकर ओम बिरला ने कहा था, यह सदन समिति के निष्कर्ष को स्वीकार करता है कि सांसद महुआ मोइत्रा का आचरण एक सांसद के रूप में अनैतिक और अशोभनीय था. इसलिए, उनका सांसद बने रहना उचित नहीं है.
क्या है मामला?
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने पिछले दिनों टीएमसी की महुआ मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के लिए रियल स्टेट कारोबारी हीरानंदानी से रिश्वत लेने का आरोप लगाया था. निशिकांत दुबे ने ये आरोप महुआ के पूर्व दोस्त जय अनंत देहाद्रई की शिकायत के आधार पर लगाए. निशिकांत की शिकायत पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कमेटी का गठन किया. निशिकांत दुबे ने बिरला को लिखे लेटर में गंभीर 'विशेषाधिकार के उल्लंघन' और 'सदन की अवमानना' का मामला बताया था.
कमेटी ने महुआ मोइत्रा, निशिकांत दुबे समेत कई लोगों के बयान दर्ज किए थे. विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली समिति ने 9 नवंबर को एक बैठक में 'कैश-फॉर-क्वेरी' के आरोप पर महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश करते हुए अपनी रिपोर्ट तैयार की थी. कमेटी के 6 सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था. इनमें कांग्रेस सांसद परनीत कौर भी शामिल थीं, जिन्हें पहले पार्टी से निलंबित कर दिया गया था.