ओडिशा सरकार ने एक हाई-प्रोफाइल यौन उत्पीड़न मामले के बाद राज्यभर में 50 से अधिक वरिष्ठ IPS अधिकारियों का तबादला कर दिया है. इंडिया टुडे के सूत्रों के अनुसार, इस मामले की जांच में सामने आई अनियमितताओं को इस बड़े पुलिस फेरबदल के पीछे का प्रमुख कारण माना जा रहा है.
सबसे प्रमुख तबादलों में एडीजीपी अरुण बोथरा का ट्रांसफर शामिल है, जो पहले इस मामले की कुछ जांच पहलुओं की देखरेख कर रहे थे. विनयतोश मिश्रा, जो पहले राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के निदेशक थे, उन्हें CID के नए प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया है. इस नेतृत्व परिवर्तन को मामले की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है, खासकर जब पुलिस के कुप्रबंधन पर सवाल उठे थे.
इस फेरबदल के साथ ही पांच पुलिस अधिकारियों को भी निलंबित किया गया है, जिन पर प्रारंभिक जांच के दौरान लापरवाही का आरोप है. इन अधिकारियों को CID की जांच टीम के साथ फॉरेंसिक पॉलीग्राफ परीक्षण के लिए गांधीनगर, गुजरात ले जाया गया है. यह कदम उनके संभावित लापरवाही या मामले में शामिल होने की जांच के लिए उठाया गया है, ताकि न्याय सुनिश्चित किया जा सके.
यह मामला, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है, भुवनेश्वर के भरतपुर पुलिस थाने में एक महिला के साथ कथित यौन उत्पीड़न के आरोपों से जुड़ा है, जो एक सेना अधिकारी की मंगेतर है. सेना ने अपने एक कर्मी की संलिप्तता सामने आने के बाद तुरंत हस्तक्षेप किया. सेना के हस्तक्षेप के बाद मामला एसडीजेएम को सौंप दिया गया. मामले की जांच अभी जारी है, और सेना इसकी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जांच पर नजर बनाए हुए है.
सेना की निगरानी ने जांच में विश्वसनीयता का एक नया आयाम जोड़ा है. सूत्रों के अनुसार, सेना इस मामले की प्रगति पर सक्रिय रूप से नजर रखे हुए है. मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए, सेना की यह भूमिका बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि इसमें सेना से जुड़े शख्स की संलिप्तता है.
घटनाक्रम से परिचित सूत्रों के अनुसार, हालिया पुलिस फेरबदल का एक कारण इस मामले की जांच में सामने आई अनियमितताएं हैं. मामले में खामियों और कथित लीपापोती के आरोपों ने बड़े पैमाने पर चिंता पैदा की है, जिससे राज्यभर में पुलिस प्रोसीडिंग की व्यापक समीक्षा की जा रही है.