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कैश फॉर क्वेरी मामले में घिरीं TMC सांसद महुआ मोइत्रा को ममता बनर्जी ने बंगाल में दी बड़ी जिम्मेदारी

संसद की आचार कमेटी ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ अपनी जांच रिपोर्ट स्पीकर कार्यालय को सौंप दी है. इस बीच ममता बनर्जी ने महुआ पर अपना भरोसा जताया है. उन्हें लोकसभा चुनावों से पहले कृष्णानगर का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया है.

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टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा (फाइल फोटो)
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा (फाइल फोटो)

कैश फॉर क्वेरी मामले में मुश्किलों का सामना कर रहीं टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर ममता बनर्जी ने अपना भरोसा बरकरार रखा है. उन्हें टीएमसी के कृष्णानगर (नादिया उत्तर) का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया है. महुआ मोइत्रा को यह जिम्मेदारी 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले दी गई है. 

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बता दें कि बीते सोमवार को टीएमसी ने पश्चिम बंगाल के 35 संगठनात्मक जिलों के लिए जिला अध्यक्षों की लिस्ट जारी की. इसमें महुआ मोइत्रा का नाम भी शामिल है. महुआ को पहले कृष्णानगर जिले के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था. 

महुआ मोइत्रा ने जिलाध्यक्ष बनाए जाने के बाद अपनी नेता और सीएम ममता बनर्जी को धन्यवाद दिया है. कृष्णानगर के जिला अध्यक्ष के रूप में मोइत्रा की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है, जब लोकसभा आचार समिति ने उनके खिलाफ कैश-फॉर-क्वेरी आरोपों की जांच के मद्देनजर उन्हें सदन से अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की है.  

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हालांकि टीएमसी सांसद ने अपने खिलाफ लगे आरोपों का खंडन कर दिया है और उन्हें अपमानजनक, झूठा, आधारहीन और यहां तक कि बिना किसी सबूत के बताया है.  

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कमेटी ने स्पीकर कार्यालय को सौंपी रिपोर्ट

संसद की आचार समिति ने बीते शुक्रवार को स्पीकर ओम बिड़ला के कार्यालय को महुआ मोइत्रा के खिलाफ आरोपों पर अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है. समिति में बहुमत से अपनाई गई रिपोर्ट में महुआ पर व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के इशारे पर संसद में सवाल उठाने के लिए "इलीगल ग्रेटिफिकेशन" स्वीकार करने का आरोप लगाया है. 

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हालांकि कमेटी के फैसले के जवाब में महुआ मोइत्रा ने कहा, समिति के पास निष्कास की सिफारिश करने का आधार नहीं था. उन्होंने कहा कि ये एक शुरू से ही फिक्स मैच था. महुआ ने कहा कि मसौदा रिपोर्ट पर कोई चर्चा नहीं हुई और नैतिकता पैनल अध्यक्ष ने इसे सीधे मतदान के लिए रख दिया.  

महुआ मोइत्रा पर क्या आरोप हैं? 

महुआ मोइत्रा पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाए थे. इसमें कहा गया कि महुआ ने बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी के कहने पर संसद में अडानी ग्रुप और पीएम मोदी पर लगातार हमला बोला और इसी मुद्दे से जुड़े सवाल उठाए. इसके बदले बिजनेसमैन से उनको गिफ्ट्स मिले थे. 

महुआ पर ये भी आरोप थे कि उन्होंने अपनी संसदीय आईडी का लॉगइन पासवर्ड व्यापारी के साथ शेयर किया था, जिससे व्यापारी खुद महुआ की तरफ से उनकी आईडी का इस्तेमाल कर संसद में सवाल पूछ रहे थे. 

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मामला सामने आने के बाद इसकी शिकायत लोकसभा स्पीकर से हुई और जांच एथिक्स कमेटी को सौंपी गई. इस बीच बुधवार को बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने दावा किया था कि अब इस मामले की जांच लोकपाल ने सीबीआई को सौंप दी है. हालांकि, लोकपाल की तरफ से इस पर कुछ नहीं कहा गया है.

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