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पेगासस जासूसी कांड, कोरोना और महंगाई जैसे मुद्दों पर एक तरफ संसद का मॉनसून सत्र हंगामे की भेंट चढ़ने जा रहा है तो दूसरी तरफ बंगाल विजय के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) दिल्ली में अपनी नई पारी की तैयारी कर रही हैं. इस सिलसिले में वे तमाम विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर रही हैं और अब तक सोनिया गांधी, राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल और कमलनाथ जैसे नेताओं से मुलाकात कर चुकी हैं.
बुधवार दोपहर को ममता बनर्जी ने पत्रकारों के साथ चाय पर चर्चा की. ये चर्चा ऑफ रिकॉर्ड रखी गई थी, जिसमें आजतक की तीन एंकर्स ने शिरकत की. हमने इन तीनों पत्रकारों से जानने की कोशिश की, कि आखिर ममता बनर्जी ने पत्रकारों के साथ ये चर्चा क्यों रखी और क्या संदेश दिया.
ममता जीत के आत्मविश्वास से भरी हैं: अंजना ओम कश्यप
एक राज्य के मुख्यमंत्री का दिल्ली (Delhi) आकर यहां के मीडिया से ऑफ रिकॉर्ड मुलाकात करना दिलचस्प है. इस मीटिंग के लिए मिले आमंत्रण पर मैं भी वहां पहुंची थी. ममता बनर्जी के चेहरे पर जीत की एक चमक थी. उनका आत्मविश्वास उनके चेहरे पर झलक रहा था, जैसे कि उन्हें मोदी को हराने का मंत्र मिल गया हो. हर बात पर वे दोहरा रही थीं कि मोदी और अमित शाह से डरने की जरूरत नहीं है. उन्होंने बार-बार ये संदेश देने की कोशिश की कि मोदी का मुकाबला करने का मंत्र हमें आता है और बंगाल में हमने उन्हें सबक सिखा दिया है.
सबसे दमदार जवाब उनका एक सवाल पर था जब किसी पत्रकार ने पूछा कि बंगाल से आकर आपको लगता है कि आप विपक्ष को एकजुट कर लेंगी? इस पर ममता बनर्जी बिफर पड़ीं- क्यों? गुजरात से आकर नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और अमित शाह (Amit Shah) दिल्ली में राज कर सकते हैं तो ममता बनर्जी क्यों नहीं आ सकती? मैं कोई बाहरी हूं क्या? अगर बाहरी कोई है तो बंगाल में ये बाहरी थे. मैं बंगाल की हूं. लेकिन अगर गुजरात से आकर कोई अपनी धमक दिल्ली में जमा सकता है तो मैं बंगाल से आकर सभी विपक्षियों को एकजुट क्यों नहीं कर सकती?
जब उनसे पूछा गया कि विपक्ष का चेहरा कौन होगा तो उन्होंने कहा कि थोड़ा इंतजार कीजिए. अभी तमाम पार्टियों को एकजुट होना है और रणनीति तय करनी है. हालांकि, शरद पवार से मुलाकात पर उन्होंने कुछ खास जवाब नहीं दिया. यानी आने वाले वक्त में तस्वीर और भी बड़ी हो सकती है. अब तक की गतिविधियों से वे ये संदेश देने की कोशिश कर रही हैं कि विपक्ष को एकजुट होना होगा.
हालांकि, विपक्ष की 14 पार्टियों ने जब दिल्ली में बैठक की, जिसकी अध्यक्षता राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने की. राहुल गांधी भी इस बैठक में शामिल थे. लेकिन इस बैठक में टीएमसी के सांसदों को नहीं बुलाया गया. यानी शुरुआत में ही विपक्षी एकता में एक बिखराव की स्थिति बनती दिख रही है. ममता के दिल्ली दौरे के बीच उनकी पार्टी के सांसदों को विपक्ष की तरफ से न्यौता नहीं देना क्या ममता के लिए कोई संदेश है? जो भी हो, लेकिन ममता अपने आत्मविश्वास में हैं. पत्रकारों से मुलाकात में उन्होंने तमाम सवालों के जवाब दिए. किसी भी सवाल ऐसा नहीं लगा कि वे आपा खो रही हों. उन्होंने मीडिया को भी नहीं डरने का संदेश देने की कोशिश की.
विपक्ष के मुद्दों पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि सभी अपने-अपने तरह से मुद्दों को उठा रहे हैं लेकिन जासूसी कांड बहुत बड़ा मुद्दा है. हम इस मुद्दे को और जोर-शोर से उठाएंगे. ममता ने ये भी साफ इशारा किया कि यूपी चुनाव में अगर विपक्षी पार्टियां उन्हें प्रचार के लिए बुलाती हैं तो वे तैयार हैं. यानी यूपी चुनाव में भी ममता की सक्रियता रहेगी. इस बैठक के जरिये वे विपक्षी पार्टियों और मीडिया को ये बताना चाह रही थीं कि मोदी और शाह को हराने का फॉर्मूला उन्हें मिल चुका है.
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ममता बोलीं, "विपक्ष एकजुट हो जाए तो बीजेपी को हराना मुश्किल नहीं": चित्रा त्रिपाठी
बंगाल जीतने के बाद ममता बनर्जी जोश से भरी हुई हैं. राजनेताओं से ताबड़तोड़ मुलाकात के बीच ममता बनर्जी पत्रकारों से मिलीं और उनके हर सवाल का जवाब भी बेबाकी के साथ दे रही थीं. दिल्ली पहुंचीं ममता बनर्जी बीजेपी को हराने का प्लान तैयार कर रही हैं. बार-बार उनके सामने सवाल आता कि मोदी के सामने कौन होगा और वे बीजेपी को हराने की बात कहकर मुद्दे गिनाने लगतीं. उनकी ओर से सारा फोकस इस बात पर रहा कि विपक्ष अगर एकजुट हो जाएगा तो बीजेपी को हराना मुश्किल नहीं होगा.
पत्रकारों से ममता बनर्जी से ये अनौपचारिक मुलाकात थी. सारे कैमरे बाहर थे लेकिन टीएमसी के कैमरे और माइक पत्रकारों के लिए उपलब्ध थे. ममता बनर्जी ने माइक अपने हाथ में थामा और कहा कि पत्रकारों को चाय-नाश्ते से ज्यादा इस बात की चिंता रहती है कि उन्हें खबर क्या मिल रही है. ममता को देखकर ऐसा लग रहा था कि वे उत्साह में हैं. अपने अंदाज में वे बीजेपी पर निशाना साधती हैं तो उनकी बातों से सबके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है.
मेरी बारी आने पर मैंने उनसे तीन सवाल पूछे. पहला, बंगाल में आपका चेहरा था, हर जगह बड़ी-बड़ी होर्डिंग में लिखा था कि बंगाल को अपनी बेटी चाहिए. ये नारा काम कर गया और आपकी प्रचंड जीत हुई, मगर चुनाव के दौरान ही आपके चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की ओर से कहा गया कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि मोदी आज देश का सबसे बड़ा चेहरा हैं. ऐसे में उन्हें हराने के लिए विपक्ष से कौन सा चेहरा होगा जो उनका मुकाबला कर सके? दूसरा, चुनाव के दौरान आपकी पार्टी की ओर से बार-बार प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का जिक्र कर कहा जा रहा था कि आप वहां चुनाव के लिए जाएंगी. आपका अब बनारस का प्लान क्या है? तीसरा, सपा के लोगों ने बंगाल में जाकर आपके लिए वोट मांगा था. क्या सपा के लिए आप प्रचार के लिए जाएंगी?
तीनों सवालों का जवाब आराम से देते हुए दीदी ने कहा कि बीजेपी को मैं नहीं बल्कि जनता हराएगी. रही बात चेहरे की तो अभी विपक्षी एकजुटता जरूरी है. बाद में चेहरा भी आ जाएगा. अभी सारा फोकस बीजेपी को हराने पर रखना है. अभी बच्चा पैदा नहीं हुआ और आप मुझसे अन्नप्राशन पर सवाल पूछने लगीं. वाराणसी के सवाल पर मुस्कान लिए ममता का कहना था कि जरूर जाऊंगी वाराणसी. वहां तो लजीज खाना बनता है. वहां का माहौल भी अच्छा लगता है. गंगा, अलग-अलग घाट सबकुछ अच्छा है. इन लाइनों के जरिए दरअसल सीधे तौर पर कुछ न कहकर दीदी ने खेला करने की कोशिश की और संकेत दे दिया कि वक्त आने पर वे काशी जाएंगी.
यूपी में 6 महीने के बाद विधानसभा चुनाव होने हैं और ममता इस चुनाव को लेकर भी उत्साहित दिखीं. उन्होंने जवाब दिया कि अगर वहां की पार्टियां बुलाएंगी तो वे प्रचार करने जाएंगी. ममता यहीं नहीं रुकीं. 16 अगस्त को खेला दिवस का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बंगाल में खेला हो गया है मगर अब देश में खेला शुरू होगा और मुस्कराने लगीं.
2024 में पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष के नेतृत्व के सवाल पर ममता ने कहा, 'भाजपा को हराने के लिए सबका साथ आना जरूरी है. मैं अकेले कुछ नहीं कर सकती. सबको मिलकर काम करना होगा. मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूं. मैं कोई चेहरा भी नहीं थोपना चाहती. यह उस समय की परिस्थिति पर निर्भर करेगा. अगर विपक्ष की ओर से कोई दूसरा चेहरा भी सामने आता है तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है. जब मामले पर चर्चा होगी तो हम इस पर फैसला करेंगे. मैं नेता नहीं बनना चाहती, बल्कि एक साधारण कैडर बनकर काम करना चाहती हूं.'
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दिल्ली में विजेता की तरह आश्वस्त दिखी बंगाल की 'स्ट्रीट फाइटर': प्रीति चौधरी
उन्हें पिछली बार जब मैंने देखा था तब वे चुनावी रैली में व्हीलचेयर पर थीं और उनके पैर पर प्लास्टर था. रैली के आखिर में जब राष्ट्रगान बजा तो ममता बनर्जी ने खड़े होने के लिए संघर्ष किया और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उठ खड़ी हुईं. वे ऐसा खड़ी हुईं कि सत्ताविरोधी लहर के उस तिलिस्म को तोड़ दिया जिसके सहारे बीजेपी जीत की आस लगाए बैठी थी. एक धारणा है कि चीजें शायद ही कभी वैसी होती हैं जैसी दिखती हैं.
बुधवार को दिल्ली में ममता को एक बार फिर से देखने से पहले उनके बारे में मेरी धारणा ऐसी थी, जैसे एक जख्मी मुक्केबाज बेहद गुस्से में रिंग में प्रवेश करता है और अपने से ज्यादा वजन वाले खिलाड़ी को पंच मारने का प्रयास करता है. लेकिन बुधवार को मैंने जो देखा वह एक विश्व चैंपियन का स्वैग था जो इस बात से आश्वस्त लग रहा था कि उसने मुकाबला जीत लिया है.
ममता दीदी ने अपनी 5 दिवसीय दिल्ली यात्रा के दौरान कुछ चुनिंदा पत्रकारों से मिलने का फैसला किया. जाहिर है कि इस सूची में जगह बनाना आसान नहीं था. जगह थी लुटियन दिल्ली का एक बंगला जो संसद भवन से थोड़ी ही दूर पर है. ममता की महिला सुरक्षा कर्मियों का घेरा पार करते ही सबसे पहले टीएमस बीट के रिपोर्टर पार्टी के मीडिया सेल से बहस करते दिखे कि उन्हें इस 'सूची' में जगह क्यों नहीं मिली. ममता दीदी की एक करीबी सहयोगी ने हस्तक्षेप किया और रिपोर्टर्स को अंदर जाने दिया गया.
अखबार और चैनलों के लगभग 60 पत्रकारों के साथ ममता बनर्जी ने एक अनौपचारिक बातचीत की, जहां राष्ट्रीय स्तर पर उनकी महत्वाकांक्षाओं और विपक्षी एकजुटता पर चर्चा की गई. जिसने उन्हें चुनावी मोड में देखा था, उनके लिए ये एकदम अलग ममता थीं. 'स्ट्रीट फाइटर' की छवि से परे यहां उनके व्यवहार में सहजता थी. वे जिस तरह से सवालों का सामना कर रही थीं, लग रहा था कि उनका पुराना व्यक्तित्व मौजूद है लेकिन असहजता गायब है. कुछ पत्रकारों ने जब दिल्ली में उनके बाहरी होने को लेकर सवाल किया तो उन्होंने दीदी स्टाइल में झिड़की लगाते हुए मोदी का उदाहरण पेश कर दिया कि कैसे 'दिल्ली' के पत्रकार गुजरात के मोदी को अपने बीच का मानते हैं लेकिन उन्हें बाहरी मानते हैं.
बंगाल की मुख्यमंत्री ने 45 मिनट तक सवालों का सामना किया. उन्होंने पत्रकारों को एक से ज्यादा सवाल करने पर झिड़की दी लेकिन सबको मौका दिया. यहां अहम बात ये थी कि आमतौर पर कम बोलने वाले ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी भी 'दिल्ली' के पत्रकारों के साथ बड़ी आसानी से बातचीत कर रहे थे.
राष्ट्रगान के साथ बैठक खत्म हुई. उनके स्टाफ के सदस्य ने बंगाली में सबको धन्यवाद दिया तो ममता ने इसे हिंदी और अंग्रेजी में भी दोहराने के लिए कहा. जाहिर है कि इस महत्वपूर्ण दौरे में इसका खास महत्व है.