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'5 लाख क्यूसेक पानी अनियोजित तरीके से छोड़ा, DVC से तोड़ेंगे संबंध...', ममता ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी

ममता ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर यह एकतरफा दृष्टिकोण जारी रहा, जिससे मेरे राज्य के लोगों को परेशानी हुई, तो हमारे पास DVC से पूरी तरह अलग होने और अपनी भागीदारी वापस लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा. हम इस अन्याय को साल दर साल अपने लोगों को प्रभावित करने की अनुमति नहीं दे सकते.

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ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को लेटर लिखा है
ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को लेटर लिखा है

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि बंगाल दामोदर घाटी निगम (DVC) के साथ सभी संबंध तोड़ देगा, क्योंकि उसने एकतरफा पानी छोड़ा है, जिससे दक्षिण बंगाल के जिलों में बाढ़ आई है. पीएम मोदी को लिखे 4 पन्नों के लेटर में ममता ने दावा किया कि बंगाल में 50 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं और उन्होंने बाढ़ से हुई व्यापक तबाही से निपटने के लिए तत्काल केंद्रीय कोष जारी करने का अनुरोध किया है. बता दें कि 

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सीएम ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा कि मैं आपका ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहती हूं कि दामोदर घाटी निगम के स्वामित्व और रखरखाव वाले मैथन और पंचेत बांधों से लगभग 5 लाख क्यूसेक की मात्रा में पानी अनियोजित तरीके से छोड़ा गया, इसके चलते साउथ बंगाल के सभी जिले भयंकर बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. इससे आम लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

ममता ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर यह एकतरफा दृष्टिकोण जारी रहा, जिससे मेरे राज्य के लोगों को परेशानी हुई, तो हमारे पास DVC से पूरी तरह अलग होने और अपनी भागीदारी वापस लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा. हम इस अन्याय को साल दर साल अपने लोगों को प्रभावित करने की अनुमति नहीं दे सकते. 

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सीएम ममता बनर्जी ने दावा किया कि बाढ़ से प्रभावित साउथ बंगाल के जिले ईस्ट बर्धमान, वेस्ट बर्धमान, बीरभूम, बांकुरा, हावड़ा, हुगली, पूर्व मेदिनीपुर और पश्चिम मेदिनीपुर हैं. उन्होंने लिखा कि राज्य अब लोअर दामोदर और आसपास के इलाकों में 2009 के बाद सबसे बड़ी बाढ़ का सामना कर रहा है. 

राज्य के लगभग 50 लाख लोग फसलों के नुकसान, सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और घरों, मवेशियों सहित निजी संपत्तियों को हुए नुकसान के कारण दुखों के भंवर में फंस गए हैं. मैं इसे मानव निर्मित बाढ़ कहने के लिए मजबूर हूं. बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों ने डीवीसी अधिकारियों को खतरे के निशान के करीब या उससे ऊपर बह रही नदियों की गंभीर स्थिति के बारे में जानकारी दी है, साथ ही समय-समय पर छोड़े जाने वाले पानी को रोकने का अनुरोध भी किया है. 

ममता ने कहा कि मैंने 16 सितंबर की रात को डीवीसी के चेयरमैन से फोन पर बात भी की, उन्होंने कहा कि 17 सितंबर को 9 घंटे के भीतर 90,000 क्यूसेक से अचानक 2,50,000 क्यूसेक तक पानी छोड़ा गया, जो लंबे समय तक जारी रहा. बनर्जी ने डीवीसी जलाशयों की बाढ़ के पानी को बनाए रखने की क्षमता को बहाल करने के लिए ड्रेजिंग और डिसिल्टिंग की आवश्यकता पर भी जोर दिया. 

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'जमीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई'

बंगाल की सीएम ने लिखा कि पिछले 10 वर्षों में कई बार आपके और पूर्वी क्षेत्रीय परिषद सहित अन्य मंचों पर ड्रेजिंग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है. हालांकि, भारत सरकार और डीवीसी की ओर से अब तक की कार्रवाई अध्ययन, जांच और परियोजनाओं को तैयार करने के आधे-अधूरे प्रयासों तक ही सीमित रही है. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के सांसदों और मंत्रियों के प्रतिनिधिमंडल की टीम का भी जिक्र किया, जिन्होंने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री के समक्ष इस मामले को उठाया था. उन्होंने कहा कि मैंने नीति आयोग की बैठक में इस मुद्दे को उठाया था. दुर्भाग्य से जमीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. 

'इस मामले पर गंभीरता से विचार करें'

बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं आपसे आग्रह करती हूं कि आप इस मामले पर गंभीरता से विचार करें और संबंधित मंत्रालयों को इन मुद्दों को सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में संबोधित करने का निर्देश दें, जिसमें लोगों के हित में बाढ़ प्रबंधन कार्य करने के लिए पर्याप्त केंद्रीय निधियों की मंजूरी और रिलीज शामिल है. ममता ने कहा कि राज्य बाढ़-ग्रस्त क्षेत्रों में लोगों के जीवन और संपत्तियों को बचाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहा है. उन्होंने कहा कि राहत अभियान और लोगों को फ्लड शेल्टर में स्थानांतरित करना पहले से ही जोरों पर है. मैंने जमीनी स्तर पर स्थिति का जायजा लेने के लिए व्यक्तिगत रूप से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है.

क्या है डीवीसी, जिस पर ममता ने लगाए आरोप 

दामोदर घाटी निगम को डीवीसी के रूप में भी जाना जाता है, यह केंद्र सरकार का उपक्रम है, जिसकी स्थापना 1948 में हुई थी. डीवीसी का मुख्यालय कोलकाता में है. यह झारखंड और पश्चिम बंगाल में कई थर्मल प्लांट और हाइड्रोइलेक्ट्रिक बांध का संचालन करता है. यह 4 बांधों के नेटवर्क को कंट्रोल करता है - बराकर नदी पर तिलैया और मैथन, दामोदर नदी पर पंचेत, और कोनार नदी पर कोनार.

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