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'तू है क्या चीज...', कोर्ट में फैसला आते ही भड़का शख्स

दिल्ली के द्वारका स्थित न्यायिक मजिस्ट्रेट ने छह साल पुराने एक चेक बाउंस मामले में एक शख्स के खिलाफ फैसला सुनाया. इसके बाद दोषी भड़क गया. उसने न्यायाधीन को धमकाते हुए कहा, 'तू है क्या चीज... तू बाहर मिल देखते हैं कैसे जिंदा घर जाती है.... साथ ही उन्होंने न्यायाधीश की मां के खिलाफ टिप्पणी भी कीं.'

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कोर्ट. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
कोर्ट. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

एक चेक बाउंस के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद शख्स और उसके वकील ने हाल ही में दिल्ली की एक अदालत में महिला न्यायाधीश को धमकाया और गालियां दीं.

दरअसल, दिल्ली के द्वारका स्थित न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी शिवांगी मंगलाहाड ने छह साल पुराने एक चेक बाउंस मामले में एक शख्स के खिलाफ फैसला सुनाया. इसके बाद दोषी भड़क गया. उसने न्यायाधीन को धमकाते हुए कहा, 'तू है क्या चीज... तू बाहर मिल देखते हैं कैसे जिंदा घर जाती है...' साथ ही उन्होंने न्यायाधीश की मां के खिलाफ टिप्पणी भी कीं.

आरोपी के हाथ में कुछ वस्तु भी थी और फैसले के बाद उसने उसे न्यायाधीश पर फेंकने की कोशिश की. जज ने आदेश में कहा कि आरोपी ने अपने पक्ष में फैसला न आने पर अदालत में जज पर गुस्सा से भड़क गया और कहा कि कैसे उसे दोषी ठहराने का फैसला सुनाया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि उसने जज को अनौपचारिक हिंदी भाषा में जज की मां के खिलाफ टिप्पणी करते हुए परेशान करना शुरू कर दिया.

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न्यायाधीश ने कहा, अभियुक्त ने अपने वकील को आदेश दिया कि अपने पक्ष में फैसला करवाने के लिए कुछ भी करने को तैयार. फिर दोनों ने जज को परेशान करना शुरू कर दिया. इसके बाद दोनों ने उसे नौकरी से इस्तीफा देने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप और आरोपी को बरी करने के लिए प्रताड़ित किया. और ऐसा न करने पर वे उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करा देंगे और जबरन उसका इस्तीफा दिलवा देंगे.

न्यायाधीश ने आदेश में कहा कि धमकियों और उत्पीड़न के लिए दोषी के खिलाफ राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) के समक्ष उचित कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए. 

उन्होंने उसके वकील को कारण बताओ नोटिस जारी करने का भी आदेश दिया, ताकि वह लिखित रूप में उसके आचरण के लिए स्पष्टीकरण दे और यह भी पूछे कि दुर्व्यवहार के लिए आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए उसे दिल्ली HC क्यों न भेजा जाए.

आपको बता दें कि न्यायिक मजिस्ट्रेट (एनआई एक्ट) शिवांगी मंगलाहाड ने आरोपी को परक्राम्य लिखत सेक्शन की धारा 138 (चेक अनादर) के तहत दंडनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया था.

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