कर्नाटक के मंगलुरु में हुए ब्लास्ट में आरोपी फर्जी आईडी से तमिलनाडु के मदुरै में रुका था. इसकी जांच कर रही टीम को ये जानकारी मिली है. आरोपी शारिक के फोन से मिली जानकारी के आधार पर कर्नाटक की जांच टीम ने मदुरै का दौरा किया, जिसमें कथित तौर पर शारिक को कई दिनों तक शहर में रहने का पता चला था.
मंगलुरु ब्लास्ट केस की जांच कर रही स्पेशल टीम के 10 सदस्यों ने मदुरै के नेताजी रोड का दौरा किया, जहां लगभग 50 लॉज और होटल हैं. शारिक का सेलफोन सिग्नल नवंबर के पहले सप्ताह में नेताजी रोड स्थित एक होटल में रजिस्टर्ड किया गया था और लगभग 15 दिनों तक रुका रहा. टीम ने ऑटो रिक्शा स्टैंडों की जांच की और कई लॉज में गेस्ट की लिस्ट को वैरिफाई किया. सूत्रों ने कहा कि शारिक ने शहर में रहने के लिए एक चाय बेचने वाले की फर्जी आईडी का इस्तेमाल किया था.
AIADMK नेता बोले- दोनों ब्लास्ट की जांच करे एजेंसी
इस बीच तमिलनाडु के पूर्व मंत्री और AIADMK नेता जयकुमार ने कहा कि NIA को यह पता लगाना चाहिए कि क्या मंगलुरु विस्फोट और कोयम्बटूर विस्फोट के बीच कोई संबंध था. जयकुमार ने कहा कि डीएमके नेता की वजह से हमें शक है क्योंकि यह एकमात्र ऐसी सरकार थी, जिसे आतंकवाद का समर्थन करने के लिए भंग कर दिया गया था. इस बार ऐसा नहीं होना चाहिए. जयकुमार ने कहा कि एनआईए को इन सभी पहलुओं पर विचार करना चाहिए.
आतंकी संगठन ने ली ब्लास्ट की जिम्मेदारी
इससे पहले एक आतंकी संगठन इस्लामिक रेसिस्टेंस काउंसिल (IRC) ने इसकी जिम्मेदारी ली है. संगठन की ओर से कहा गया है कि उसके एक 'मुजाहिद भाई मोहम्मद शारिक' ने कादरी में हिंदू मंदिर पर हमला करने का प्रयास किया था, लेकिन हम कामयाब नहीं हुए. फिर भी हम इसे रणनीतिक रूप से सफलता मानते हैं.
क्या थी मंगलुरु ब्लास्ट घटना?
मंगलुरु शहर में ऑटो रिक्शा में बीते 19 नवंबर की शाम करीब 5 बजे ब्लास्ट हुआ था. बताया जा रहा है कि एक इलाके में मकान का निर्माण कार्य चल रहा था. उसी मकान के पास आकर एक ऑटो रिक्शा रुका. उसके कुछ ही देर बाद तेज विस्फोट हो गया, जिसकी वजह से अफरा-तफरी का माहौल बन गया. इस घटना में ऑटो रिक्शा ड्राइवर और यात्री घायल हुए थे, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया गया था. पहले पुलिस ने बताया था कि यात्री के बैग में आग लगने की वजह से विस्फोट हुआ. मौके पर पहुंची एफएसएल और स्पेशल टीम ने साक्ष्य जुटाए थे.