मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर उन्हें राज्य की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी दी है. इसके साथ ही उन्होंने गृह मंत्री को पूर्वोत्तर राज्य में स्थिति सामान्य बनाने के लिए उठाए गए कदमों से भी अवगत कराया.
सूत्रों ने कहा कि बैठक में मणिपुर की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर भी चर्चा की गई. बैठक में मुख्यमंत्री के साथ राज्य के कुछ मंत्री भी मौजूद थे. मणिपुर के सीएम ने शाह से मुलाकात के पहले कहा था कि हम यहां गृह मंत्री से सलाह लेने आए हैं. साथ ही ये भी कहा कि मणिपुर में स्थिति में सुधार हो रहा है.
यह बैठक 29 अगस्त को मणिपुर विधानसभा के एक दिवसीय मानसून सत्र से पहले हुई है. 21 अगस्त को सदन की बैठक नहीं हो पाने के बाद राज्य कैबिनेट को दूसरी बार विधानसभा सत्र बुलाने की तारीख की सिफारिश करनी पड़ी. क्योंकि कैबिनेट की पिछली सिफारिश के बावजूद राजभवन द्वारा कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई थी.
मणिपुर में कुकी-मैतेई हिंसा जारी रहने के कारण सत्तारूढ़ भाजपा सहित 10 कुकी विधायकों ने विधानसभा सत्र में भाग लेने में असमर्थता व्यक्त की थी. नागा विधायकों ने यह भी कहा था कि वे सत्र में भाग नहीं लेंगे, क्योंकि उन्हें लगता है कि राज्य सरकार नागा शांति वार्ता में बाधा डाल रही है.
क्या बोले सीएम बीरेन सिंह?
मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने कहा कि मणिपुर में स्थिति धीरे-धीरे सुधर रही है. हमारी पहली प्राथमिकता पहाड़ियों और घाटी दोनों में प्रभावित लोगों का पुनर्वास करना है. आठ स्थानों पर प्री-फैब्रिकेटेड घर बनाए जा रहे हैं. सिंह ने कहा कि यह आशंका अब खत्म हो गई है कि बंदूक से हमले हो सकते हैं. हमारा मानना है कि सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी. यह सामूहिक प्रयासों के कारण संभव हुआ है.
मणिपुर में कब भड़की थी हिंसा?
मणिपुर में 3 मई को सबसे पहले जातीय हिंसा की शुरुआत हुई थी. मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया था. तब पहली बार मणिपुर में जातीय झड़पें हुईं. हिंसा में अब तक 150 लोगों की जान चली गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए. मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. कुकी और नागा समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत से ज्यादा है. ये लोग पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
मणिपुर में क्या है हिंसा की असली वजह?
कुकी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला है, लेकिन मैतेई अनूसूचित जनजाति का दर्जा मांग रहे हैं. नागा और कुकी का साफ मानना है कि सारी विकास की मलाई मूल निवासी मैतेई ले लेते हैं. कुकी ज्यादातर म्यांमार से आए हैं. मणिपुर के चीफ मिनिस्टर ने मौजूदा हालात के लिए म्यांमार से घुसपैठ और अवैध हथियारों को ही जिम्मेदार ठहराया है. करीब 200 सालों से कुकी को स्टेट का संरक्षण मिला. कई इतिहासकारों का मानना है कि अंग्रेज नागाओं के खिलाफ कुकी को लाए थे. नागा अंग्रेजों पर हमले करते तो उसका बचाव यही कुकी करते थे. बाद में अधिकतर ने इसाई धर्म स्वीकार कर लिया जिसका फायदा मिला और एसटी स्टेटस भी मिला.