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मणिपुर के सीएम ने मिजोरम के मुख्यमंत्री को किया फोन, शांति बहाल करने में मांगी मदद

मणिपुर में पिछले एक महीने से अधिक समय से जारी जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में मणिपुर के पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुईं.

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मिजोरम के सीएम ज़ोरमथांगा और मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह
मिजोरम के सीएम ज़ोरमथांगा और मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह

मणिपुर में डेढ महीने से अधिक समय से चल रहे विवाद को लेकर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने मिजोरम के सीएम ज़ोरमथांगा से फोन पर बात की. मिजोरम के सीएम ने ट्वीट करते हुए जानकारी दी कि मणिपुर के सीएम ने पड़ोसी राज्य में शांति बहाल करने के लिए उनकी मदद मांगी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि टेलीफोन पर बातचीत के दौरान सीएम एन बीरेन सिंह ने उनसे मिजोरम में रहने वाले मैतेई लोगों की सुरक्षा के लिए उपाय करने का भी अनुरोध किया.

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ज़ोरमथांगा ने ट्विटर पर कहा, "मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने मणिपुर में चल रही हिंसा के संबंध में दोपहर 12:30 बजे मुझसे फोन पर बात की और इस उम्मीद के साथ इस मुद्दे को हल करने में मेरी सहायता मांगी कि सहयोग से ही इसका समाधान किया जा सकता है. इसके अलावा, उन्होंने अनुरोध है कि मिजोरम मेइतेई को शांतिपूर्ण तरीके से व्यवस्थित करने के लिए साधन और उपाय किए जाएं."

उन्होंने मणिपुर के सीएम को यह भी बताया कि मिजोरम के लोग मेइती के प्रति सहानुभूति रखते हैं और सरकार और नागरिक समाज संगठनों ने शांति और सुरक्षा के लिए उपाय किए हैं. मैंने मणिपुर के मुख्यमंत्री को यह कहते हुए आश्वासन दिया कि मिजोरम की सरकार जारी हिंसा पर दुख जताती है और सरकार ने इसे कम करने के लिए कुछ कदम और उपाय किए हैं. मैंने आगे कहा कि हम मणिपुर सरकार और केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का हम समर्थन करते हैं.

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बता दें कि मणिपुर में पिछले एक महीने से अधिक समय से जारी जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में मणिपुर के पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुईं. मेइती मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासी - नागा और कुकी - आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

इस बीच, पिछले दो दिनों में संघर्षग्रस्त मणिपुर से कम से कम 196 लोग मिजोरम भाग गए, जिससे राज्य में आश्रयों में रहने वाले विस्थापितों की कुल संख्या बढ़कर 11,699 हो गई. मिजोरम गृह विभाग के बयान के अनुसार, रविवार तक, कोलासिब जिले में 4,250 विस्थापित लोग हैं, जबकि 3,825 लोगों ने आइजोल में और 2,845 ने सैतुअल में शरण ली है. शेष 779 लोगों ने आठ जिलों- चम्फाई, लुंगलेई, ममित, हनथियाल, सेरछिप, सियाहा, ख्वाजावल और लौंगतलाई में शरण ली है. राज्य सरकार और गांव के अधिकारियों ने 35 राहत शिविर स्थापित किए हैं.

आरएसएस ने शांति बनाने रखने की अपील की

आरएसएस ने भी इसको लेकर ट्वीट किया है. ट्वीट में आरएसएस ने कहा है कि मणिपुर में पिछले 45 दिनों से लगातार हो रही हिंसा बेहद चिंताजनक है. 03 मई, 2023 को चुराचांदपुर में लाई हराओबा उत्सव के समय आयोजित विरोध रैली के बाद मणिपुर में जो हिंसा और अनिश्चितता शुरू हुई, वह निंदनीय है. यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि सदियों से आपसी सौहार्द और सहयोग से शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करने वालों में बाद में जो अशांति और हिंसा भड़क उठी, वह अभी तक नहीं रुकी है.

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भयानक दुःख की इस अवधि के दौरान मणिपुर संकट के विस्थापितों और अन्य पीड़ितों के साथ खड़ा है, जिनकी संख्या 50,000 से अधिक है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह सुविचारित मत है कि प्रजातांत्रिक व्यवस्था में हिंसा और घृणा के लिए कोई स्थान नहीं है और यह भी मानता है कि किसी भी समस्या का समाधान आपसी संवाद और शांतिपूर्ण वातावरण में भाईचारे की अभिव्यक्ति से ही संभव है.

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