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Manipur Violence: ताजा हिंसा, सुरक्षाबलों की नई तैनाती और कमांडो कैंप शिफ्ट... मणिपुर पर 10 नए अपडेट  

मणिपुर में हुई ताजा हिंसा में 7 लोगों की मौत हो गई है, जिनमें 5 आम नागरिक और दो सुरक्षाबल के जवान शामिल हैं. इस हिंसा के बाद सरकार हरकत में आई है और केंद्रीय बलों की टुकड़ियों को तैनात किया जा रहा है. इसका अलावा जिन उपद्रवियों ने सुरक्षाबलों पर हमला किया था, उनकी तलाश भी जा रही है. मणिपुर पर अबतक के 10 नए अपडेट पढ़िए.

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मणिपुर हिंसा पर नए अपडेट
मणिपुर हिंसा पर नए अपडेट

मणिपुर बीते आठ महीनों से हिंसा की आग में जल रहा है. यहां रह-रहकर हिंसा की घटनाएं लगातार हो रही हैं. हिंसा रोकने के लिए सरकार ने जिन सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया है, उपद्रवी उन पर भी हमला कर रहे हैं. हाल में मोरेह शहर में सुरक्षा चौकी पर हुए हमले में आईआरबी के दो जवानों की मौत हो चुकी है. पढ़िए मणिपुर हिंसा में अबतक के 10 नए अपडेट- 

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1- मणिपुर में दो अलग-अलग घटनाओं में उपद्रवियों ने 5 नागरिकों की हत्या कर दी. पुलिस ने बताया कि उपद्रवियों ने बिष्णुपुर जिले में चार और कांगपोकपी जिले में एक नागरिक की हत्या की, जिसका शव पहाड़ियों से बरामद किया गया है. पांचों नागरिकों के हत्यारों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं.  

2- थौबल जिले के खंगाबोक में बुधवार की रात बीएसएफ जवानों पर उपद्रवियों ने हमला कर दिया. इस गोलीबारी में बीएसएफ के तीन जवान जख्मी हो गए.  

3- इससे पहले बुधवार सुबह तेंगनोपल के मोरेह शहर में हथियारबंद मिलिटेंट्स के हमले में दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी जबकि छह घायल हो गए थे. इस वजह से बीते दो दिनों में मरने वालों की संख्या बढ़कर सात हो गई जबकि अब तक कुल नौ लोग घायल हुए हैं. 

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4- मोरेह शहर में हमले के बाद मणिपुर गृह विभाग के कमिश्नर टी रणजीत सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि घटना को देखते हुए इमरजेंसी सेवा के लिए तुरंत हेलीकॉप्टर भेजा जाए और उसे कम से कम 7 दिनों के लिए इंफाल में रखा जाए. इसके अलावा सुरक्षा बलों और हथियारों को तुरंत भेजा जाए.  

5- मोरेह शहर में सुरक्षा बलों पर हमले के बाद महिलाओं ने इंफाल में सीएम सचिवालय के सामने बुधवार देर रात प्रदर्शन किया. स्थानीय मीरा पैबी समूहों ने इस घटना की निंदा करते हुए मशाल रैली निकाली. हाथों में मशाल लिए महिला प्रदर्शनकारी मालोम, कीशमपत और क्वाकीथेल इलाकों से एकत्र हुईं और नारेबाजी करते हुए मशाल रैली निकाली.  

6- वहीं मोरेह की घटना को देखते हुए सीएम एन बिरेन सिंह ने इमरजेंसी बैठक बुलाई. इसमें कैबिनेट मंत्री, विधायक और अन्य अधिकारी मौजूद रहे. इस मीटिंग में सीएम ने अधिकारियों को ऐसी घटनाओं से निपटने के निर्देश दिए.  

7- सीएम सचिवालय में मीटिंग के बाद मणिपुर के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने बताया कि 17 जनवरी को मोरेह शहर में हुई फायरिंग में दूसरे देश की ओर से गोलीबारी हो रही थी. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. मणिपुर सरकार इसकी जांच कर रही है.  

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8- बढ़ती हिंसा को देखते हुए बीएसएफ की दो कंपनियां, सेना की दो टुकड़ियां और इमरजेंसी के लिए हेलीकॉप्टर तैनात किए जाएंगे. इसके अलावा कई कमांडो कैंप शिफ्ट भी किए जा रहे हैं. आईजी कबीर को ऑपरेशन की निगरानी करने और प्रभावित क्षेत्रों पर व्यापक नियंत्रण के लिए एक संयुक्त कमांड सेंटर स्थापित करने के लिए भेजा गया है.  

9- मणिपुर के सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि मोरेह हमले में म्यांमार के आतंकवादियों के शामिल होने की रिपोर्ट है. मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि हालांकि अबतक इसको लेकर कोई सबूत नहीं हैं. 

10- मणिपुर की पहाड़ियों और मोरेह के आसपास बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए सक्रिय तलाशी अभियान चलाया जा रहा है. सुरक्षा सलाहकार ने बताया कि सरकार हमले के बारे में पूछताछ कर रही है और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठा रही है.  

मैतेई क्यों मांग रहे जनजाति का दर्जा?  

मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी से ज्यादा है. ये गैर-जनजाति समुदाय है, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं. वहीं, कुकी और नगा की आबादी 40 फीसदी के आसापास है. राज्य में इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में ही बस सकते हैं. मणिपुर का 90 फीसदी से ज्यादा इलाकी पहाड़ी है. सिर्फ 10 फीसदी ही घाटी है. पहाड़ी इलाकों पर नगा और कुकी समुदाय का तो घाटी में मैतेई का दबदबा है.  

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मणिपुर में कानून बना हिंसा की जड़?  

मणिपुर में एक कानून है. इसके तहत घाटी में बसे मैतेई समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में न बस सकते हैं और न जमीन खरीद सकते हैं. लेकिन पहाड़ी इलाकों में बसे जनजाति समुदाय के कुकी और नगा घाटी में बस भी सकते हैं और जमीन भी खरीद सकते हैं. पूरा मसला इस बात पर है कि 53 फीसदी से ज्यादा आबादी सिर्फ 10 फीसदी इलाके में रह सकती है, लेकिन 40 फीसदी आबादी का दबदबा 90 फीसदी से ज्यादा इलाके में है. 

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