मणिपुर में जातीय हिंसा के कारण विस्थापित हुए 3,000 परिवारों को आश्रय देने के लिए राज्य सरकार पूर्वनिर्मित मकानों के निर्माण के लिए तेजी से काम कर रही है ताकि लोगों को राहत शिविरों से स्थानांतरित किया जा सके. हिंसा से प्रभावित कई लोग पिछले तीन महीने से अधिक समय से अस्थायी राहत शिविरों में रह रहे हैं.
मणिपुर पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पुलिस अधीक्षक पी. ब्रोजेंद्रो ने कहा कि पांच अलग-अलग स्थानों पर 26 जून से निर्माण कार्य शुरू हुआ था और राज्य सरकार की इस पहल को हम समय से पहले जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं. मणिपुर पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड मकानों की निर्माण परियोजना कार्य का जिम्मा संभाल रही है.
इंफाल पूर्व जिले में सजीवा जेल के पास बनाए जा रहे दो सौ मकानों का निर्माण कार्य जल्द पूरा होने के बारे में बताते हुए अधिकारी ने कहा कि प्रत्येक घर में दो कमरे, एक शौचालय और सामान्य रसोई होगी तथा एक पंक्ति में दस मकान होंगे. उन्होंने बताया कि 200 पूर्वनिर्मित मकानों को पूरा करने की समय-सीमा 20 अगस्त है और इन्हें पूरा करने के लिए लगभग 160 मजदूर काम कर रहे हैं.
अधिकारी ने बताया कि इन मकानों के निर्माण में आने वाली सबसे बड़ी चुनौती है उसमें प्रयोग होने वाली सामग्री को मणिपुर लाना है. क्योंकि राज्य में जगह-जगह सड़कें बंद हैं और राजमार्ग पर नाकेबंदी है.
उन्होंने बताया कि मकानों को तैयार करने के लिए मजदूरों को विमानों से लाया गया जबकि नींव रखने का काम यहां के स्थानीय श्रमिकों द्वारा किया गया. अधिकारी ने बताया कि थौबल जिले के यैथिबी लौकोल क्षेत्र में कम से कम 400 परिवारों के लिए पूर्वनिर्मित मकान बनाए जा रहे हैं और बिष्णुपुर जिले के क्वाक्ता में अन्य 120 पूर्वनिर्मित मकानों को तैयार किया जा रहा है. इंफाल पश्चिम जिले के सेकमई और इंफाल पूर्व के सवोम्बुंग में भी इसी तरह के मकान बनाए जा रहे हैं.