scorecardresearch
 

मणिपुर में हिंसा को देखते हुए 4 मई से इंटरनेट सस्पेंड, हाई कोर्ट का आदेश- सीमित सेवाएं शुरू करें

मणिपुर हाई कोर्ट ने अधिकारियों को दिए अपने अंतरिम आदेश में कहा कि कुछ जगहों पर जनता को सीमित इंटरनेट सेवाएं दी जाएं. अब हाई कोर्ट 23 जून को मामले की सुनवाई करेगा. बता दें कि बीते चार मई से ही मणिपुर में इंटरनेट पर रोक लगी हुई है.

Advertisement
X
मणिपुर में बीते तीन मई से हिंसा जारी है. (फाइल फोटो)
मणिपुर में बीते तीन मई से हिंसा जारी है. (फाइल फोटो)

मणिपुर में बीते तीन मई की रात से हिंसा की शुरुआत हुई थी. उसके बाद प्रशासन ने चार मई से इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था. राज्य में जारी हिंसा को देखते हुए सरकार ने हाल ही में 20 जून तक इंटरनेट पर बैन लगा दिया था. अब इंटरनेट सेवाओं को लेकर मणिपुर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कुछ जगहों पर सीमित इंटरनेट सेवाएं देने का अंतरिम आदेश दिया है. 

Advertisement

मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य के अधिकारियों को दिए अपने अंतरिम आदेश में कहा कि कुछ जगहों पर जनता को सीमित इंटरनेट सेवाएं दी जाएं. अब हाई कोर्ट 23 जून को मामले की सुनवाई करेगा. बता दें कि बीते चार मई से ही मणिपुर इंटरनेट प्रतिबंध का सामना कर रहा है.  

जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने इंटरनेट बैन से जनता के सामने आने वाली कठिनाई को ध्यान में रखा. विशेष रूप से छात्रों की चल रही प्रवेश प्रक्रिया के संबंध में. कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया है. 

कोर्ट ने कंपनियों से एफिडेविट जमा करने को कहा 

हाई कोर्ट ने इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनी वोडाफोन, आइडिया, जियो, बीएसएनएल और एयरटेल को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है. जिसमें कोर्ट ने पूछा है कि क्या सोशल मीडिया वेबसाइट को ब्लॉक करके राज्य सरकार की चिंताओं को देखते हुए जनता को सीमित इंटरनेट सेवाएं दी जा सकती हैं.  

Advertisement

हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत

बता दें कि मणिपुर में पिछले एक महीने से ज्यादा समय से जातीय हिंसा जारी है. इसमें 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में मणिपुर के पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुईं. मेइती मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासी - नागा और कुकी - आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
 

 

Advertisement
Advertisement