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मणिपुर हिंसा: सर्वदलीय बैठक में नहीं आएंगे पवार, जंतर-मंतर पर सिविल सोसायटी का प्रदर्शन

मणिपुर हिंसा को लेकर आज केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है. इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री  अमित शाह ने 29 मई 2023 से 1 जून 2023 के दौरान मणिपुर राज्य का दौरा किया था और स्थिति का जायजा लेने के बाद शांति समिति के गठन की घोषणा की थी.

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गृह मंत्री द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक से पहले जंतर-मंतर पर हो रहा है प्रदर्शन
गृह मंत्री द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक से पहले जंतर-मंतर पर हो रहा है प्रदर्शन

मणिपुर में लगभग पिछले डेढ़ महीने से जारी हिंसा और तनाव की स्थिति पर चर्चा के लिए आज सर्वदलीय बैठक 3 बजे पार्लियामेंट लाइब्रेरी बिल्डिंग में होगी. केंद्रीय गृह मंत्रालय और गृहमंत्री अमित शाह की तरफ से यह बैठक बुलाई गई है. विपक्ष लंबे समय से सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग कर रहा था. बैठक में इस ज्यादातर राजनीतिक पार्टियों की आने की उम्मीद जताई जा रही है. हालांकि कांग्रेस पार्टी ने यह सवाल उठाया है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका यात्रा पर हैं तब उनकी अनुपस्थिति में यह बैठक क्यों बुलाई जा रही है.

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बड़ी संख्या में बरामदगी

उधर आपको बता दें कि शांति बहाली के लिए लगातार सुरक्षा बल मणिपुर में अभियान चला रहे हैं. सुरक्षा बलों का अभियान जारी है. अब तक 1,095 हथियार बरामद हुए हैं. शांति बहाली के लिए शुक्रवार को भी कई जिलों में तलाशी अभियान जारी रहा. सुरक्षा बलों के संयुक्त तलाशी अभियान में अब तक कुल 1,095 हथियार, 13,702 गोला-बारूद और विभिन्न प्रकार के 250 बम बरामद किए गए हैं. 

आयोग 6 महीने में देगा रिपोर्ट

गृह मंत्रालय ने मणिपुर जातीय हिंसा की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच आयोग नियुक्त किया है. आयोग की अध्यक्षता गुवाहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा करेंगे. अन्य दो सदस्य हिमांशु शेखर दास, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और आलोक प्रभाकर, सेवानिवृत्त आईपीएस हैं. न्यायिक आयोग ने अपना काम करना शुरू किया. आयोग निम्न कार्य करेगा-

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- 6 महीने में यह आयोग अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को देगा, इस आयोग में कोई भी शख्स पर्याप्त सबूत के आधार पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है

- आयोग इन बिंदुओं पर तफ्तीश करेगा कि किन परिस्थितियों में मणिपुर में हिंसा भड़की थी और किस किस तरीके से स्थिति बद से बदतर होती चली गई

- आयोग इस बात की भी जांच करेगा हिंसा के वक्त जो सरकारी कर्मचारी या जिम्मेदार लोग थे उस वक्त क्या उन्होंने अपनी ड्यूटी निभाई या फिर उनकी भूमिका उस वक्त कैसी थी

- इंफाल में इस आयोग का हेड क्वार्टर होगा

शांति समिति भी की गई है गठित

यही नहीं भारत सरकार ने मणिपुर के राज्यपाल की अध्यक्षता में मणिपुर में शांति समिति का गठन किया है.  समिति के सदस्यों में मुख्यमंत्री, राज्य सरकार के कुछ मंत्री, सांसद, विधायक और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं. समिति में पूर्व सिविल सेवक, शिक्षाविद्, साहित्यकार, कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता और विभिन्न जातीय समूहों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं. समिति का जनादेश राज्य के विभिन्न जातीय समूहों के बीच शांति बनाने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए होगा, जिसमें शांतिपूर्ण वार्ता और परस्पर विरोधी दलों/समूहों के बीच बातचीत शामिल है। समिति को सामाजिक एकता, आपसी समझ को मजबूत करना चाहिए और विभिन्न जातीय समूहों के बीच सौहार्दपूर्ण संचार की सुविधा प्रदान करनी चाहिए.

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कांग्रेस का सरकार पर निशाना

सर्वदलीय बैठक पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि मणिपुर में आग लगने के 52 दिन बाद गृह मंत्री ने आखिरकार आज दोपहर 3 बजे मणिपुर पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाना उचित समझा. वास्तव में इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री को करनी चाहिए थी जो इतने समय तक चुप रहे. इसे राष्ट्रीय पीड़ा के प्रदर्शन के रूप में इंफाल में आयोजित किया जाना चाहिए था. फिर भी वह शख्स (ओकराम इबोबी सिंह )जो 2002 और 2017 के बीच 3 बार सीएम के रूप में मणिपुर को शांति और विकास के रास्ते पर वापस लाया, वह इस बैठक में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करेंगे. एनसीपी प्रमुख शरद पवार अपनी पूर्व प्रतिबद्धताओं के कारण बैठक में शामिल नहीं होंगे. उनकी तरफ से पार्टी के दो नेता बैठक में शामिल होंगे.

जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन

मणिपुर में हो रही हिंसा को लेकर सिविल सोसाइटी के सदस्य दिल्ली के जंतर- मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इस विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हो रहे हैं. सिविल सोसाइटी के सदस्यों की मांग है कि मणिपुर में हालात को सामान्य किया जाए और दोषियों के खिलाफ एक्शन लिया जाए.

वर्ल्ड मैतेई काउंसिल की मांग 

वर्ल्ड मैतेई काउंसिल (डब्ल्यूएमसी) ने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के सामने कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए हैं और राजनीतिक दलों से अपील की है कि इन्हें गृह मंत्री के साथ आयोजित बैठक में उठाएं. डब्ल्यूएमसी की मांग है, 'हिंसा की शुरुआत कुकी आतंकवादियों द्वारा की गई थी जो मानदंडों का उल्लंघन है. गृह मंत्री द्वारा दिए गए निर्देशों के बावजूद, कुकी उग्रवादी अभी भी हिंसा में सक्रिय रूप से शामिल हैं. सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए इन उग्रवादियों को एसओओ के तहत नियंत्रित करने और निहत्था करने की जरूरत है. क्या आज की बैठक में नेता इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा करेंगे और उग्रवादियों पर एसओओ के तहत कार्रवाई करेंगे?'

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वहीं मैतेई काउंसिल ने कहा है कि राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 2 अभी भी कुकी उग्रवादियों द्वारा अवरुद्ध है, क्या नेता सरकार से पूछेंगे कि भारत को नाकाबंदी मुक्त करने के लिए कार्रवाई कब की जाएगी? मैतेई को अनुसूचित जनजाति का दर्जा एक वैध मांग है क्योंकि मैतेई मणिपुर के आदिवासी लोग हैं और सभी आवश्यक मानदंडों को पूरा करते हैं.परिषद ने सभी दलों के नेताओं से इन्हें आज की चर्चा में शामिल करने की अपील की.

 

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