मणिपुर में हालात अभी भी सामान्य नहीं हो सके हैं. सरकार ने शुक्रवार को संसद में बताया कि शरणार्थी शिविरों में 6 महीने से 6 साल की उम्र के 6164 बच्चे रह रहे हैं, जबकि 2638 किशोर लड़कियां, 232 गर्भवती महिलाएं रह रही हैं.
मणिपुर के शरणार्थी शिविरों में रहने वाली महिलाओं और बच्चों को दी जाने वाली सुविधाओं पर लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में महिला और बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने जानकारी दी.
अन्नपूर्णा देवी के अनुसार इन शिविरों में 6 महीने से छह साल की उम्र के 6,164 बच्चे, 2,638 किशोर लड़कियां, 232 गर्भवती महिलाएं रह रही हैं. ये सभी 271 आंगनवाड़ी केंद्रों से जुड़े हुए हैं.
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत अपने पहले बच्चे की उम्मीद कर रही 103 महिलाओं को नामांकित किया गया है. इनमें से 70 महिलाओं को 3000 रुपये की पहली किस्त मिली है, जबकि 33 को 2000 रुपये की दूसरी किस्त मिली है. इसके अलावा, दूसरी बार मां बनने वाली 53 महिलाओं को 6000 रुपये दिए गए है.
इसके अलावा 359 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और 268 आंगनवाड़ी सहायिका राहत शिविरों में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं, जो विस्थापितों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अस्थायी आंगनवाड़ी सेवाओं का प्रबंधन कर रहे हैं.
मंत्री ने कहा कि केंद्र ने मणिपुर सरकार के अनुरोध पर राहत शिविरों में रहने वाले विस्थापितों के लिए 400.42 करोड़ रुपये की विशेष सहायता को मंजूरी दी है. पिछले वर्ष मई में इंफाल घाटी स्थित मैतेई और पहाड़ी क्षेत्र स्थित कुकी लोगों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद मणिपुर में 200 से अधिक लोग मारे गए और हजारों लोग बेघर हो गए थे.
बता दें कि मणिपुर 3 मई, 2023 से जातीय हिंसा से प्रभावित है, जिसमें कम से कम 221 लोग मारे गए हैं और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं. राज्य में कुकी-जो और मैतेई समुदाय आमने-सामने हैं.