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मणिपुर हिंसाः आधुनिक मशीनों से बनाए गए थे ड्रोन! NIA को दी जा सकती है हमले की जांच

हाल ही के दिनों में जहां हिंसा हुई है वहां ऐंटी ड्रोन सिस्टम की संख्या बढ़ाई जाएगी. अब तक सुरक्षाबलों ने 6 एंटी ड्रोन सिस्टम(2 असम रायफल ने और 4 CAPF ने एंटी ड्रोन गन) अलग अलग स्थानों में तैनात किया है.

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मणिपुर में लंबे समय से हिंसा जारी है (फाइल फोटो)
मणिपुर में लंबे समय से हिंसा जारी है (फाइल फोटो)

मणिपुर में करीब 16 महीनों से हिंसा जारी है. हालात सामान्य नहीं हो रहे हैं. ताजा झड़पों के पैटर्न ने तो सभी को चौंका दिया है. ड्रोन, मोर्टार और अत्याधुनिक हथियारों से हमला किया जा रहा है. अब सूत्रों की मानें तो मणिपुर में हुए ड्रोन अटैक की जांच के लिए अब केंद्री ऐजेंसियों की भी ली जाएगी मदद, जल्द ही NIA को इसकी जिम्मेदारी दी जा सकती है. वहीं, जानकारी के अनुसार, राज्य में हाल ही के दिनों में जो हिंसा हुई है जहां ड्रोन के जरिए सिक्युरिटी इस्टैब्लिशमेंट को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है वहां ऐंटी ड्रोन सिस्टम की संख्या बढ़ाई जाएगी. अब तक सुरक्षाबलों ने 6 एंटी ड्रोन सिस्टम(2 असम रायफल ने और 4 CAPF ने एंटी ड्रोन गन) अलग अलग स्थानों में तैनात किया है.

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जवानों की संख्या बढ़ाई जाएगी...

जानकारी के अनुसार, मणिपुर के हालात को देखते हुए सीआरपीएफ की 20 कंपनियों को राज्य में तैनात किया जाएगा. 2000 जवानों को मणिपुर में उन संवेदनशील जगहों पर भेजा जाएगा जहां ज्यादा खतरा है. ये CRPF जवान उन 2000 असम राइफल्स जवान की जगह लेंगे जिन्हे कुछ महीनों पहले ही जम्मू-कश्मीर भेजा गया है.

यह भी पढ़ें: मणिपुर में उग्रवादियों ने जिन ड्रोन का किया इस्तेमाल, वो कहां बने थे? फॉरेंसिक टीमें जुटा रहीं साक्ष्य, NIA करेगी जांच

ड्रोन को लेकर क्यों उठ रहे सवाल

शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि ड्रोन विशेष मोर्टार लौह धातु से नहीं बना है जैसा कि पारंपरिक रूप से इस्तेमाल होता है. बल्कि यह कम वजन के लिए परिष्कृत कठोर प्लास्टिक से बना है. अधिकारी ने बताया कि इन ड्रोन्स से फेंके गए इन बमों का वजन करीब 500 से 700 ग्राम था. प्लास्टिक के उपयोग से ड्रोन मोर्टार को आसानी से और लंबी दूरी तक ले जा सकते हैं. पुलिस सूत्रों का कहना है कि बमों पर की गई ये गहन नक्काशी हाथ से नहीं बनाई गई है बल्कि इसे अत्याधुनिक मशीनों के जरिए बनाया गया है. मणिपुर पुलिस ने एक ड्रोन बरामद किया है जिसका इस्तेमाल इन अत्याधुनिक बमों को गिराने के लिए किया गया था. ड्रोन की बनावट का पता लगाने के लिए मणिपुर पुलिस अब आईआईटी दिल्ली से मदद ले रही है. बता दें कि अब तक जातीय समूह ड्रोन के इस्तेमाल से इनकार करते रहे हैं.

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एक सितंबर से शुरू हुए ताजे हमले

1 सितंबर सितंबर से मणिपुर की घाटी में हिंसक घटनाएं बढ़ गई हैं. हालात इस कदर भयाव है कि अब इन हमलों में ड्रोन के जरिए बमबारी की जा रही है तो आरपीजी का इस्तेमाल करके भी रिहायशी इलाकों को निशाना बनायाजा रहा है.मणिपुर हिंसा की चपेट में है और सालभर से नफरत की आग में उबल रहा है. कुकी और मैतेई समुदाय की लड़ाई में अब तक 226 लोगों की जान चली गई है. सैकड़ों घायल हुए हैं और हजारों संपत्तियों को नुकसान पहुंचा है. हालांकि, अब ये लड़ाई खतरनाक होती जा रही है. ड्रोन, बमबारी और मिसाइल अटैक ने केंद्र से लेकर राज्य सरकार की नींद उड़ा दी है.

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