मणिपुर में एक बार फिर हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं. बलवाइयों ने राजधानी इंफाल और कांगपोकपी की सीमा के नजदीक बवाल काटा है. इसके अलावा हेंगजांग में भी फायरिंग की सूचना मिली है.
बताया जा रहा है कि इंफाल के सेकमाई इलाके में कथित तौर पर कुकी पक्ष के अज्ञात बदमाशों ने 2 प्रतिष्ठानों को नष्ट कर दिया. इसी बीच सूत्रों के मुताबिक दूसरी तरफ से कुकी गांव हेंगजांग में फायरिंग की सूचना भी मिली है.
बता दें कि मणिपुर में पिछले एक महीने से ज्याद समय से जातीय हिंसा जारी है. इसमें 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में मणिपुर के पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुईं.
मेइती मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासी - नागा और कुकी - आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
मिजोरम के CM से की थी फोन पर बात
इस मुद्दे पर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह मिजोरम के सीएम जोरमथांगा से फोन पर बात कर चुके हैं. मिजोरम के सीएम ने ट्वीट करते हुए जानकारी दी थी कि मणिपुर के सीएम ने पड़ोसी राज्य में शांति बहाल करने के लिए उनकी मदद मांगी है. मुख्यमंत्री ने कहा था कि टेलीफोन पर बातचीत के दौरान सीएम एन बीरेन सिंह ने उनसे मिजोरम में रहने वाले मैतेई लोगों की सुरक्षा के लिए उपाय करने का भी अनुरोध किया था.
जोरमथांगा ने ट्विटर पर कहा था,'मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने मणिपुर में चल रही हिंसा के संबंध में फोन पर बात की और इस उम्मीद के साथ इस मुद्दे को हल करने में मेरी सहायता मांगी कि सहयोग से ही इसका समाधान किया जा सकता है. इसके अलावा, उनसे अनुरोध है कि मिजोरम मेइतेई को शांतिपूर्ण तरीके से व्यवस्थित करने के लिए साधन और उपाय किए जाएं.' उन्होंने मणिपुर के सीएम को यह भी बताया कि मिजोरम के लोग मेइती के प्रति सहानुभूति रखते हैं और सरकार और नागरिक समाज संगठनों ने शांति और सुरक्षा के लिए उपाय किए हैं.
आरएसएस ने भी किया था ट्वीट
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी इसे लेकर ट्वीट किया था. ट्वीट में आरएसएस ने कहा था कि मणिपुर में पिछले 45 दिनों से लगातार हो रही हिंसा बेहद चिंताजनक है. 03 मई, 2023 को चुराचांदपुर में लाई हराओबा उत्सव के समय आयोजित विरोध रैली के बाद मणिपुर में जो हिंसा और अनिश्चितता शुरू हुई, वह निंदनीय है.
यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि सदियों से आपसी सौहार्द और सहयोग से शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करने वालों में बाद में जो अशांति और हिंसा भड़क उठी, वह अभी तक नहीं रुकी है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भयानक दुःख की इस अवधि के दौरान मणिपुर संकट के विस्थापितों और अन्य पीड़ितों के साथ खड़ा है, जिनकी संख्या 50,000 से ज्यादा है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह सुविचारित मत है कि प्रजातांत्रिक व्यवस्था में हिंसा और घृणा के लिए कोई स्थान नहीं है और यह भी मानता है कि किसी भी समस्या का समाधान आपसी संवाद और शांतिपूर्ण वातावरण में भाईचारे की अभिव्यक्ति से ही संभव है.
(रिपोर्ट: सारस्वत कश्यप)