कुकी और मैतेई इलाके के बीच इस वक्त बफर जोन बना दिया गया है, जिससे एक दूसरे के इलाके में कोई जा न सके, एक ओर सुरक्षा बलों का बफर जोन है तो दूसरी तरफ कुकी और मैतेई ने भी अपना बफर जोन बनाया हुआ है. इनकी खुद की camouflage ड्रेस में वालिंटियर है जो बफर ज़ोन में अपनी खुद की पुलिसिंग करते हैं. कुकी इलाके में ऐसे ही सुरक्षा बलों की तरीके से वॉलिंटियर्स निगरानी कर रहे हैं. इनके हाथों में दूरबीन वाली गन है. बुलटेट प्रूफ जैकेट वाकी-टाकी है.
सुरक्षा बलों के तरीके से ये मूवमेंट करते हैं, और गाड़ियों की तलाशी भी करते हैं. ये सब चूड़ाचंदपुर की ओर जाने वाले रास्ते पर हो रहा है.
कुकी और मैतेई इलाके पर सुरक्षा बल तैनात हैं, जिन्होंने यहां पर बफर जोन पूरी तरीके से तैयार किया हुआ है. इसका मकसद ये है कि दोनों अलग अलग इलाके से संपर्क को अलग रख कर हालात को सामान्य किया जाए. चूड़ाचंदपुर के ऐसे ही एक इलाके से आज़तक संवाददाता जितेन्द्र सिंह ने जायजा लिया. आज़तक की टीम धीरे धीरे जैसे ही चूड़ाचंदपुर की ओर बढ़ रही थी तभी रास्ते मे कुकी महिलाओं ने रोका देखा तो इन लोगो ने यहाँ पर अपनी बैरिकेडिंग लगा रखी थी. ये पूरा कुकी बहुल इलाका है. अगर कोई आता जाता है तो इनके निशानेबाज (मार्क्समैन) हर एक गाड़ी की निगरानी करते हैं और उसको चेक करने के बाद ही जाने देते हैं. ये सब सरकारी पुलिस या आर्मी के लोग नहीं है ये कुकी इलाके के दूरबीन वाली गन लिए कुकी समुदाय के वॉलिंटियर्स हैं, जो अलग तरीके के camouflage ड्रेस में हैं. इनकी वेशभूषा सुरक्षा कर्मियों की तरह है. ये सुरक्षा बलों की तरह काम करते हैं. चूड़ाचंदपुर की मुख्य रास्ते में सब हो रहा है. यहां पर इनकी देसी तोप भी लगी है. जानकारी मिली है कि इलेक्ट्रिक पोल से देसी तोप बनाया गया है.
आज़तक की टीम जब आगे बढ़ी तो रास्ते मे कुकी युवाओं को देखा जो वॉलिंटियर्स बनने के लिए अपने लिए सामान भी खरीद रहे हैं. रास्ते मे कई जगह ऐसे camouflage ड्रेस के स्टॉल भी मिले जहाँ पर लोग अपने गाँव अपने इलाके की सुरक्षा के लिए ऐसी ड्रेस भी खरीद रहे हैं. 24 घंटे सुरक्षा में लगे गाँव के लोगों में शिफ्ट में काम होता है और इसके लिए बकायदे ड्रेस कोड है जो इस समय मार्केट में उपलब्ध है.
कुकी के ड्रेस कोड में-
Camouflage शर्ट
Camouflage पैंट
Camouflage कैप
Camouflage बैल्ट (गोलियों के लिए)
Camouflage पटका
Camouflage बुलेट प्रूफ जैकेट का कवर(इसमें बुलेट प्रूफ प्लेट नहीं लगी हैं) हेड टॉर्च ,इत्यादि.
मणिपुर में हिंसा के लगभग तीन महीने होने को हैं, केंद्र और राज्य सरकार हालात सामान्य करने में जुटी है. पर अभी भी ऐसे कई क्षेत्र है जहाँ पर लोग अपनी खुद की सुरक्षा करने में जुटे हुए हैं. इसके लिए ये लोग ड्यूटी चार्ट बनाते हैं और रात दिन निगरानी करते हैं. ज़रूरत है कि लोगों में आपस में डर का माहौल खत्म करने का. क्योंकि अगर ये युवा यू ही दूरबीन गन, देसी तोप, खुखरी लेकर अपनी रक्षा करते रहेंगे तो इनका नौकरी पेशा का क्या होगा इस बात की चिंता इनको सता रही है.
कुकी के पास देसी हथियार है, वे खुलेआम घूम रहे हैं ऐसे हथियार लेकर. पुलिस भले ही हथियार बरामद कर रही है पर अभी भी सेल्फमेड हथियार ख़तरा बना है कुकी इलाके में. ऐसे हथियार मौजूद हैं. 3-4 मई को हिंसा के दौरान सबसे ज़्यादा हथियार लूटे गए थे उसके बाद 28 मई को भी भारी तादाद में हथियार लूटे गए. पुलिस इन हथियारों की बरामदगी के लिए कई जगह अभियान भी चला चुकी है पर उसको पूरे लूटे हुए हथियार नहीं मिले हैं.
सूत्रों ने आज़तक को बताया कि पुलिस अभियान के दौरान कई ऐसे देसी चौकाने वाली स्टाइल के हथियार मिले जो काफ़ी खतरनाक हैं. सूत्रों के मुताबिक जब्त किए गए हथियारों में कई ऐसे ऐसे हथियार हैं जिन्हें उखाड़े गए बिजली के पोल और गैल्वनाइज्ड लोहे की पाइपों से बनाया गया है. एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि पहाड़ी समुदाय के लोग सेल्फ मेड घातक हथियार बनाने की क्षमता रखते हैं. हाल ही में दूरदराज के गांवों के साथ-साथ पड़ोसी चूड़चंदपुर जिले में भी कुछ बिजली के पोल गायब हैं और पानी के पाइप उखड़े हुए देखे गए थे.
ये इस बात के संकेत हैं कि इनका इस्तेमाल हथियार बनाने में किया गया है. मणिपुर के पहाड़ी समुदाय परंपरागत रूप से तलवार, भाले, तीर- धनुष का उपयोग तो करता ही था. बाद में आत्म रक्षा के लिए देसी बंदूकों और गोलियों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, जिन्हें 'थिहनांग' भी कहा जाता है. उखाड़े गए बिजली के खंभों का उपयोग तोप बनाने में किया जाता है, जिसे स्थानीय भाषा मे यहां पर 'बंपी' गन भी कहा जाता है. यह आयरन स्प्लिनटर्स और अन्य धातु की वस्तुओं से भरी होती है जो गोलियों या छर्रों के रूप में कार्य करती हैं.