मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाने की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. इनमें से एक पीड़ित महिला के पति इंडियन अर्मी में थे. वह असम रेजिमेंट में सूबेदार के पद पर थे. पत्नी के साथ हुई हैवानियत को लेकर वह टूट चुके हैं. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक घटना को लेकर स्थानीय मीडिया से बात करते हुए उनका दर्द छलक आया. उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा,'मैंने कारगिल युद्ध में देश के लिए लड़ाई लड़ी और भारतीय शांति सेना के हिस्से के रूप में श्रीलंका में भी था. मैंने देश की रक्षा की, लेकिन मुझे दुख है कि मैं अपनी पत्नी और साथी ग्रामीणों की रक्षा नहीं कर सका.'
उन्होंने बताया कि 4 मई की सुबह एक भीड़ ने इलाके के कई घरों को जला दिया, दोनों महिलाओं को निर्वस्त्र कर दिया और उन्हें लोगों के सामने गांव की सड़क पर चलने के लिए मजबूर किया. उन्होंने कहा कि जब यह सब कुछ हो रहा था तब पुलिस मौजूद थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. मैं चाहता हूं कि उन सभी लोगों को कड़ी सजा मिले, जिन्होंने घर जलाए और महिलाओं को अपमानित किया."
4 मई को हुई इस घटना की शिकायत 18 मई को पुलिस को दी गई थी. पुलिस ने इस मामले में 21 जून को एफआईआर दर्ज की थी. एफआईआर के मुताबिक, शिकायत में कहा गया है कि 4 मई की दोपहर तीन बजे अज्ञात लोगों ने उनके गांव पर हमला बोल दिया. उस दिन 900 से 1000 लोगों ने थोबल में स्थित उनके गांव पर हमला किया था. ये हमलावर मैतेई समुदाय से जुड़े थे. इस भीड़ ने गांव पर हमला कर घरों में आग लगा दी और इसके बाद नकदी और गहने समेत कीमती सामान को लूट लिया.
- हमला होने पर तीन महिलाएं अपने पिता और भाई के साथ जंगल की ओर भागे. पुलिस की टीम ने इन्हें बचा लिया. पुलिस उन्हें थाने लेकर जा ही रही थी कि भीड़ ने रास्ता रोक लिया. और पुलिस से उन महिलाओं और उनके पिता-भाई को छीन लिया. ये सब थाने पहुंचने से दो किलोमीटर पहले हुआ. भीड़ ने पुलिस के सामने ही उन महिलाओं के पिता की हत्या कर दी. इसके बाद तीनों महिलाओं को कपड़े उतारने को मजबूर किया. इनमें से एक की उम्र 21 साल, दूसरी की 42 साल और तीसरी की 52 साल थी.
- कुकी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र सड़क पर घुमाने का वीडियो 19 जुलाई को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया. वीडियो में देखा जा सकता है कि भीड़ न सिर्फ महिलाओं को सड़क पर घुमा रही है, बल्कि अभद्रता भी कर रही है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मणिपुर के चीफ सेक्रेटरी और DGP को नोटिस भेजा है और 4 सप्ताह में जवाब मांगा है. सरकार ने ट्विटर समेत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हैवानियत के वीडियो तत्काल प्रभाव से हटाने के लिए कहा है. सरकार का कहना है कि मामले में जांच चल रही है. राज्य में इंटरनेट पर बैन हटने के बाद वीडियो वायरल हुआ है.
मणिपुर में 3 मई को हिंसा की शुरुआत तक हुई, जब कुकी समुदाय ने पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' निकाला और मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग का विरोध किया. इस हिंसा में अबतक 150 से अधिक लोगों की जान चली गई है. 4 मई को इन महिलाओं के साथ भीड़ ने हैवानियत कर दी थी. मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है. वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि कुकी और नागा आदिवासी की संख्या 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
महिलाओं से दरिंगदी का वीडियो 19 जुलाई को सामने आया था. इसके बाद सड़क से लेकर संसद तक बवाल मचा है. केंद्र सरकार और राज्य सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई. डैमेज कंट्रोल करते हुए पुलिस ने 24 घंटे के भीतर मुख्य आरोपी हुइरेम हेरादास के अलावा अब तक चार आरोपियों अरुण सिंह, जीवन इलांगबाम और तोम्बा सिंह को गिरफ्तार कर लिया है. सभी थॉउबल जिले के ही रहने वाले हैं.
मणिपुर पुलिस के मुताबिक, वायरल वीडियो की मदद से बाकी आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया गया है. मणिपुर पुलिस और केंद्रीय बलों की 12 संयुक्त टीमें 12 और संदिग्धों को गिरफ्तार करने के लिए तलाशी अभियान चला रही हैं. वहीं इस घटना को लेकर मणिपुर में जगह-जगह प्रदर्शन किए जा रहे हैं. इतना ही नहीं गुस्साई भीड़ ने शुक्रवार को आरोपी हुइरेम हेरादास का घर जला दिया.