हिंसा प्रभावित मणिपुर की जमीनी हकीकत जानने के लिए विपक्षी दलों के सांसद राज्य के दौरे पर हैं. उन्होंने पहले दिन कई इलाकों का दौरा किया और राहत शिविरों में जाकर पीड़ितों का दर्द सुना. रविवार सुबह I.N.D.I.A. डेलीगेशन ने राज्यपाल से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा है, जिसमें उनसे राज्य में शांति बहाल करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की अपील की गई है.
इस ज्ञापन में कहा गया है, "आपसे यह भी अनुरोध है कि आप केंद्र सरकार को पिछले 89 दिनों से मणिपुर में कानून और व्यवस्था के पूरी तरह से खराब होने के बारे में अवगत कराएं ताकि उन्हें शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए मणिपुर में अनिश्चित स्थिति में हस्तक्षेप करने में सक्षम बनाया जा सके."
कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने कहा, "डेलीगेशन के सभी 21 सांसदों ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है. जब हमने उनसे बात की तो उन्होंने खुद अपना दर्द और दुख व्यक्त किया. इस दो दिवसीय यात्रा के दौरान हमने जो कुछ भी देखा, जो भी अनुभव किया, वो हमने उन्हें बताया. वो हमारी बात से सहमत हुईं. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि हम सभी समुदायों के नेताओं के साथ मिलकर बातचीत करें और समाधान निकालें. उन्होंने सुझाव दिया कि विपक्ष और सत्तारूढ़ दल दोनों को मिलकर एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल मणिपुर भेजना चाहिए और बातचीत करनी चाहिए. सभी समुदायों के नेता जो लोगों के बीच अविश्वास की भावना को हल करने के लिए आवश्यक है.”
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मणिपुर में हालात दिनों-दिन बिगड़ते जा रहे हैं अगर जल्द ही मणिपुर की समस्या नहीं सुलझी तो हमारी सिक्योरिटी के लिए खतरा है.
#WATCH | After meeting Manipur Governor Anusuiya Uikey, I.N.D.I.A. alliance delegation addresses the media
— ANI (@ANI) July 30, 2023
Congress MP Adhir Ranjan Chowdhury says, "...All 21 MPs handed over a memorandum to her. After we spoke with her, she herself expressed her pain and grief. During this… pic.twitter.com/W2pQXfLgK2
मणिपुर को नजर अंदाज किया गया: अधीर रंजन चौधरी
राज्यपाल से मुलाकात से पहले लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मुख्य बात यह है कि मणिपुर को नजरअंदाज कर दिया गया है. उन्होंने कहा, "राज्य सरकार और केंद्र सरकार के नजरअंदाज करने के बाद स्थिति खराब हो रही है. जल्द से जल्द शांति बहाल की जानी चाहिए. राज्य में सद्भाव और न्याय बनाए रखना जरूरी है. हम राज्यपाल से राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने की मांग करेंगे. यह सरकार की विफलता है."
जिम्मेदारी तय की जाए: गौरव गोगोई
वहीं राज्यपाल से मुलाकात से पहले गौरव गोगोई ने एएनआई से बात करते हुए कहा कि हम उनसे मांग करेंगे कि इसके लिए जिम्मेदारी तय करें. राज्य सरकार और केंद्र सरकार दूसरों की ओर उंगली दिखा रहे हैं, जिम्मेवारी कुबूल नहीं कर रहे हैं. दूसरी बात लोग तीन महीने से शिविरों में हैं, कब तक रहेंगे. बच्चों का जन्म शिविरों में हो रहा है. बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. कब तक ये परिस्थिति बनी रहेगी. तो इसका रोडमैप हमको दें. ये हमारी प्राथमिक मांग है, तब जाकर शांति का वातावरण मणिपुर में आएगा.
#WATCH | Imphal | Congress MP Gaurav Gogoi, a part of the I.N.D.I.A. delegation that is on a visit to Manipur, says, "We will meet the Governor and urge that she fix an accountability. Who is responsible for it? State Govt and Centre are pointing fingers at someone else but they… pic.twitter.com/lBEddnEHrd
— ANI (@ANI) July 30, 2023
केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए गोगोई ने कहा कि हम जिम्मेवारी की बात कर रहे हैं. पीएम, रक्षामंत्री, विदेश मंत्री, महिला एवं बाल विकास मंत्री मणिपुर से गायब क्यों हैं. पीएम को सिर्फ क्या सरकारी उद्घाटन, राजनीतिक सभाओं में भाषण देने के लिए वोट मिला है. केंद्र सरकार तो गायब है. केंद्र की राजनीति ने मणिपुर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए हैं. डबल इंजन की गाड़ी ने पटरी से गिरकर हजारों की तादाद में लोगों की जिंदगी नष्ट कर दी है.
ये सांसद हैं डेलीगेशन में शामिल
टीम ए
1- अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस
2- सुष्मिता देव, टीएमसी
3- कनिमोझी करुणानिधि, डीएमके
4- संदोष कुमार पी. सीपीआई
5- ए.ए. रहीम, सीपीआईएम
6- मनोज कुमार झा, आरजेडी
7- जावेद अली खान, सपा
8- डी रविकुमार, वीसीके
9- थीरु थोल थिरुमावालवन, वीसीके
10- फुलो देवी नेतम, कांग्रेस
टीम बी
1- राजीव रंजन सिंह, जेडीयू
2- गौरव गोगोई, कांग्रेस
3- पी.पी. मोहम्मद फैजल, एनसीपी
4- अनिल प्रसाद हेगड़े, जेडी (यू)
5- ई.टी. मोहम्मद बशीर, आईयूएमएल
6- एन. के प्रेमचंद्रन, आरएसपी
7- सुशील गुप्ता,AAP
8- अरविंद सावंत, शिवसेना (यूबीटी)
9- महुआ मांझी,जेएमएम
10- जयंत सिंह, आरएलडी
राहत शिविरों में जाकर सुना पीड़ितों का दर्द
विपक्षी गुट के सांसदों ने कहा कि हमने कई इलाकों का दौरा किया. यह हम सभी के लिए कठिन दिन रहा है. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि हम चार राहत शिविरों में गए और लोगों का दर्द सुना. महिलाएं यह बताते हुए रो पड़ीं कि कैसे उन पर हमला किया गया. गोगोई ने कहा कि हम लोग नई दिल्ली लौटेंगे और संसद में इस दौरे में सामने आई डरावनी कहानियों को उठाएंगे.
पीड़ितों का छलका दर्द, कहा- सीएम पर भरोसा नहीं
TMC सांसद सुष्मिता देव ने कहा कि पूरा विपक्ष मणिपुर के साथ है. JMM सांसद महुआ माजी ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया कि मणिपुर में शांति लौट आई है, लेकिन शांति कहां है? राज्य अभी भी जल रहा है. जबकि DMK सांसद कनिमोझी ने कहा कि लोग सरकार द्वारा अपमानित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया यहां के लोगों को लगता है कि सरकार ने हस्तक्षेप नहीं किया और हिंसा जारी रही तो उन्हें सीएम एन बीरेन सिंह पर कोई भरोसा नहीं है.
महिलाओं की गुजारिश- पति और बेटे का शव दिलवा दें
I.N.D.I.A.का प्रतिनिधिमंडल उन पीड़ित महिलाओं के परिवार से भी मिला, जिन्हें 4 मई को भीड़ ने निर्वस्त्र कर दौड़ाया और पीटा था. पीड़ित महिलाओं में से एक की मां ने डेलिगेशन से गुजारिश की कि वे उसके पति और बेटे का शव दिलवाने में उनकी मदद करें, जिनकी भीड़ ने हत्या कर दी थी. टीएमसी सांसद सुष्मिता देव और डीएमके सांसद कनिमोझी ने पीड़ितों में से एक की मां से मुलाकात की, तो उन्होंने गुजारिश की कि उन्हें कम से कम अपने बेटे और पति के शव तो देखने दें. उन्होंने दोनों नेताओं को यह भी बताया कि स्थिति ऐसी है कि कुकी और मैतेई समुदाय अब एकसाथ नहीं रह सकते.
मणिपुर में कब भड़की हिंसा?
3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 'आदिवासी एकता मार्च' निकाला. ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई. इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. 3 मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी. बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया. ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग हो रही है. मणिपुर हिंसा में अब तक 150 लोग मारे जा चुके हैं.
मैतेई क्यों मांग रहे जनजाति का दर्जा?
मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी से ज्यादा है. ये गैर-जनजाति समुदाय है, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं. वहीं, कुकी और नगा की आबादी 40 फीसदी के आसापास है. राज्य में इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में ही बस सकते हैं. मणिपुर का 90 फीसदी से ज्यादा इलाकी पहाड़ी है. सिर्फ 10 फीसदी ही घाटी है. पहाड़ी इलाकों पर नागा और कुकी समुदाय का तो घाटी में मैतेई का दबदबा है. मणिपुर में एक कानून है. इसके तहत, घाटी में बसे मैतेई समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में न बस सकते हैं और न जमीन खरीद सकते हैं. लेकिन पहाड़ी इलाकों में बसे जनजाति समुदाय के कुकी और नगा घाटी में बस भी सकते हैं और जमीन भी खरीद सकते हैं. पूरा मसला इस बात पर है कि 53 फीसदी से ज्यादा आबादी सिर्फ 10 फीसदी इलाके में रह सकती है, लेकिन 40 फीसदी आबादी का दबदबा 90 फीसदी से ज्यादा इलाके पर है.