मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने मंगलवार को कहा कि वह राज्य में जारी हिंसा से ''बेहद परेशान'' हैं. उन्होंने कहा कि अभी समाज में जो कुछ भी चल रहा है, वह बहुत ज्यादा है. अगर कोई या कोई भी समूह कानून को अपने हाथ में लेता रहेगा तो सरकार के लिए इसे बर्दाश्त करना मुश्किल होगा. केंद्र सरकार देखती नहीं रहेगी. अगर AFSPA फिर से लागू होता है तो हिंसा में शामिल लोग जिम्मेदार होंगे. सीएम थौबल जिले के लिलोंग चिंगजाओ क्षेत्र में गोलीबारी की घटना में घायल हुए लोगों से मिलने के बाद मीडिया से मुखातिब थे.
उन्होंने कहा, 'अगर सरकार अवांछित AFSPA को फिर से लागू करने सहित कोई कड़ी कार्रवाई करती है तो लगातार हिंसा में शामिल रहने वाले तत्वों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. मैं बेहद परेशान हूं. सरकार यह सब हमेशा के लिए नहीं देख सकती.'
AFSPA को छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया था
पिछले साल अक्टूबर से पूर्वोत्तर राज्य के पहाड़ी इलाकों और इम्फाल घाटी के 19 पुलिस थाना क्षेत्रों में AFSPA को छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया था, जबकि असम के साथ अपनी सीमा साझा करने वाले एक क्षेत्र को मई में हुए हिंसक जातीय संघर्षों के बावजूद इसके दायरे से बाहर रखा गया था.
सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (AFSPA) सुरक्षा बलों को अभियान चलाने और बिना किसी पूर्व वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है, इसके अलावा अगर सुरक्षा बल किसी की गोली मारकर हत्या करते हैं तो उन्हें गिरफ्तारी और अभियोजन से छूट मिलती है. मुख्यमंत्री ने लोगों से कहा कि वे कानून को अपने हाथ में न लें और अगर उन्हें कुछ भी संदिग्ध लगे तो संबंधित अधिकारियों को सूचित करें ताकि आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जा सके.
उन्होंने उनसे "मणिपुर के दुश्मनों" की पहचान करने और आंतरिक संघर्षों में शामिल होने के बजाय एकजुट होकर उनका सामना करने को भी कहा. सिंह ने यहां एक निजी अस्पताल में घायलों से मुलाकात की, जहां गोलीबारी में गोली लगने से घायल हुए चार लोगों का इलाज किया जा रहा है.
सोमवार को अल्पसंख्यक बहुल लिलोंग चिंगजाओ में प्रतिबंधित पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की राजनीतिक शाखा रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ) के कैडरों ने चार ग्रामीणों की गोली मारकर हत्या कर दी. घटना में दस अन्य घायल हो गए फिलहाल उनका इलाज चल रहा है. हमले के बाद गुस्साए स्थानीय लोगों ने उन चार गाड़ियों में आग लगा दी, जिनमें हमलावर आए थे. हिंसा के बाद थौबल, इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम, काकचिंग और बिष्णुपुर जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया.