पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का पंजाब से गहरा नाता है. 1932 में यहां के गाह गांव में उनका जन्म हुआ था, जो कि अब पाकिस्तान में है. कॉलेज के दिनों से लेकर यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट होने और फिर पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बनने तक - पूर्व पीएम जिस मकाम तक भी पहुंचे, उन्होंने अपनी गहरी छाप छोड़ी है.
अभी जबकि पूरा देश उनके वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री के कार्यकाल को याद कर रहा है, उनके दोस्त और कॉलेज के साथी भी उनकी विनम्रता की प्रशंसा कर रहे हैं. विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया था और अमृतसर में बस गया था. यहां के मशहूर हिंदू कॉलेज से उन्होंने 1951-54 सत्र में ग्रेजुएशन किया. वह न सिर्फ ब्रिलियंट, बल्कि मैथमेटिक्स में जीनियस भी थे.
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दोस्तों ने पूर्व पीएम को ऐसे किया याद
इंडिया टुडे से बातचीत में डॉक्टर मनमोहन सिंह के दोस्त हंस राज चौधरी कहते हैं, "मैंने पूर्व पीएम के साथ दो साल तक पढ़ाई की और वह गणित में बहुत अच्छे थे. वह ज्यादा बात नहीं करते थे, लेकिन बहुत फोकस्ड थे और हमेशा मुझे सॉल्व करने के लिए मुश्किल सवाल दिया करते थे. वह एक रत्न थे और टीचर्स भी उन्हें बहुत पसंद किया करते थे. मैं उनसे हाल के दिनों में तो नहीं मिला, लेकिन याद है जब हम एक बार मिले तो उन्होंने मुझे तुरंत पहचान लिया." उन्होंने बताया कि डॉक्टर सिंह ने उनका हाल समाचार पूछा, जिसपर वह कहते हैं, "मुझे उनका यह व्यवहार बहुत अच्छा लगा."
इसी तरह, हिंदू कॉलेज में छात्र संघ के अध्यक्ष रहे अशोक सेठी कहते हैं, "कॉलेज के छात्र के रूप में डॉक्टर मनमोहन सिंह बहुत शांत और संयमित रहे, लेकिन अर्थशास्त्र के बारे में अपने नॉलेज से बहुत प्रभाव छोड़ा. वह 2018 के कॉन्वोकेशन में कॉलेज आए थे और यहां तीन घंटे बिताए. इस दौरान उन्होंने अपने दिनों के शिक्षकों के साथ अपनी सारी कहानियां और जुड़ाव का जिक्र किया था."
अशोक सेठी ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद डॉक्टर मनमोहन सिंह के मन में हमेशा अमृतसर के लिए एक खास जगह रही. उन्होंने अमृतसर के लिए मॉडर्न एयरपोर्ट बनवाया, अटारी बॉर्डर पर इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट बनवाए, अमृतसर के लिए फोर-लेन सड़क बनवाई. उन्होंने अपने कॉलेज का हमेशा ख्याल रखा." वह बताते हैं, "डॉक्टर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री रहते हुए कई बार अमृतसर आए, इसलिए वे हमेशा सर्किट हाउस में ही ठहरते थे और उनके परिवार के सदस्य उनसे मिलने वहां जाते थे."
पूर्व पीएम का पंजाब यूनिवर्सिटी से कनेक्शन
अर्थशास्त्र के लिए मशहूर मनमोहन सिंह का पंजाब यूनिवर्सिटी से गहरा नाता था. वह यहां स्टूडेंट भी रहे, और बाद में प्रोफेसर भी बने. उन्हें याद करते हुए यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर अरुण ग्रोवर बताते हैं, "डॉक्टर मनमोहन सिंह ने इसी यूनिवर्सिटी से मैट्रिक किया था. उस समय जब चंडीगढ़ में कोई यूनिवर्सिटी कैंपस नहीं था, तब होशियारपुर में एक कैंपस बनाया गया, जहां से डॉक्टर मनमोहन सिंह ने एमए किया और यहां तक कि स्कॉलर्शिप हासिल करके आगे की पढ़ाई के लिए कैम्ब्रिज यूनिवर्सीट भी पहुंचे."
पूर्व वीसी अरुण ग्रोवर ने आगे बताया कि जब यूनिवर्सिटी कैंपस चंडीगढ़ में शिफ्ट हुआ तो वह यहां 1965 तक प्रोफेसर भी रहे. मेरी उनसे मुलाकात तब हुई जब वह प्रधानमंत्री बन गए थे." उन्होंने बताया कि मौजूदी वीसी के साथ उनकी बातचीत हुई है, और कैंपस में उनके नाम पर एक मेमोरियल बनाने पर सहमति बनी है.
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चंडीगढ़ में मनमोहन सिंह का घर
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जड़ें पंजाब से जुड़ी थी, इसलिए उनका चंडीगढ़ से भी काफी लगाव था. महान अर्थशास्त्री ने चंडीगढ़ में प्रोफेसर के तौर पर भी काम करते थे, तो उन्होंने यहां सेक्टर 11 में एक घर भी बनवाया था. यहां मकान नंबर 727 एक कॉर्नर वाला घर है. हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री हाल-फिलहाल में कभी इस घर में नहीं आए, लेकिन उनके पड़ोसी उन्हें याद करते हैं.
पूर्व पीएम के घर के पास ही रहने वाले ए.एस. पाराशर ने बताते हैं, "पूर्व प्रधानमंत्री हाल के सालों में कभी इस घर में नहीं आए, लेकिन उनकी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य आए थे. ज्यादातर समय यह घर किराए पर रहा है." एक अन्य पवन बंस ने कहा, "हम पड़ोसी महान नेता के निधन से दुखी हैं और उनसे हुई मुलाकातों को याद करते हैं."
डॉक्टर मनमोहन सिंह साल 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल उनकी दोनों कैबिनेट में शामिल रहे. इंडिया टुडे से बातचीत में उन्होंने कहा, "मैंने पूर्व पीएम के अधीन काम किया और बस इतना कहूंगा कि उन्होंने देश को बहुत कुछ दिया, खासकर आरटीआई और आरटीई. उन्होंने देश के हित में बड़े फैसले लिए."
पवन बंस ने आगे कहा, "मैं उनकी दोनों कैबिनेट में था और मुझे याद है कि वह ज्यादा बात नहीं करते थे, लेकिन अपने मजबूत फैसले और आर्थिक मामलों पर पकड़ से सभी को प्रभावित करते थे."