पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन हो गया है. वित्त मंत्री के रूप में भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा को हमेशा के लिए बदल देने वाले डॉ. मनमोहन सिंह का राजनीति में आने का किस्सा बहुत रोचक है. डॉ. सिंह को पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री बनने का प्रस्ताव देर रात नींद से उठाकर दिया गया था, जिस पर उन्हें यकीन नहीं हुआ और अगली सुबह वे अपने दफ्तर चले गए थे, जबकि उन्हें शपथ लेने के लिए राष्ट्रपति भवन जाना था. इसका जिक्र Penguin Random House India से प्रकाशित एके भट्टाचार्य की किताब India’s Finance Ministers: Stumbling into Reforms (1977 to 1998) में मिलता है.
वीपी सिंह सरकार की टॉप इकोनॉमिक पॉलिसी टीम का हिस्सा बनना था
साल 1990 में मनमोहन सिंह साउथ कमीशन के सेक्रेटरी जनरल के रूप में अपना काम पूरा कर भारत आए थे. उन्हें वीपी सिंह सरकार की टॉप इकोनॉमिक पॉलिसी टीम का हिस्सा बनना था. PM ने सिंह को अपनी आर्थिक सलाहकार परिषद का अध्यक्ष बनने के लिए कहा था. उन्होंने यह पद स्वीकार भी कर लिया था. लेकिन पहले ही वीपी सिंह की सरकार गिर गई. इसके बाद कांग्रेस के समर्थन से चंद्रशेखर की सरकार बनी. चंद्रशेखर ने डॉ. सिंह को प्रधानमंत्री कार्यालय में आर्थिक सलाहकार का पद दिया. 1991 में चंद्रशेखर की सरकार भी गिर गई. इस समय UGC (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) के अध्यक्ष का पद खाली था. ऐसे में डॉ. सिंह को वहां नियुक्त किया गया.
नींद से जगा कर दिया गया ऑफर
चंद्रशेखर की सरकार गिरने के बाद नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने थे. तब अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत खराब हो रही थी. अगला वित्त मंत्री कौन होना चाहिए, इसकी चर्चा हो रही थी. शुरुआत में सभी भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर आईजी पटेल के नाम पर सहमत हुए. लेकिन पटेल ने यह पद नहीं लिया. उसके बाद डॉ. मनमोहन सिंह का नाम आगे किया गया. शपथ ग्रहण समारोह से एक दिन पहले राव ने पीसी अलेक्जेंडर को डॉ. सिंह से संपर्क करने को कहा. हालांकि इस फैसले के होने तक रात हो चुकी थी और 20 जून 1991 की रात देर से नीदरलैंड से लौटे डॉ. सिंह सो रहे थे. अलेक्जेंडर ने उन्हें फोन किया और बताया कि वो तुरंत मिलना चाहते हैं.
इसके बाद रात में ही अलेक्जेंडर, मनमोहन सिंह के घर पहुंचे और राव की सरकार में वित्त मंत्री बनने के लिए कहा. सिंह को अलेक्जेंडर पर यकीन नहीं हुआ और वो सुबह यूजीसी दफ्तर निकल गए. उधर सिंह का इंतजार शपथ समारोह में किया जा रहा था. समारोह में नजर नहीं आए तो खोजबीन शुरू हुई. फिर उनसे फोन पर पूछा गया कि क्या वो अगले वित्त मंत्री के तौर पर शपथ लेने आएंगे?
सिंह को विश्वास नहीं हुआ. फिर उनसे कहा गया कि वो घर जाकर तैयार होकर शपथ समारोह में शामिल हों. समारोह में सिंह को वित्त मंत्रालय का पद नहीं सौंपा गया. हालांकि शपथ समारोह के बाद उन्हें बतौर वित्त मंत्री नॉर्थ ब्लॉक ऑफिस से काम शुरू करने को कहा गया. बाद में विज्ञप्ति जारी कर मनमोहन सिंह को आधिकारिक तौर वित्त मंत्रालय दिया गया.