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सरकार को अल्टीमेटम के साथ भूख हड़ताल खत्म करने की घोषणा.... मराठा आरक्षण आंदोलन में कब क्या हुआ

मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर बीते 29 अगस्त से महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई थी. दुबली-पतली काया और कद-काठी वाले मनोज जरांगे अचानक ही तब लाइमलाइट में आ गए, जब उन्होंने मराठा आरक्षण को लेकर आवाज बुलंद की. इसके बाद 1 सितंबर को हुए हिंसात्मक विरोध के बाद पुलिस लाठीचार्ज ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया.

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मराठा आरक्षण आंदोलन में राज्यभर में हुए प्रदर्शन (फाइल फोटो)
मराठा आरक्षण आंदोलन में राज्यभर में हुए प्रदर्शन (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र के जालना में 1 सितंबर से शुरू हुए मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर नया अपडेट सामने आया है. इस आंदोलन के झंडा बरदार रहे मनोज जारांगे पाटिल ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाया और कहा कि वह अपनी भूख हड़ताल खत्म कर रहे हैं. हालांकि इसी के साथ उन्होंने कहा कि वह उस जगह को नहीं छोड़ेंगे जहां वह विरोध के लिए बैठे हैं.

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सरकार को दिया 30 दिन का अल्टीमेटम
उन्होंने मराठा आरक्षण पर फैसला लेने के लिए राज्य सरकार को 30 दिन का अल्टीमेटम भी दिया है. मनोज जारांगे का कहना है कि 'यदि सरकार ऐसा करने में विफल रहती है तो वह फिर से अंतरावली सराटी में भूख हड़ताल शुरू कर देंगे.'  उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना फैसला सुनाया है. इसके अलावा उन्होंने मराठा समुदाय से अगले 30 दिनों तक पूरे महाराष्ट्र में आंदोलन की सिरीज शुरू करने को कहा है. 

29 अगस्त से महाराष्ट्र की राजनीति में मची उथल-पुथल
मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर बीते 29 अगस्त से महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई थी. दुबली-पतली काया और कद-काठी वाले मनोज जारांगे अचानक ही तब लाइमलाइट में आ गए, जब उन्होंने मराठा आरक्षण को लेकर आवाज बुलंद की. इसके बाद 1 सितंबर को हुए हिंसात्मक विरोध के बाद पुलिस लाठीचार्ज ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया. इतने दिनों तक भूख हड़ताल पर रहे जारांगे ने मंगलवार को अपनी भूख हड़ताल खत्म करने का फैसला किया है, लेकिन सरकार को ये भी चुनौती दी है कि उनका आंदोलन जारी रहेगा और इस पर राज्य सरकार जल्द फैसला ले. मराठा आराक्षण आंदोलन में अब तक क्या-क्या हुआ, डालते हैं एक नजर

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29 अगस्त- आंदोलन की शुरुआत
29 अगस्त को अतरावली-सरती गांव में आंदोलन की शुरुआत की. मनोज जारांगे ने मांग रखी कि, मराठाओं को ओबीसी का दर्जा दिया जाए.इनका कहना है कि सितंबर 1948 तक निजाम का शासन खत्म होने तक मराठाओं को कुनबी माना जाता था और ये ओबीसी थे. इसलिए अब फिर इन्हें कुनबी जाति का दर्जा दिया जाए और ओबीसी में शामिल किया जाए. कुनबी, खेती-बाड़ी से जुड़ा समुदाय है. इसे महाराष्ट्र में ओबीसी में शामिल किया गया है.

कुनबी जाति के लोगों को सरकारी नौकरियों से लेकर शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण मिलता है. मराठवाड़ा क्षेत्र महाराष्ट्र का हिस्सा बनने से पहले तत्कालीन हैदराबाद रियासत में शामिल था. मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनशन पर बैठे मनोज जरांगे का कहना है कि जब तक मराठियों को कुनबी जाति का सर्टिफिकेट नहीं दिया जाता, तब तक भूख हड़ताल खत्म नहीं होगी. इस ऐलान के साथ मनोज भूख हड़ताल पर बैठ गए.

1  सितंबरः  पुलिस ने किया लाठी चार्ज
1 सितंबर की शाम को स्थिति अचानक बदल गई. पुलिस ने भूख हड़ताल पर बैठे मनोज को जबरन अस्पताल में भर्ती कराने का प्रयास किया. इससे उनके समर्थकों के साथ झड़प हो गई और पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा, जिससे पुलिस पर बर्बरता के आरोप लगे. लोगों ने शिवसेना-भाजपा सरकार पर सवाल उठाए. इस लाठीचार्ज के बाद मनोज राष्ट्रीय पटल पर सुर्खियों में आ गए. मराठा आरक्षण आंदोलन अतरावली-सुरती गांव से निकलकर जालना, पुणे और ठाणे तक फैल गया.

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हिंसा की जांच के लिए हाईलेवल कमेटी के गठन का आश्वासन
इसके बाद सीएम ने प्रदर्शनकारियों से बात की थी और उनसे भूख हड़ताल खत्म करने का आग्रह किया था, लेकिन उन्होंने पीछे हटने से इनकार कर दिया. इसके अगले दिन अंबाद तहसील के वाडिगोदरी गांव में दुकानें और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे थे. शिंदे ने कहा था कि 'राज्य सरकार समुदाय को आरक्षण देने के लिए कुछ कदम उठा रही है. मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फड़नवीस के कार्यकाल के दौरान, राज्य सरकार ने मराठा समुदाय को आरक्षण दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया.'

उन्होंने कहा था 'मैं इस पर राजनीति नहीं करना चाहता क्योंकि इसका उचित तरीके से पालन नहीं किया गया. हालांकि, राज्य सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और अगर कोई सुझाव आएगा तो हम उसका स्वागत करेंगे. मैं प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील करता हूं ताकि आम लोगों को परेशानी न हो.' शिंदे ने घोषणा की कि हिंसा की उच्च स्तरीय जांच के लिए एक समिति गठित की जाएगी.

4 सितंबरः सरकार ने जरांगे को बातचीत के लिए बुलाया
मराठा आरक्षण के मुद्दे पर बातचीत के लिए महाराष्ट्र सरकार ने मनोज जरांगे को बुलाया. वहीं एक सितंबर को लाठीचार्ज के विरोध में शनिवार को ठाणे, नासिक और लातूर में प्रदर्शन किए गए. हिंसा के बाद महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने रविवार को जालना एसपी को अनिवार्य छुट्टी पर भेज दिया. दो डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारियों का भी जालना से बाहर ट्रांसफर किया गया. शिंदे ने कहा कि वे एक साधारण मराठा परिवार में पैदा हुए हैं, इसलिए वह समुदाय के दर्द को समझ सकते हैं. उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार मराठों को आरक्षण देने का प्रयास कर रही है, जो कानूनी परीक्षा में भी पास हो.

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7 सितंबरः रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कमेटी गठित 
महाराष्ट्र सरकार ने रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक समिति गठित की. इसे लेकर सरकार ने सरकारी संकल्प (गवर्नमेंट रेज्योलूशन) जारी किया. सरकारी संकल्प के साथ-साथ महाराष्ट्र सरकार ने मराठा प्रदर्शनकारी मनोज जारांगे पाटिल को एक पत्र भी जारी किया है, जिसमें उनसे भूख हड़ताल खत्म करने की अपील की गई थी. हालांकि जरांगे की भूखहड़ताल जारी रही.

जरांगे ने ग्रामीणों के प्रतिनिधियों के साथ की मीटिंग
वहीं मनोज जरांगे ने कहा कि 'मुझे बताया गया कि एक जीआर निकाला गया है कि जिनके पास पैतृक कुनबी दस्तावेज हैं, उन्हें कल से ओबीसी लाभ के लिए कुनबी प्रमाण पत्र आवंटित किया जाएगा. जो लोग निजाम राज्य में थे और अब मराठवाड़ा, महाराष्ट्र का हिस्सा हैं, उन्हें भी कुनबी का दर्जा दिया जाएगा.' 'जिन मराठों के पास यह प्रमाणपत्र नहीं है, उन्हें बिना शर्त कुनबी प्रमाणपत्र देने के लिए सीएम ने एक महीने की मोहलत मांगी है. इसके लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है. 123 ग्रामीणों के प्रतिनिधियों को बुलाया जाएगा और हम चर्चा करेंगे. लेकिन तब तक मेरा आमरण अनशन आंदोलन जारी रहेगा.' 

11 सितंबरः महाराष्ट्र सरकार ने बुलाई सर्वदलीय बैठक
महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा के लिए सोमवार को मुंबई में सर्वदलीय बैठक बुलाई. उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने रविवार को यह जानकारी दी थी. कोल्हापुर शहर में जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि मराठा समुदाय के कई लोग अमीर थे, लेकिन बहुत से लोग गरीब थे जिन्हें मदद की जरूरत है. मराठा समुदाय को आरक्षण देते समय यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अन्य पिछड़ा वर्ग प्रभावित न हो. केवल चर्चा और बैठकों से ही इस मुद्दे का समाधान होगा. इसलिए आरक्षण मुद्दे पर चर्चा के लिए सोमवार को मुंबई में सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है. 

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12 सितंबरः सर्वदलीय बैठक की घोषणाएं आईं सामने
सर्वदलीय बैठक के बाद सीएम एकनाथ शिंदे ने घोषणा करते हुए कहा कि जालना समेत पूरे राज्य में मराठा आंदोलनकारियों पर दर्ज हुए सभी मुकदमे वापस ले लिए जाएंगे. सर्वदलीय बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया है कि मनोज जारांगे पाटिल को अपनी भूख हड़ताल खत्म करनी चाहिए क्योंकि सरकार मराठा आरक्षण की मांगों पर लगातार काम कर रही है. मुख्यमंत्री ने बताया कि मराठा आरक्षण को लेकर हम एक कमेटी बनाएंगे. सर्वदलीय बैठक में इसको लेकर चर्चा हुई है. रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में बनने वाली इस कमेटी में उनके डेलीगेशन के सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा. ऑल पार्टी मीटिंग में मराठा समुदाय को आरक्षण देने पर सहमति बनी है. इसके लिए किसी अन्य समुदाय के कोटा को नहीं छेड़ा जाएगा.
 

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