Maritime Theatre Command: भारत में अब नेवी की थिएटर कमांड बनाने की तैयारी भी चल रही है. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, हाल ही में तीनों सेनाओं के अधिकारियों की एक बैठक हुई थी, जिसमें नेवी की थिएटर कमांड बनाने पर चर्चा हुई. न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस साल 15 अगस्त को पहली नेवी थिएटर कमांड का ऐलान भी किया जा सकता है.
समुद्री थिएटर कमांड कैसी होगी, इसे लेकर नौसेना को अपने सुझाव रक्षा मंत्रालय को देना है. इसी पर चर्चा के लिए ये बैठक बुलाई गई थी. बताया जा रहा है कि अप्रैल तक नौसेना अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है.
थिएटर कमांड बनाने का सपना देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ रहे जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) का था. 31 दिसंबर, 2019 को जब उन्होंने देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद संभाला तो उनका सबसे बड़ा काम तीनों सेनाओं में तालमेल बिठाने का था. इसके साथ ही तीन साल के भीतर उन्हें सेनाओं का पुनर्गठन कर 'थिएटर कमांड' बनाने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी.
कैसे काम करता है थिएटर कमांड?
- थिएटर कमांड का मकसद भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेनाओं को एक छत के नीचे लाना है. चार नए थिएटर कमांड बनाने पर बिपिन रावत काम कर रहे थे. रावत जिस थिएटर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे, वो प्रोजेक्ट चीन और पाकिस्तान से आने वाले खतरों से निपटने में अहम रोल अदा करेगा.
- दरअसल थिएटर कमांड्स का सबसे सही इस्तेमाल युद्ध के दौरान तब होता है, जब भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेना प्रमुखों के बीच तालमेल होती है. थिएटर कमांड्स से बनी रणनीतियों के अनुसार दुश्मन पर अचूक वार करना आसान हो जाता है. तीनों सेनाओं के संसाधनों और हथियारों का इस्तेमाल एक साथ किया जा सकता है.
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थिएटर कमांड की जरूरत क्यों?
- 1999 में भारत ने पाकिस्तान के साथ कारगिल की जंग लड़ी. इसके बाद बनी कई समितियों ने थिएटर कमांड और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद की स्थापना के सुझाव दिए थे.
- अभी देश में करीब 15 लाख सशक्त सैन्य बल है. इन्हें संगठित और एकजुट करने के लिए थिएटर कमांड की जरूरत है. एकसाथ कमांड लाने पर सैन्य बलों के आधुनिकीकरण का खर्च कम हो जाएगा. किसी भी आधुनिक तकनीक का प्रयोग सिर्फ एक ही सेना नहीं करेगी बल्कि उस कमांड के अंदर आने वाले सभी सैन्य बलों को उसका लाभ मिलेगा.
थिएटर कमांड से क्या बदलाव आएगा?
थिएटर कमांड बनती है और आने वाले समय में कोई युद्ध होता है तो उसमें इसका फायदा मिल सकता है. अभी तक होता ये है कि युद्ध की स्थिति में तीनों सेनाएं अपने-अपने हिसाब से तैयारियां करती हैं और जरूरत पड़ने पर ही कोऑर्डिनेशन करती हैं. लेकिन थिएटर कमांड होगी तो तीनों सेनाएं मिलकर तैयारी और रणनीति बना सकते हैं. इतना ही नहीं, थिएटर कमांड होने से टेकनीक और हथियार भी आसानी से साझा किए जा सकते हैं.
मैरिटाइम या नेवी थिएटर कमांड क्या?
इस कमांड को पहले अंडमान-निकोबार में बनाने की योजना थी. लेकिन ये प्लान सफल नहीं हो सका. अब इसका हेडक्वार्टर कर्नाटक के करवर में होगा, जो भारत के पश्चिमी तट पर है. इस कमांड का काम भारत को जलमार्गों से आने वाले खतरों से बचाना होगा. इसके अधीन सैनिक और वायु सेना के फाइटर प्लेन भी रहेंगे.
देश में अभी हैं 17 कमांड्स
देश में अभी तीनों सेनाओं के अलग-अलग 17 कमांड्स हैं. सात थल सेना के पास, सात वायुसेना के पास और तीन नौसेना के पास. इसके अलावा एक स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड है जो परमाणु शस्त्रागार को सुरक्षा देता है और उसे संभालता है. इसकी स्थापना वर्ष 2003 में की गई थी. इनके अलावा देश में सिर्फ एक थिएटर कमांड है. इसकी स्थापना वर्ष 2001 में अंडमान निकोबार में की गई थी.
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चीन-पाकिस्तान के लिए था प्लान
कहा जा रहा है कि बिपिन रावत 4 थिएटर कमांड पर काम कर रहे थे. बिपिन रावत चीन और पाकिस्तान की हरकतों पर नजर रखने के लिए ये थिएटर कमांड बनाना चाहते थे. जून 2021 में आजतक को दिए इंटरव्यू में जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि भारत 2022 तक थिएटर कमांड बना लेगा. उन्होंने कहा था, 'हमारी समुद्री सीमाएं बहुत बड़ी हैं. जम्मू-कश्मीर और एलएसी की सीमाएं अनसुलझी हैं.इसलिए हमने लैंड बेस्ड कमांड तैयार किया है. पूर्वी और पश्चिमी थिएटर पर ध्यान दिया जाएगा.'
अमेरिका के पास 11, चीन के पास 5 थिएटर कमांड्स
अमेरिका में अभी कुल मिलाकर 11 थिएटर कमांड्स हैं. इनमें से 6 पूरी दुनिया को कवर करते हैं. वहीं, चीन के पास भी 5 थिएटर कमांड्स हैं. चीन भारत को अपने पश्चिमी थिएटर कमांड के जरिए हैंडल करता है. इसी कमांड से वो भारत चीन सीमा पर निगरानी रखवाता है. रूस के पास भी 4 थिएटर कमांड्स हैं.