देश में दहेज प्रथा को लेकर आए दिन हत्या और प्रताड़ना की खबर आपने सुनी होगी लेकिन अब दहेज को लेकर केरल हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है.
बुधवार को केरल हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि बेटी की भलाई के लिए अपनी मर्जी से माता-पिता का शादी में उपहार देना दहेज नहीं माना जाएगा. न्यायमूर्ति एम.आर. अनीता ने अपने फैसले में कहा कि इसी तरह शादी में बेटी को बतौर गिफ्ट सोने का आभूषण देना भी दहेज नहीं कहा जा सकता है.
अदालत ने फैसला सुनाया कि दहेज निषेध अधिकारी केवल तभी हस्तक्षेप कर सकता है जब यह पाया जाए कि शादी में दुल्हन को दिए गए उपहार किसी और ने लिए थे. हाई कोर्ट ने यह फैसला केरल के कोल्लम जिले में दहेज निषेध अधिकारी के आदेश के खिलाफ दायर किए गए एक याचिका पर सुनाया है.
अदालत ने अधिकारी के आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि दहेज निषेध अधिकारी शादी में प्राप्त सोने के आभूषणों को यह जाने बिना वापस करने का निर्देश नहीं दे सकता कि यह दहेज है या नहीं.
इससे पहले, कोल्लम जिला दहेज निषेध अधिकारी ने एक युवती की शिकायत पर आदेश जारी किया था, उस आदेश में कहा गया था शादी के लिए मिले 55 सोने के गहने जो बैंक लॉकर में रखे हुए थे उसे उसके परिवार को वापस कर दिया जाना चाहिए.
हालांकि युवती के पति ने अदालत में एक याचिका दायर की और घोषणा की कि दहेज निषेध अधिकारी को ऐसा आदेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि उनकी शादी में प्राप्त आभूषण दहेज नहीं था.
अदालत ने कहा कि यदि दहेज के बारे में कोई शिकायत प्राप्त होती है, तो दहेज निषेध अधिकारी इसकी जांच करने और दोनों पक्षों से सबूत एकत्र करने के लिए जिम्मेदार होता है. अगर अधिकारी को यह पता चलता है कि शादी में दिया गया उपहार किसी और ने लिया है तो वह ऐसे मामलों में हस्तक्षेप कर सकता है.
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