हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियल झीलों के फटने से बाढ़ (GLOF) का खतरा बढ़ रहा है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियल पिघल रहे हैं और झीलों का विस्तार हो रहा है. ग्लेशियल झील के फटने से आने वाली बाढ़ को ही ग्लेशियल झील विस्फोट बाढ़ (GLOF) कहते हैं. यह एक विनाशकारी बाढ़ होती है जिसमें लोगों, जानवरों, और इमारतों को भारी नुकसान हो सकता है.
भारत के केंद्रीय जल आयोग (CWC) ने सितंबर 2024 की अपनी रिपोर्ट जारी की, जिसमें इस बढ़ते खतरे का विश्लेषण किया गया है, जिसका मुख्य कारण ग्लोबल वार्मिंग है. उनके निष्कर्षों के अनुसार, हिमालय में 10 से 50 हेक्टेयर के बीच फैली ग्लेशियल झीलें और जल निकाय 2011 से 11% तक बढ़ गए हैं.
चीनी झीलें कैसे बड़ी हो रही हैं?
यह खतरनाक प्रवृत्ति केवल भारत तक ही सीमित नहीं है; बड़ी चिंताजनक प्रवृत्ति पड़ोसी चीन से आ रही है. चिंता इस बात की है कि हमारे सबसे बड़े पड़ोस में बड़ी झीलें बन रही हैं, जो भारतीय झीलों की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ रही हैं. चीन में, 50 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल वाली दो झीलों और 14 जल निकायों में 40% से अधिक की वृद्धि हुई है, जिससे सीमा पार खतरा पैदा हो गया है. इस तरह के विस्तार से विनाशकारी GLOF की संभावना बढ़ जाती है. इससे विनाशकारी बाढ़ आ सकती है और आम जन- जीवन और बुनियादी ढांचे पर खासा असर पड़ सकता है.
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CWC की नजर 2 हज़ार से ज़्यादा ग्लेशियल झीलों पर
भारत के केंद्रीय जल आयोग (CWC) ने 2009 में अपने निगरानी प्रयासों की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य नियमित आकलन प्रदान करना और तैयारी रणनीतियों को मज़बूत करना था. 2011 की सूची में 10 हेक्टेयर से ज़्यादा 2,028 ग्लेशियल झीलें और जल निकायों का विवरण है. रिमोट सेंसिंग, सैटेलाइट इमेजरी और Google Earth Engine जैसे क्लाउड प्लेटफ़ॉर्म जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग करते हुए, CWC तब से इन महत्वपूर्ण जल निकायों में से 902 की गहन निगरानी कर रहा है.
सितंबर 2024 की रिपोर्ट काफी अहम है. पिछले एक दशक में 544 ग्लेशियल झीलें और 358 जल निकायों में 10.81% के कुल क्षेत्रफल वृद्धि हुई है. सबसे ज़्यादा वृद्धि चीन में देखी गई है, भारत में भी इसी तरह के पैटर्न उभर रहे हैं, जहां 67 झीलों के आकार में वृद्धि हुई है.
पिछले 50 वर्षों में GLOF की संख्या में वृद्धि हुई है
इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (ICIMOD) का हाल में रिलीज हुआ डेटा ग्लेशियल झील विस्फोट बाढ़ (GLOF) के बढ़ते खतरे की याद दिलाते हैं. ICIMOD के व्यापक विश्लेषण के अनुसार, 1833 से अब तक दर्ज 700 GLOF घटनाओं में से 70% से अधिक पिछले 50 वर्षों के दौरान हुई हैं. यह प्रवृत्ति ग्लेशियल गतिशीलता पर जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करती है.
विशेष रूप से, वर्ष 1980 में सर्वाधिक 15 GLOF घटनाएं दर्ज की गईं, इसके ठीक बाद 2015 में 13 घटनाएं दर्ज की गईं. वर्ष 1973, 1974, 2002 और 2010 में प्रत्येक वर्ष 10 घटनाएं सामने आई. ऐसी घटनाओं के परिणाम बहुत गंभीर होते हैं, 1833 से अब तक हिंदू कुश हिमालयी क्षेत्र में 7,000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. ICIMOD की रिपोर्ट, "हाई माउंटेन एशिया में ग्लेशियल झील के फटने से बाढ़ जैसी घटनाएं होती हैं.
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किसी भी आपदा से बचने के लिए केंद्र की निगरानी
बढ़ते खतरे को देखते हुए, केंद्र ने भारतीय हिमालयी क्षेत्र में GLOF के प्रति संवेदनशील 188 महत्वपूर्ण झीलों के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (EWS) स्थापित करने पर काम शुरू किया है. यह पहल सरकार के GLOF EWS मिशन का एक प्रमुख पहलू है. इसे 3 अक्टूबर, 2023 को सिक्किम में हुई आपदा के मद्देनजर शुरू किया गया था, जिसकी वजह से 40 से अधिक मौतें हुईं थी.
आपको बता दें कि भारत की सीमा में सिर्फ 7,570 ग्लेशियल लेक्स हैं. बाकी दूसरे देशों की सीमाओं में हैं. लेकिन ये सभी ग्लेशियल लेक्स भारत के लिए कभी भी आफत खड़ी कर सकते हैं. चाहे वह गंगा हो, सिंधु हो या फिर ब्रह्मपुत्र हो. क्योंकि ये ऊंचाई पर हैं, वहां अगर कोई हादसा होता है तो पानी का तेज बहाव नीचे की ओर आएगा. जिससे नदियों में फ्लैश फ्लड आ सकता है.