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वाराणसी के काशी विश्नवनाथ कॉरिडोर की तरह ही मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में भी कॉरिडोर बनाने की तैयारी शुरू हो गई है. कॉरिडोर को लेकर सर्वे का काम पूरा हो चुका है. ये पूरा कॉरिडोर पांच एकड़ में बनाया जाएगा.
पिछले साल इलाहाबाद हाईकोर्ट में यूपी सरकार ने मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में कॉरिडोर बनाने की बात कही थी.
पिछले साल ही अगस्त में बांके बिहारी मंदिर में दर्शन करने पहुंचे यूपी के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बताया था कि ये कॉरिडोर मंदिर और यमुना नदी को जोड़ेगा. ये ठीक वैसा ही होगा जैसा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर मंदिर और गंगा नदी से जुड़ा है.
बहरहाल, बांके बिहारी मंदिर का कॉरिडोर कैसा होगा? इसका प्रस्तावित प्लान सामने आ चुका है. इसके मुताबिक, कॉरिडोर के तीन रास्ते होंगे, जिनके जरिए मंदिर तक पहुंचा जा सकेगा. ये पूरा कॉरिडोर दो मंजिला होगा.
ये तीन रास्ते होंगे
- प्रस्तावित प्लान के मुताबिक, कॉरिडोर से मंदिर जाने के तीन रास्ते होंगे. पहला रास्ता जुगल घाट से होगा. दूसरा रास्ता विद्यापीठ चौराहे से और तीसरा जादौन पार्किंग से होगा.
- जुगल घाट से जो रास्ता बनेगा, उसकी सड़क 25 मीटर चौड़ी होगी. वहीं, विद्यापीठ चौराहे की सड़क 7 मीटर और जादौन पार्किंग की 15 मीटर चौड़ी होगी. इन तीन रास्तों से मंदिर पहुंचा जा सकेगा.
और क्या-क्या होगा खास?
- बांके बिहारी मंदिर का कॉरिडोर दो मंजिला होगा. जैसे-जैसे श्रद्धालु कॉरिडोर में आगे बढ़ते जाएंगे, वैसे-वैसे मंदिर के दर्शन होने लगेंगे.
- कॉरिडोर में श्रद्धालुओं के लिए कई सुविधाएं भी होंगी, जिनमें सामान घर, जूता घर, प्रसाधन और पीने के पानी की व्यवस्था होगी. साथ ही चिकित्सा और बच्चों की देखभाल की सुविधा भी होगी.
- इस कॉरिडोर में परिक्रमा मार्ग भी बनाया जाएगा. इसका ऊपरी हिस्सा 11 हजार 600 वर्ग मीटर का होगा, जबकि निचला हिस्सा 11 हजार 300 वर्ग मीटर का.
- प्रस्तावित कॉरिडोर में श्रद्धालु बांके बिहारी मंदिर के साथ-साथ चार और प्राचीन मंदिर के दर्शन भी कर सकेंगे. इनमें मदन मोहन मंदिर और राधा वल्लभ मंदिर भी शामिल है. ये दोनों प्राचीन मंदिर हैं.
कितना अधिग्रहण होगा?
- बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को पांच एकड़ दायरे में बनाया जाएगा. कॉरिडोर जाने वाले रास्तों का भी चौड़ीकरण किया जाएगा.
- कॉरिडोर के रास्ते में आने वाले 321 भवन और संपत्तियों का अधिग्रहण किया जाएगा. इसके लिए 200 करोड़ रुपये का मुआवजा प्रस्तावित है.
इससे फायदा क्या होगा?
- इस कॉरिडोर के जरिए मंदिर और यमुना नदी को जोड़ा जाएगा. श्रद्धालु यमुना में डुबकी लगाने के बाद कॉरिडोर के जरिए सीधे मंदिर तक पहुंच सकेंगे.
- यूपी सरकार के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने पिछले साल अगस्त में बताया था कि अभी मंदिर में एक बार में करीब 800 श्रद्धालु ही दर्शन कर पाते हैं, लेकिन कॉरिडोर बनने के बाद पांच हजार श्रद्धालु यहां दर्शन कर सकेंगे.
कहां है बांके बिहारी मंदिर?
बांके बिहारी मंदिर यूपी के मथुरा जिले के वृंदावन धाम में रमण रेती पर स्थित है. ये भारत के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है.
बांके बिहारी भगवान कृष्ण का ही एक रूप है जो इस मंदिर में दिखाया गया है. ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र भूमि पर आने मात्र से ही पापों का नाश हो जाता है.
वृंदावन धाम में बांके बिहारी मंदिर का निर्माण 1864 में स्वामी हरिदास ने करवाया था. स्वामी हरिदास श्रीकृष्ण के परम भक्त थे. माना जाता है कि इस मंदिर में स्थापित श्रीकृष्ण की मूर्ति खुद प्रकट हुई है.