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'म्यांमार के रखाइन प्रांत में रहना खतरे से खाली नहीं, वहां से तुरंत बाहर निकलें', MEA की भारतीयों को सलाह

विदेश मंत्रालय ने कहा कि  म्यांमार में रहने की योजना बना रहे सभी भारतीय नागरिकों (अल्पकालिक पर्यटकों को छोड़कर) को यांगून स्थित भारतीय दूतावास के साथ खुद को पंजीकृत करने की सलाह दी जाती है. दूतावास के साथ पंजीकरण से नागरिकों को किसी भी आपातकालीन स्थिति में या ऐसी आवश्यकता उत्पन्न होने पर उठाए जाने वाले उपायों की सुविधा मिलेगी.

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विदेश मंत्रालय ने म्यांमार के रखाइन राज्य में रह रहे भारतीयों को तुरंत यह जगह छोड़ने की सलाह दी है. (File Photo/ANI)
विदेश मंत्रालय ने म्यांमार के रखाइन राज्य में रह रहे भारतीयों को तुरंत यह जगह छोड़ने की सलाह दी है. (File Photo/ANI)

म्यांमार में तनावपूर्ण स्थिति के बीच, विदेश मंत्रालय (MEA) ने मंगलवार को एक एडवाइजरी जारी कर भारती नागरिकों को रखाइन राज्य की यात्रा नहीं करने की सलाह दी. विदेश मंत्रालय ने कहा कि वर्तमान में रखाइन राज्य में रह रहे भारतीय नागरिक तुरंत यहां से किसी दूसरे सुरक्षित स्थान की ओर चले जाएं. विदेश मंत्रालय ने अपनी एडवाइजरी में कहा, 'बिगड़ती सुरक्षा स्थिति, लैंडलाइन सहित दूरसंचार के अन्य साधनों में व्यवधान और आवश्यक वस्तुओं की गंभीर कमी को देखते हुए, सभी भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे म्यांमार के रखाइन राज्य की यात्रा न करें, जो भारतीय नागरिक पहले से ही रखाइन में हैं, उन्हें तुरंत यहां से बाहर निकलने की सलाह दी जाती है'.

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विदेश मंत्रालय ने कहा कि  म्यांमार में रहने की योजना बना रहे सभी भारतीय नागरिकों (अल्पकालिक पर्यटकों को छोड़कर) को यांगून स्थित भारतीय दूतावास के साथ खुद को पंजीकृत करने की सलाह दी जाती है. दूतावास के साथ पंजीकरण से नागरिकों को किसी भी आपातकालीन स्थिति में या ऐसी आवश्यकता उत्पन्न होने पर उठाए जाने वाले उपायों की सुविधा मिलेगी. गौरतलब है कि 1 फरवरी 2021 को सेना द्वारा तख्तापलट कर सत्ता पर कब्जा करने के बाद से म्यांमार में लोकतंत्र की बहाली की मांग को लेकर व्यापक हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. म्यांमार की सेना अपने विरोधियों और सत्तारूढ़ शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष करने वालों को निशाना बनाकर हवाई हमले कर रही है.

म्यांमार संकट क्या है?

पिछले कुछ महीनों में म्यांमार में हिंसा में काफी वृद्धि हुई है, जिसे 2021 के बाद से जुंटा शासन (म्यांमार की सेना का शासन) की सबसे बड़ी चुनौती कहा जा सकता है. तीन जातीय अल्पसंख्यक बलों ने पिछले साल अक्टूबर में सैन्य शासन के खिलाफ एक समन्वित आक्रमण शुरू किया था. जातीय बलों ने कुछ कस्बों और सैन्य चौकियों पर भी कब्ज़ा कर लिया. पिछले साल दिसंबर में, कम से कम 151 म्यांमारी सैनिक एक सशस्त्र जातीय समूह से बचने के लिए भागकर मिजोरम में घुस गए थे.

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म्यांमार में उनके शिविरों पर लोकतंत्र समर्थक जातीय समूहों द्वारा हमला किए जाने के बाद उन्होंने भारतीय सीमा में प्रवेश किया. नवंबर 2023 में, लोकतंत्र समर्थक मिलिशिया- पीपुल्स डिफेंस फोर्स (PDF) द्वारा उनके शिविरों पर कब्जा करने के बाद लगभग 104 सैनिक भारत-म्यांमार सीमा पार कर मिजोरम भाग गए. देश की मौजूदा स्थिति के कारण भारत-म्यांमार सीमा पर म्यांमार से मिजोरम में बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं. म्यांमार भारत के रणनीतिक पड़ोसियों में से एक है और यह नागालैंड और मणिपुर सहित कई पूर्वोत्तर राज्यों के साथ 1640 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है. 

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