विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने शुक्रवार को बताया कि चीन के बंदरगाह पर फंसे भारतीय नागरिकों को स्वदेश लाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि हमने चीनी दूतावास को इस संबंध में जानकारी दी है. भारतीय राजनयिक ने इस संबंध में बीजिंग में बातचीत की है और एमवी जग आनंद और एमवी अनस्तासिया पर सवार भारतीय नागरिकों को भारत लाने के संबंध में जल्द उचित कदम उठाने के लिए कहा है.
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय दिल्ली स्थित चीनी दूतावास से भी लगातार संपर्क में है. कोरोना संकट के चलते चीन में आवाजाही को लेकर कई सख्त नियम बनाए गए हैं. हम जहाज पर फंसे भारतीय नागरिकों की सकुशल भारत वापसी के लिए अन्य माध्यमों को लेकर भी चर्चा कर रहे हैं. चीन भी इन माध्यमों पर चर्चा कर रहा है.
कनाडा के सांसद रामदीप बरार के किसान आंदोलन में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस मामले को हमने संज्ञान में ले लिया है और तथ्यों की जांच की जा रही है. नेपाल के राजनीतिक घटनाक्रम पर श्रीवास्तव ने कहा कि यह नेपाल का आंतरिक मसला है. हमने नेपाल की उन्नति और विकास का हमेशा समर्थन किया है. नेपाल के विदेश मंत्री की दिल्ली यात्रा के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी उनकी यात्रा की तारीख तय की जा रही है.
विदेश मंत्री के श्रीलंका दौरे के सवाल पर उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद श्रीलंका की आर्थिक स्थिति को लेकर यह यात्रा की गई थी. इसमें आर्थिक, इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य पहलुओं को ध्यान में रखा गया था. डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों द्वारा ने कैपिटल हिल में किए गए उग्र प्रदर्शन के बीच तिरंगा लहराए जाने के घटनाक्रम पर उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के ट्वीट से भारत का मत स्पष्ट है. अनुराग ने कहा कि वह अमेरिका में हो रहे उग्र प्रदर्शन और दंगों से हतप्रभ हैं.
पाकिस्तान में लश्कर सरगना जकीउर रहमान लखवी को 15 साल की सजा सुनाए जाने और मसूद अजहर के अरेस्ट वारंट को लेकर उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान का छलावा है. एपीएजी मीटिंग और एफएटीएफ की मीटिंग से पहले पाकिस्तान अपनी छवि सुधारने के लिए यह पैंतरा आजमा रहा है. इसकी आड़ में पाकिस्तान भारत विरोधी एजेंडा का राग अलापेगा. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चाहिए कि पाकिस्तान पर दबाव बनाया जाए जिससे कि पाकिस्तान आंतक के लिए सख्त कार्रवाई करे.
S-400 मिसाइलों की खरीद पर अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत की हमेशा से निष्पक्ष विदेश नीति का हिमायती रहा है. उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी रही है. रूस के साथ भी भारत के विशेष संबंध रहे हैं. रक्षा सामाग्री खरीद में भी भारत अपनी इस नीति पर कायम है.