scorecardresearch
 

मेगा फाइटर जेट डील को मिलेगी कामयाबी! टेंडर प्रोसेस में तेजी लाएगी वायुसेना: सूत्र

114 बहुउद्देशीय लड़ाकू विमानों को शामिल करने की योजना से वायु सेना को स्वदेशी लड़ाकू विमानों के साथ-साथ अगले 10 वर्षों तक अपनी स्क्वाड्रन पॉवर को बनाए रखने में मदद मिलेगी.

Advertisement
X
फाइटर एयरक्राफ्ट (तस्वीर:X)
फाइटर एयरक्राफ्ट (तस्वीर:X)

भारतीय वायुसेना अगले चार से पांच वर्षों में तेजी से आगे बढ़ने वाले वैश्विक टेंडर के जरिए लड़ाकू विमानों को शामिल करने की योजना बना रही है. यह खबर ऐसे वक्त में आई है, जब रक्षा मंत्रालय की एक हाई लेवल कमेटी ने नए बहुउद्देशीय लड़ाकू विमानों की मांग पर सहमति जता दी है. मंगलवार को यह जानकारी सूत्रों के जरिए से मिली है. उन्होंने बताया कि इन 114 बहुउद्देशीय लड़ाकू विमानों को शामिल करने की योजना से वायुसेना को अगले 10 वर्षों में अपनी स्क्वाड्रन पॉवर को बनाए रखने में मदद मिलेगी.

Advertisement

इसके साथ ही स्वदेशी लड़ाकू विमानों को भी शामिल किया जाएगा, जिनमें मार्क 1ए और मार्क-2 जैसे हल्के लड़ाकू विमानों के कई संस्करण शामिल हैं.

क्या है सेना का लक्ष्य?

सूत्रों के मुताबिक, वायु सेना वर्ष 2037 तक लड़ाकू विमान के 10 स्क्वाड्रन्स को रिटायर कर देगी. सेना, वर्ष 2047 तक 60 लड़ाकू विमान स्क्वाड्रनों की संख्या प्राप्त करना चाहती है और उसे लगता है कि अगले पांच से 10 वर्षों में MRFA जेट को शामिल करना दो मोर्चों पर युद्ध की स्थिति में युद्ध के लिए तैयार रहने के लिए जरूरी तादाद हासिल करने के लिए अहम होगा.

उन्होंने कहा कि अगले 10 से 12 वर्षों में वायुसेना से पूरी तरह से बाहर होने वाले बेड़े में जगुआर, मिराज-2000 और मिग-29 शामिल होंगे. सूत्रों ने कहा कि वैश्विक टेंडर में शामिल होने वाले विमानों में राफेल, ग्रिपेन, यूरोफाइटर टाइफून, मिग-31 और एफ-16 विमान शामिल हैं. ये विमान पहले ही 126 बहुउद्देशीय लड़ाकू विमानों के लिए पिछले टेंडर में भाग ले चुके हैं और उनका मूल्यांकन भी हो चुका है.

Advertisement

इस बार दौड़ में शामिल होने वाला एकमात्र नया विमान अमेरिकी कंपनी बोइंग का एफ-15 स्ट्राइक ईगल फाइटर जेट है. वायुसेना टेंडर प्रोसेस को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए भाग लेने वाले विमानों की क्षमताओं का पता लगाने के लिए सीमित परीक्षण करने पर भी विचार कर रही है.

यह भी पढ़ें: हरियाणा में सेना का फाइटर जेट जगुआर क्रैश, दूर तक बिखरे टुकड़े, वायुसेना ने दिए जांच के आदेश

फाइटर जेट्स की तादाद में गिरावट

MiG सीरीज के पुराने एयरक्राफ्ट को सही तरीके से हटाने और एलसीए मार्क 1 और मार्क 1 ए जैसे नए स्वदेशी विमानों को शामिल करने में देरी की वजह से भारतीय वायु सेना में लड़ाकू विमानों की तादाद में गिरावट देखी जा रही है.

कोविड की वजह से अमेरिकी फर्म्स के सामने सप्लाई चेन संबंधी समस्याओं और यूरोप और मिडिल ईस्ट में युद्ध में शामिल अपने सहयोगियों को आपूर्ति प्रदान करने की प्रतिबद्धताओं के कारण परियोजनाओं में और देरी होने की संभावना है.

सूत्रों ने कहा कि वायु सेना केवल 36 राफेल विमानों को शामिल करने में सक्षम रही है, जो 4.5 प्लस पीढ़ी की श्रेणी में हैं, जो इसे पड़ोस में अपने विरोधियों पर किसी तरह की बढ़त प्रदान करता है.

Live TV

Advertisement
Advertisement