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देश में कितने तरह के हिंदू? मीरा कुमार ने जातिगत भेदभाव का जिक्र कर पूछे तीखे सवाल

लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार ने देश में जातिगत भेदभाव को लेकर सवाल उठाए हैं. मीरा कुमार ने कहा कि यह हैरानी की बात है कि 21वीं सदी में भी भारत में जातिगत भेदभाव मौजूद है.

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मीरा कुमार
मीरा कुमार
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मीरा कुमार ने जातिगत भेदभाव पर सवाल उठाए
  • 'कुछ लोग मंदिर जा सकते हैं और कुछ नहीं'

लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार ने देश में जातिगत भेदभाव को लेकर सवाल उठाए हैं. मीरा कुमार ने कहा कि यह हैरानी की बात है कि 21वीं सदी में भी भारत में जातिगत भेदभाव मौजूद है. उन्होंने कहा कि इस देश में दो तरह के हिंदू हैं- कुछ लोग मंदिर जा सकते हैं और कुछ नहीं.

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खुद दलित समुदाय से आने वालीं मीरा कुमार ने कहा, 'उनके पिता बाबू जगजीवन राम से कई लोग कहा करते थे कि वे हिंदू धर्म को त्याग दें, क्योंकि वे जातिगत भेदभाव का सामना कर रहे थे. लेकिन मेरे पिता ने उनकी बात नहीं मानी. मेरे पिता ने साफ तौर पर कहा कि वे हिंदू धर्म नहीं छोड़ेंगे और इसके अंदर रहकर भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे. पिताजी अक्सर कहते थे कि क्या धर्म बदलने से जाति बदल जाएगी?'

किताब लिखने के पीछे क्या मकसद?

जाति को लेकर ये चुभते सवाल मीरा कुमार ने राजधानी दिल्ली के राजेंद्र भवन में कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश की किताब 'द लाइट ऑफ एशिया: द पोअम दैट डिफाइंड बुद्ध' के विमोचन कार्यक्रम के दौरान उठाए. न्यूज एजेंसी के अनुसार इस मौके पर जयराम रमेश ने कहा कि उनकी यह किताब एक कवि की जीवनी है, जो इंसान को मानवता के आईने में देखता है, ना कि किसी भेदभाव के चश्मे से.

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रमेश ने कहा कि किताब लिखने के पीछे उनका मकसद है कि आखिर क्यों दो धर्म के अनुयायी आपस में उलझते हैं और इसके पीछे असली वजह क्या है. इस संदर्भ में उन्होंने अयोध्या का भी जिक्र किया.

 

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