देश में ही नौकरी पेशा या रोजगार के लिए अलग अलग राज्यों के शहरों में प्रवास करने वाले करोड़ों नागरिकों के मतदान के इंतजाम में जुटे निर्वाचन आयोग की योजना की परख आगामी विधानसभा चुनावों से होगी. आयोग का कहना है कि आगामी विधान सभा चुनावों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इन मशीनों का ट्रायल कराया जाएगा.
ये सिस्टम परीक्षण में पूरी तरह खरा उतरने के बाद जब लागू होगा तो पूरे देश में लगभग 30 से 40 करोड़ मतदाता जो अपने मूल क्षेत्र में जाकर वोट नहीं दे पाते उनको अपने प्रवास वाले शहर, गांव या कस्बे में रहते हुए अपने मूल चुनाव क्षेत्र में अपना वोट देने की सहूलियत मिल जाएगी.
निर्वाचन आयोग में तकनीकी विभाग में उच्च पदस्थ पदाधिकारी और इस प्रोजेक्ट से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इसी आईएल यानी इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ने मिलकर रिमोट वोटिंग मशीनें (आरवीएम) तैयार कर ली हैं. इन हाउस परीक्षण भी सफलतापूर्वक कर लिया गया है. अब इस पर वास्तविक तौर पर परीक्षण किया जाएगा ताकि व्यवहारिक दिक्कत अगर कोई आती है तो उसे दुरुस्त किया जा सके.
सूत्रों के मुताबिक इस मशीन में डायनेमिक बैलेट यूनिट होगी जिस पर उस वोटिंग मशीन के उम्मीदवारों की सूची और चिह्न प्रदर्शित हो जाएंगे जहां वो वोट करना चाहते हैं. प्रवासी वोटर अपने मूल इलाके के वोटर कार्ड की तफसील डायनेमिक बैलेट यूनिट में भरकर उसे इलेक्ट्रॉनिक और फिजिकल यानी बायोमिट्रिक तौर सत्यापित करेगा.
सत्यापन के साथ ही बैलेट यूनिट में संबंधित विधान सभा या लोकसभा क्षेत्र के उम्मीदवारों के नाम और चुनाव चिह्न प्रदर्शित हो जाएंगे. वहां हाथों हाथ वोटर अपने पसंदीदा उम्मीदवार या नोटा के आगे का बटन दबाकर मतदान के जरिए अपना लोकतांत्रिक दायित्व निभा सकेगा.
एक ओर तो यह कवायद काफी आगे बढ़ चुकी है दूसरी ओर राजनीतिक पार्टियां अभी भी इस व्यवस्था का विरोध कर रही हैं. उनका सवाल इन मशीनों के जरिए डाले जाने वाले वोटों की सुरक्षा को लेकर है. क्योंकि एक मशीन में 72 चुनाव क्षेत्रों को समायोजित करने की क्षमता है.