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मणिपुर में म्यामांर-बांग्लादेश के उग्रवादी पहुंचा रहे हथियार और गोला बारूद, NIA का बड़ा खुलासा

मणिपुर में पिछले कई महीनों से हो रही हिंसा को लेकर अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने बड़ा खुलासा किया है. एनआईए के मुताबिक, मणिपुर में हिंसा भड़काने के लिए म्यामांर और बांग्लादेश के उग्रवादी हथियार और गोला बारूद पहुंचा रहे हैं

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मणिपुर में कुछ समय पहले काफी संख्या में हथियार भी पकड़े गए थे (फाइल फोटो)
मणिपुर में कुछ समय पहले काफी संख्या में हथियार भी पकड़े गए थे (फाइल फोटो)

मणिपुर हिंसा मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA ने बड़ा खुलासा किया है.एनआईए के मुताबिक, मणिपुर हिंसा में म्यामांर और बांग्लादेश के उग्रवादी हथियार और गोला बारूद पहुंचा रहे हैं.NIA की जांच रिपोर्ट से ये पता चला है कि म्यांमार और बांग्लादेश स्थित उग्रवादी समूहों ने मणिपुर में विभिन्न जातीय समूहों के बीच दरार पैदा करने और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादे से यह साजिश रची है. 

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भारत के खिलाफ बांग्लादेश और म्यामांर से साजिश

इन उग्रवादी संगठनों हिंसा की घटनाओं में शामिल होने के लिए भारत में उग्रवादी नेताओं के एक वर्ग के साथ साजिश रची है. इसके लिए म्यामांर और बांग्लादेश के आतंकी संगठनों के हैंडलर मणिपुर में हथियार, गोला-बारूद और अन्य प्रकार के आतंकवादी साजो सामान की खरीद के लिए फंडिंग कर रहे है. इन्हें सीमा पार से और साथ ही भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में सक्रिय अन्य आतंकवादी संगठनों से मदद भी मिल रही है.

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शनिवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भारत सरकार के खिलाफ राज्य में मौजूदा जातीय अशांति का फायदा उठाने की साजिश में कथित संलिप्तता के लिए मणिपुर से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था. एनआईए के मुताबिक, इस साजिश के पीछे कथित तौर पर म्यांमार और बांग्लादेश स्थित आतंकी संगठन हैं, जो मणिपुर में जातीय अशांति का फायदा उठाकर भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना चाहते हैं.

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मणिपुर हिंसा में अब तक 180 से अधिक की मौत

मणिपुर में 3 मई को सबसे पहले जातीय हिंसा भड़की थी. राज्य में अब तक 180 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. कई सौ घायल हुए हैं. हिंसा की शुरुआत तब हुई, जब बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया गया था.

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मणिपुर की आबादी में मैतेई की संख्या करीब 53 प्रतिशत है. वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. जबकि नागा और कुकी आदिवासी 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

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