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मेघालय: ईस्ट जयंतिया हिल्स में खनन हादसा, सुरंग में 5-7 मजदूरों के फंसे होने की आशंका

इससे पहले जनवरी महीने में भी ईस्‍ट जयंतिया हिल्स के रिंबाई इलाके में कोयला खदान के अंदर बड़ा हादसा हुआ था. यहां खदान में सुरंग खोदते समय 6 मजदूर 150 फीट गहरी खाई में गिर गये थे.

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कोयला खादान में बड़ा हादसा (सांकेतिक फोटो)
कोयला खादान में बड़ा हादसा (सांकेतिक फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मेघालय में बड़ा खनन हादसा
  • सुरंग में फंसे 5-7 मजदूर
  • सभी मजदूर असम के रहने वाले

मेघालय के ईस्ट जयंतिया हिल्स में कोयला खदान में सुरंग खोदने के दौरान हुए हादसे में पांच से सात लोगों के फंसे होने की आशंका जाहिर की गई है. यह हादसा सुतंगा गांव के नजदीक हुआ है. जानकारी के मुताबिक, खनन में काम करने वाले ये सभी मजदूर असम के रहने वाले हैं. ये सभी लोग रविवार से ही खनन के अंदर फंसे हुए हैं. ताजा जानकारी के मुताबिक पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर लिया है. इसके साथ ही एक शख्स को हिरासत में लिया है. 

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इससे पहले जनवरी महीने में भी ईस्‍ट जयंतिया हिल्स के रिंबाई इलाके में कोयला खदान के अंदर बड़ा हादसा हुआ था. यहां खदान में सुरंग खोदते समय 6 मजदूर 150 फीट गहरी खाई में गिर गये थे. हालांकि बाद में स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने खाई से सभी 6 शवों को बाहर निकाल लिया था. 

पहले भी हुए ऐसे हादसे

बता दें कि मेघालय की पूर्वी जेनतिया हिल्‍स में 13 दिसंबर, 2018 को 15 लोग छोटी खदान के धंसने से लापता हो गए थे. इसके बाद 7 जनवरी 2019 पूर्वी जयंतिया हिल्स कोयले की अवैध खदान धंसने से 2 मजदूरों की मौत हो गई थी. इन हादसों के बाद भी यहां अवैध कोयला खनन का ये खेल जारी है.

23 जून 2018 को टनल में फंसी फुटबॉल टीम

थाईलैंड की वाइल्ड बोर्स अंडर-16 फुटबॉल टीम ने तय किया था कि प्रैक्टिस मैच के बाद वो टैम लूंग गुफा देखने जाएंगे, मैच खत्म हुआ और टीम के 12 खिलाड़ी और उनके कोच तय प्रोग्राम के मुताबिक गुफा तक पहुंच गए. इसके बाद एक-एक कर सभी बच्चे करीब दस किलोमीटर लंबी गुफा में दाखिल हो गए.

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तब मौसम बिल्कुल साफ था. मगर इधर बच्चे गुफा में दाखिल होते हैं उधर मौसम का मिज़ाज अचानक बदल जाता है. बाहर के बिगड़े मौसम से बेखबर बच्चे गुफा में लगातार आगे बढ़ रहे थे. ऊबड़ खाबड़ सुरंग से होते हुए फुटबाल टीम सबसे पहले यहां पहुंची.

गुफा के मुहाने से करीब 200 मीटर तक का ये रास्ता तब तक पूरी तरह सूखा हुआ था. 200 मीटर के बाद गुफा इतना संकरा हो जाता है कि एक वक्त में एक ही शख्स निकल सकता है. मगर चूंकि बच्चे थे, लिहाज़ा वो इसे आसानी से पार कर गए. 

अब यहां से आगे का रास्ता जुलाई से लेकर नवंबर यानी बरसात के दौरान तक इतना खतरनाक हो जाता है कि इस गुफा में इस दौरान नो-एंट्री का बोर्ड लगा दिया जाता है. मगर तब पानी ना होने की वजह से बच्चे यहां से भी काफी अंदर तक घुस चुके थे. इस जगह पर आकर गुफा का आकार एक मीटर से भी कम हो जाता है. यानी इसे या तो झुककर या लेट कर ही पार किया जा सकता है. बच्चे इसे भी पार कर गए.

फुटबॉल खिलाड़ी गुफा के 4 किलोमीटर अंदर दाखिल हो गए और तेज बारिश शुरू हो गई. सुरंग में पानी भरता चला गया और बाहर निकलने का रास्ता बंद हो गया. 17 दिन तक ये ऑपरेशन चला और पूरी टीम को बाहर सुरक्षित निकाल गया. इस ऑपरेशन में कई देशों की टीम ने एकसाथ मिलकर नामुमकिन को मुमकिन किया था.
 

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