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'अच्छे मेहमान के लिए मैं अच्छा मेजबान...', SCO में पाकिस्तान से तल्खी पर विदेश मंत्री एस जयशंकर की दो टूक

SCO बैठक के बाद एस जयशंकर ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पाकिस्तान और बिलावल को खरी-खोटी सुनाई थी. उन्होंने बिलावाल भुट्टो को आतंकी इंडस्ट्री का प्रवक्ता तक बताया था. इसके बाद बिलावल ने अपने देश जाकर भारत सरकार पर निशाना साधा था. अब इसको लेकर भारतीय विदेश मंत्री ने एक बार फिर पाकिस्तान को दो टूक जवाब दिया है.

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भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो

SCO समिट में शामिल होने गोवा आए पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो को भारत के विदेश मंत्री ने जमकर खरी-खरी सुनाई. एस जयशंकर ने आतंकवाद के प्रोमोटर, प्रोटेक्टर और आतंकवाद उद्योग के प्रवक्ता के तौर पर पाकिस्तान की पोजीशन का जवाब दिया गया. उन्होंने बिलावल से हैंडशेक करने की बजाय दूर से ही नमस्ते किया. इस दौरान दोनों देशों के बीच की तल्खी साफ नजर आई. 

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बिलावल भुट्टो के साथ तल्खी पर मीडिया में चल रही तमाम चर्चाओं पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दो टूक जवाब दिया. उन्होंने कहा कि बिलावल भुट्टो एससीओ में बतौर विदेश मंत्री आए थे. अगर मेरे पास एक अच्छा अतिथि होगा, तो मैं एक अच्छा मेजबान हूं."

दरअसल, एससीओ बैठक के बाद जयशंकर ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पाकिस्तान और बिलावल को खरी-खोटी सुनाते हुए कहा था कि एससीओ बैठक में बिलावल के साथ विदेश मंत्री के तौर पर बर्ताव किया गया. वह आतंकी इंडस्ट्री के प्रवक्ता हैं. पाकिस्तान की किसी भी बात पर भरोसा नहीं किया जा सकता. आतंक के पीड़ित और साजिशकर्ता एक साथ बैठकर बातचीत नहीं कर सकते.

राहुल गांधी पर भी साधा निशाना

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राहुल गांधी पर भी निशाना साधा है. उन्होंने कहा, "मैं राहुल गांधी से चीन पर क्लास लेना चाहूंगा, लेकिन मुझे पता चला कि वह खुद चीनी राजदूत से क्लास ले रहे थे.

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माना जा रहा है कि विदेश मंत्री ने राहुल गांधी के पैंगोंग झील के किनारे चीन के पुल निर्माण को लेकर जनवरी में दिए गए बयान पर निशाना साधा है. तब राहुल ने तंज कसते हुए कहा था कि कहीं पीएम इस पुल का उद्घाटन करने ना चले जाएं. राहुल गांधी ने ट्वीट में लिखा था, 'हमारे देश में चीन एक कूटनीतिक पुल का निर्माण कर रहा है. PM की चुप्पी से PLA के हौसले बढ़ते जा रहे हैं. अब तो ये डर है कहीं PM इस पुल का भी उद्घाटन करने ना पहुंच जाएं.'

चाबहार बंदरगाह पर भी की चर्चा

एस जयशंकर ने चाबहार बंदरगाह पर भी बात की. उन्होंने कहा कि बंदरगाह के निर्माण के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. जब तक पाकिस्तान के रवैये में कुछ चमत्कारी परिवर्तन नहीं होता है, जिसकी मुझे उम्मीद नहीं है, हमें मध्य एशिया तक पहुंच विकसित करने के लिए रास्ता खोजना होगा. ईरान में बंदरगाह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. यह मुश्किल रहा है, ईरान प्रतिबंधों के अधीन रहा है, लेकिन हमने लगातार प्रगति की है." 

क्या है चाबहार बंदरगाह?

बता दें कि चाबहार बंदरगाह से भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच कारोबार करना और ज्यादा आसान हो जाएगा. इसके अलावा चाबहार बंदरगाह को पाकिस्तान में चीन की मदद से बन रहे ग्वादर बंदरगाह का जवाब माना जाता है. भारत के लिए चाबहार बंदरगाह इसलिए भी अहम है क्योंकि इससे भारत के लिए मध्य एशिया से जुड़ने का सीधा रास्ता बन जाएगा और इसमें पाकिस्तान का कोई दखल नहीं होगा. इसके साथ ही अफगानिस्तान और रूस से भारत का जुड़ाव और मजबूत हो जाएगा. 2016 में हुए समझौते के तहत भारत चाबहार बंदरगाह में जरूरी साजो-सामान के लिए 85 मिलियन डॉलर का निवेश कर रहा है. इसके साथ ही बंदरगाह के विकास के लिए भारत 150 मिलियन डॉलर का लोन भी दे रहा है. 

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क्या है SCO? 

SCO का गठन 15 जून 2001 को हुआ था. तब चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने 'शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन' की स्थापना की. इसके बाद नस्लीय और धार्मिक तनावों को दूर करने के अलावा कारोबार और निवेश बढ़ाना भी मकसद बन गया. शंघाई सहयोग संगठन में 8 सदस्य देश शामिल हैं. इनमें चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान हैं. इनके अलावा चार पर्यवेक्षक देश- ईरान, अफगानिस्तान, बेलारूस और मंगोलिया हैं. 

इस संगठन में यूरेशिया यानी यूरोप और एशिया का 60% से ज्यादा क्षेत्रफल है. दुनिया की 40% से ज्यादा आबादी इसके सदस्य देशों में रहती है. साथ ही दुनिया की जीडीपी में इसकी एक-चौथाई हिस्सेदारी है. इतना ही नहीं, इसके सदस्य देशों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दो स्थायी सदस्य (चीन और रूस) और चार परमाणु शक्तियां (चीन, रूस, भारत और पाकिस्तान) शामिल हैं.

2005 में कजाकिस्तान के अस्ताना में हुई समिट में भारत, पाकिस्तान, ईरान और मंगोलिया ने भी हिस्सा लिया. ये पहली बार था जब SCO समिट में भारत शामिल हुआ था. 2017 तक भारत SCO का पर्यवेक्षक देश रहा. 2017 में SCO की 17वीं समिट में संगठन के विस्तार के तहत भारत और पाकिस्तान को पूर्णकालिक सदस्य का दर्जा दिया गया. SCO को इस समय दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन माना जाता है. इस संगठन में चीन और रूस के बाद भारत सबसे बड़ा देश है.

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