पश्चिम बंगाल में मिशनरीज ऑफ चैरिटी (Missionaries of Charity) को लेकर सीएम ममता बनर्जी और केंद्र फिर आमने-सामने आ गए हैं. जब से सीएम ममता बनर्जी ने ट्वीट कर दावा कर दिया है कि केंद्र द्वारा मिशनरीज ऑफ चैरिटी के सभी बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया है, तभी से इस मामले पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है.
सुर्खियों में क्यों मदर टेरेसा का एऩजीओ?
एक तरफ केंद्र ने अपने जवाब में स्पष्ट कर दिया है कि कोई बैंक खाता फ्रीज नहीं किया गया है, वहीं खुद मदर टेरेसा की संस्था ने भी कहा है कि उनका कोई भी बैंक खाता फ्रीज नहीं किया गया है. अभी तक उनके सभी लेन-देन सामान्य चल रहे हैं. ऐसे में इस विवाद की वजह से ममता बनर्जी पर भी सवाल उठ रहे हैं और टीएमसी भी केंद्र पर गंभीर आरोप लगा रही है. अब असल में मिशनरीज ऑफ चैरिटी को लेकर विवाद पहले से चल रहा है. कार्रवाई भी हुई है लेकिन कोई बैंक खाता फ्रीज नहीं किया गया.
अंशदान विनियमन एक्ट पर क्यों विवाद?
हाल ही में केंद्र की तरफ से मिशनरीज ऑफ चैरिटी का एफसीआरए लाइसेंस रिन्यू नहीं किया गया था. एफसीआरए का मतलब है अंशदान विनियमन एक्ट. पिछले साल ही सरकार द्वारा अंशदान विनियमन एक्ट को संशोधित किया गया था. इस एक्त के जरिए उस विदेशी फंड पर सख्ती की गई थी जो एनजीओ को मिलता है. एक्त के मुताबिक अब कोई भी एनजीओ विदेश से मिले फंड का सिर्फ 20 प्रतिशत ही प्रशासनिक कार्यों पर खर्च कर पाएगा. बाकी फंड का जो भी पैसा है वो समाज सेवा में ही जाएगा. पहले कोई भी एनजीओ 50 प्रतिशत तक प्रशासनिक कार्यों पर खर्च करता था. इसके अलावा अब विदेश से मिल रहा फंड किसी दूसरी एनजीओ संग भी शेयर नहीं किया जा सकेगा. इस पर भी सरकार ने रोक लगा दी है.
बैंक खाता फ्रीज या नहीं?
अब मिशनरीज ऑफ चैरिटी के साथ हुआ ये है कि उसका एफसीआरए लाइसेंस रिन्यू नहीं किया गया है. इस वजह से एनजीओ ने भी अपनी टीम को स्पष्ट आदेश दे दिए हैं कि विदेशी सहयोग खातों का अभी इस्तेमाल नहीं किया जाए. जब तक एफसीआरए लाइसेंस रिन्यू नहीं हो जाता, इस आदेश को जारी रखा जाएगा. ऐसे में अभी के लिए मिशनरीज ऑफ चैरिटी का विवाद सिर्फ और सिर्फ एफसीआरए लाइसेंस रिन्यू को लेकर है. उसका कोई भी बैंक खाता फ्रीज नहीं किया गया है.
एनजीओ की बैलेंस शीट क्या बताती है?
वैसे अभी हाल ही में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की बैलेंस शीट भी सामने आई थी. उसके मुताबिक एनजीओ को विदेश से कुल 75 करोड़ का दान मिला था. इसके अलावा पिछले साल का भी 27.3 करोड़ रुपये बचा हुआ था, ऐसे में कुल 103.76 रुपये एनजीओ के पास हैं. भारत में कम से कम 250 बैंकों में मिशनरीज ऑफ चैरिटी को मिले फंड्स अभी जमा हैं. लेकिन अभी कुछ समय के लिए विदेशी सहयोग खातों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है.