मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने मिजोरम पुलिस से असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के खिलाफ दर्ज FIR वापस लेने को कहा है. वहीं मिजोरम के स्वास्थ्यमंत्री ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री मनसुख मंडाविया को एक खत लिखा है. इसमें उन्होंने बताया है कि असम के द्वारा ब्लॉकेड्स किए जाने से आर्थिक नुकसान तो हो ही रहा है. इसके साथ ही मेडिसिन और टेस्टिंग किट्स की भी भारी किल्लत हो गई है.
वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बीजेपी सांसदों द्वारा ज्ञापन सौंपे जाने को लेकर कहा, 'आज पूर्वोत्तर राज्यों के भाजपा सांसदों ने आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर असम - मिज़ोरम में हो रहे घटनाक्रम के विषय में ज्ञापन दिया. सीमा विवाद का राजनीतिकरण करके कांग्रेस लोगों को भड़का रही है और सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने की कोशिश कर रही है. राजनीतिक फ़ायदे के लिए देश का माहौल ख़राब करने का कांग्रेस का इतिहास है. लेकिन पीएम मोदी के शासन में इनके मंसूबे कामयाब नहीं हो पाएंगे. मोदी सरकार में पूर्वोत्तर राज्यों ने विकास की नयी इबारत लिखी है. पूर्वोत्तर का हर राज्य हमारा अभिन्न अंग है. हम सबके विकास और सम्मान के लिए समर्पित हैं.'
BJP MPs from North-East met PM Shri @NarendraModi Ji and gave a memorandum mentioning various progressive steps taken by him. We assured him unity of North-East & that the unfortunate incident at Assam-Mizoram border won't be allowed to affect his vision to develop NE region. pic.twitter.com/9SFtgH04ZM
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) August 2, 2021
क्या है मामला?
दरअसल 26 जुलाई को दोनों राज्यों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद असम के मुख्यमंत्री के खिलाफ मिजोरम पुलिस ने शिकायत दर्ज की थी. गोलीबारी की घटना के बाद मिजोरम पुलिस ने भी सरमा और असम के छह अधिकारियों के खिलाफ हत्या के प्रयास और आपराधिक साजिश सहित विभिन्न आरोपों में 26 जुलाई को वैरेंगटे पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की थी. मिजोरम के मुख्यमंत्री ने हिमंत बिस्व सरमा समेत अन्य सभी लोगों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने को कहा है.
मिजोरम के मुख्य सचिव लालनुनमाविया चुआंगो ने रविवार को कहा कि उनकी सरकार सरमा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी वापस लेने के लिए तैयार थी क्योंकि जोरामथांगा ने इसे मंजूरी दी थी. वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने सोमवार को कहा कि उन्होंने पुलिस को मिजोरम के सांसद के. वनललवेना के खिलाफ प्राथमिकी वापस लेने का निर्देश दिया है.
सरमा ने हालांकि कहा कि कछार जिला में लैलापुर में अंतरराज्यीय सीमा के पास भीषण गोलीबारी की घटना में कथित संलिप्तता के लिए मिजोरम के छह सरकारी अधिकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों में जांच जारी रहेगी. सरमा ने कई ट्वीट कर पूर्वोत्तर के दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने में मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा के प्रयासों की सराहना की.
सरमा ने कहा, 'मैंने मीडिया में माननीय मुख्यमंत्री जोरामथंगा के बयानों को देखा है जिसमें उन्होंने सीमा विवाद को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने की इच्छा जताई है. असम हमेशा से पूर्वोत्तर की भावना को जिंदा रखना चाहता है.' उन्होंने कहा कि असम अपनी सीमाओं के पास शांति सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध है.
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सरमा ने कहा, 'इस सद्भावना को आगे बढ़ाते हुए मैंने असम पुलिस को मिजोरम से राज्यसभा सांसद के. वनललवेना के खिलाफ प्राथमिकी वापस लेने का निर्देश दिया है. अन्य आरोपी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामले जारी रहेंगे.'
असम पुलिस की एक टीम पिछले हफ्ते नई दिल्ली गई थी और वनललवेना के कथित बयान को लेकर आवास के दरवाजे पर पूछताछ के लिए एक सम्मन चिपकाया था, जिसमें उन्होंने मिजोरम की सीमा पार करने पर और अधिक कर्मियों को मारने की धमकी दी थी. असम पुलिस ने 28 जुलाई को कोलासिब जिले के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक सहित मिजोरम सरकार के छह अधिकारियों को भी समन जारी किया और उन्हें सोमवार को ढोलई पुलिस थाने में पेश होने का आदेश दिया.
पूर्वोत्तर के दोनों राज्यों के बीच जारी सीमा विवाद के कारण 26 जुलाई को हुए संघर्ष में असम पुलिस के कम से कम छह कर्मियों और एक आम नागरिक की मौत हो गई थी और 50 से अधिक लोग घायल हो गए थे. कछार जिले में असम-मिजोरम सीमा पर सोमवार को शांति रही. वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग-306 पर बड़ी संख्या में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों के गश्त लगाने के कारण लैलापुर और उसके आसपास, संघर्ष की जगह, अंतरराज्यीय सीमा के पास स्थिति शांतिपूर्ण बनी हुई है.