मिजोरम सरकार केंद्र सरकार के मदद से म्यांमार के शरणार्थियों और मणिपुर के आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की मदद करना जारी रखेगी. राज्य के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने हाल ही में दिल्ली गए थे, जहां उन्होंने केंद्रीय मंत्रियों से बातचीत की. इसके बाद उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बातचीत के दौरान इस मुद्दे पर टिप्पणी की है.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार भले ही म्यांमार के नागरिकों को शरणार्थी का दर्जा नहीं दे सकती, लेकिन वह उन्हें राहत देने में हमारे साथ मिलकर काम कर को तैयार है. साथ ही हिंसा के कारण अपना घर छोड़कर भागे मणिपुर के लोगों की भी मदद की जाएगी.
वहीं, म्यांमार में तख्तापलट के बाद फरवरी, 2021 से म्यांमार के चिन समुदाय के 31 हजार से अधिक लोगों ने मिरोजम में शरण मांगी है. साथ ही मणिपुर में जातीय हिंसा के चलते अपना घर छोड़कर मिरोजम आए 9 हजार लोगों ने यहां शरण ली है.
'बाड़ लागने का फैसला हो सकता है रद्द'
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लालदुहोमा को सूचित किया था कि केंद्र फरवरी 2021 से राज्य में शरण लेने वाले म्यांमार के नागरिकों को तब तक निर्वासित नहीं करेगा, जब तक कि उनके देश में सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो जाती. मुख्यमंत्री ने यह भी उम्मीद जताई कि केंद्र भारत-म्यांमार सीमा के एक हिस्से पर बाड़ लगाने के फैसले को रद्द कर देगा.
बिना वीजा के यात्रा कर सकते हैं दोनों तरफ के लोग
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने हाल ही में कहा था कि वह म्यांमार के साथ 300 किलोमीटर लंबी बिना बाड़ वाली सीमा पर बाड़ लगाने और मुक्त आवाजाही व्यवस्था को समाप्त करने की योजना बना रही है, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा के दोनों ओर रहने वाले लोगों को बिना वीजा के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर के अंदर तक यात्रा करने की अनुमति देती है.